विश्वकप चैम्पियन टीम के वरिष्ठ सदस्य सचिन तेंडुलकर ने मुंबई में सोमवार की दोपहर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपने दिल की बातें मीडिया के साथ शेयर की। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के प्रमुख अंश इस प्रकार थे -
* 2 अप्रैल को वानखेड़े स्टेडियम में विश्वकप उठाना जिंदगी का सबसे हसीन लम्हा * विश्वकप की जीत पूरी टीम के सामुहिक प्रयासों का ही परिणाम थी * हमारा ध्यान विश्वकप में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पर था और देश की अपेक्षाओं का दबाव भी था * भारतीय टीम सही समय पर लय में आई और नाकआउट दौर से अच्छा प्रदर्शन किया * 1983 में जब भारत ने विश्वकप जीता था, तब उम्र 10 साल थी और खूब उछला था
* जिस वानखेड़े स्टेडियम में 1983 में बॉल बॉय था, उसी स्थान पर हमने विश्वकप जीता * टीम के हर खिलाड़ी पर प्रेशर था और सभी ने अपने जिम्मेदारी ईमानदारी के साथ निभाई * विश्वकप को हाथ में लेना ही रोमांचक अनुभव था, लग रहा था कहीं ये ख्वाब तो नहीं है * नाकआउट दौर में सभी सचेत थे और हमने बल्लेबाजी, गेंदबाजी व फील्डिंग पर ध्यान दिया * मैंने अपने क्रिकेट जीवन में धोनी जैसा कप्तान नहीं देखा, वे सबसे बेहतरीन कप्तान हैं
* धोनी में अद्भुत नेतृत्व क्षमता है और परिस्थितियों को हैंडल करने की समझ भी * खेल कैसी भी परिस्थिति में हो धोनी अपनी क्षमता से सब कुछ संभाल लेते हैं * धोनी गेंदबाजों, बल्लेबाजों और सीनियर क्रिकेटरों से बाकायदा सलाह मशविरा करते हैं * विश्वकप जीतने के बाद मैं भावुक हो गया था, ये मेरा छठा विश्वकप था * देश के लिए वर्ल्डकप जीतने से बड़ा अवसर मेरे जीवन में कोई दूसरा नहीं है
* मैं ऊपरवाले का और पूरे देश की जनता का आभार मानता हूँ कि हमें ये दिन दिखलाया * ऊपरवाले की मेहरबादी के कारण ही हमें आज ये दिन नसीब हुआ है * उम्मीद करता हूँ कि आगे भी भारतीय क्रिकेटर ऐसी ही कामयाबी हासिल करेंगे * मैं आज के ये पल जीता चाहता हूँ, बयान नहीं कर सकता कि दिल में कितनी खुशी है * टीम के सभी खिलाड़ियों का आभार जिनके दिलों में मेरे लिए इतनी इज्जत है (वेबदुनिया न्यूज)