सेमीफाइनलिस्ट टीमों के नाम से बना है 'स्पिन'

सोमवार, 28 मार्च 2011 (15:39 IST)
विश्वकप के सेमीफाइनल में पहुँची चारों टीमों श्रीलंका, पाकिस्तान, भारत और न्यूजीलैंड के अँग्रेजी नामों के पहले अक्षरों को यदि समेटा जाए तो उससे स्पिन बनता है और यही वह स्पिन है जो क्रिकेट के इस महाकुंभ में तहलका मचा रही है।

श्रीलंका का 'एस' पाकिस्तान का 'पी' भारत का 'आई' और न्यूजीलैंड का 'एन' मिलकर बल्लेबाज को घूमा देने वाली 'स्पिन' का निर्माण करते हैं। यह दिलचस्प और सूक्ष्म आकलन किया है कोलकाता के क्रिकेट पंडित श्रीकांत पोद्दार ने।

पोद्दार ने बताया कि विश्वकप के सेमीफाइनल में जो चारों टीमें पहुँची हैं उनके पहले अंग्रेजी अक्षर से स्पिन बनता है और इस घूमती गेंदबाजी विश्वकप को पहली बार एक नया आयाम दिया है।

विश्वकप में इससे पहले तक केवल 1992 के टूर्नामेंट में न्यूजीलैंड के तत्कालीन कप्तान मार्टिन क्रो ने स्पिन गेंदबाजों से गेंदबाजी आक्रमण की शुरुआत कराई थी। लेकिन उसके बाद से लेकर पिछले विश्वकप तक हमेशा गेंदबाजी की शुरुआत तेज गेंदबाज ही करते आ रहे थे।

पोद्दार का कहना है कि मौजूदा विश्वकप में स्पिन गेंदबाजी की परंपरा को एक नया जीवन दिया है और जिस तरह स्पिनरों ने विश्वकप में सफलता हासिल की है उसने कई क्रिकेट विशेषज्ञों को चौंका दिया है। इस विश्वकप में अधिकतर टीमों ने अपने स्पिनरों से गेंदबाजी की शुरुआत कराई जिसमें उन्हें जबर्दस्त सफलता भी हाथ लगी। खासकर सेमीफाइनल में पहुँची चारों टीमें ने स्पिनरों से शुरुआत कराकर प्रतिद्वंद्वी को चौंकाने का काम किया।

केवल ये चारों टीमें ही नहीं बल्कि दक्षिण अफ्रीका, वेस्टइंडीज और इंग्लैंड ने भी स्पिनरों पर सफलतापूर्वक दाँव खेले थे। स्पिनरों पर यदि किसी टीम ने भरोसा नहीं किया तो वह गत तीन बार की चैंपियन ऑस्ट्रेलिया थी जिसे क्वार्टर फाइनल में भारत के हाथों हारकर बाहर हो जाना पड़ा।

भारत ने अपने पिछले दो मैचों में ऑफ स्पिनर आर अश्विन को गेंदबाजी की शुरुआत में आजमाया और यह दाव इतना कामयाब रहा कि भारत ने अंतिम ग्रुप मैच में वेस्टइंडीज को और फिर क्वार्टर फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को मात दे दी।

श्रीलंका को पार्टटाइम ऑफ स्पिनर तिलकरत्ने दिलशान गेंदबाजी की शुरुआत कराना खासा रास आ रहा है। यही काम न्यूजीलैंड के लिए नाथन मैकुलम भी कर रहे हैं। पाकिस्तान के मोहम्मद हफीज भी पहला ओवर करने की भूमिका को बखूबी निभा रहे हैं। पोद्दार का कहना है कि सबसे दिलचस्प बात है कि ये चारों गेंदबाज ऑफ स्पिनर हैं।

विश्वकप से बाहर हो गई टीमों में दक्षिण अफ्रीका ने लेफ्ट आर्म स्पिनर रोबिन पीटरसन, वेस्टइंडीज ने भी लेफ्ट आर्म स्पिनर सुलेमान बेन और जिम्बाब्वे ने भी लेफ्ट आर्म स्पिनर रेमंड प्राइस को गेंदबाजी की शुरुआत में आजमाया था।

पाकिस्तान कप्तान शाहिद अफरीदी ने हालाँकि गेंदबाजी की शुरुआत तो नहीं की है लेकिन वह सात मैचों में 21 विकेट लेकर विश्वकप में सबसे आगे चल रहे हैं। उनके लेग स्पिन गेंदों को खेलना बल्लेबाजों के बूते से बाहर की बात है।

मौजूदा टूर्नामेंट में स्पिनरों को जैसी कामयाबी मिली है वह वाकई हैरत में डालने वाली है। अफरीदी ने सात मैचों में 21 विकेट, पीटरसन ने 15 विकेट, दक्षिण अफ्रीका के लेग स्पिनर इमरान ताहिर के पाँच मैचों में 14 विकेट, श्रीलंका के विश्व रिकॉर्डधारी ऑफ स्पिनर मुथैया मुरलीधरन के सात मैचों में 13 विकेट, बेन ने छह मैचों में 12 विकेट, इंग्लैंड के ऑफ स्पिनर ग्रीम स्वान ने सात मैचों में 12 विकेट, भारत के पार्टटाइम लेफ्ट आर्म स्पिनर युवराज सिंह ने सात मैचों में 11 विकेट, नाथन ने सात मैचों में आठ विकेट, हफीज ने पाँच मैचों में सात विकेट, हरभजन सिंह ने छह विकेट और अश्विन ने दो मैचों में चार विकेट हासिल कर स्पिन गेंदबाजी को एकदिवसीय क्रिकेट में नया आयाम दे दिया है।

सेमीफाइनल में पहुँची चारों टीमें अब निर्णायक जंग के लिए एक बार फिर स्पिनरों पर ही भरोसा करेंगी। पोद्दार ने कहा कि स्पिन गेंदबाजी की अब विश्वकप के खिताबी मुकाबले में पहुँचने वाली दो टीमों का फैसला करेगी। (वार्ता)

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