मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर (111) के 48वें शतक पर कप्तान महेन्द्रसिंह धोनी के आखिरी ओवर आशीष नेहरा से फिंकवाने के फैसले ने पानी फेर दिया और दक्षिण अफ्रीका ने रोमांच की पराकाष्ठा पर पहुँच गए विश्वकप ग्रुप 'बी' मैच में शनिवार की रात तीन विकेट से जीत हासिल करते हुए क्वार्टर फाइनल में कदम रख दिया।
दक्षिण अफ्रीका को आखिरी ओवर में जीत के लिए 13 रन की जरूरत थी और धोनी के पास इस मैच में बेहतरीन गेंदबाजी करने वाले ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह का इस्तेमाल करने का मौका था लेकिन धोनी ने पता नहीं क्या सोचकर नेहरा को गेंद थमा दी और रोबिन पीटरसन ने पहली ही दो गेंदों पर चौका और छक्का उड़ाते हुए मैच का फैसला कर दिया।
अगली दो गेंदों पर पीटरसन ने दो रन और चौका लगाते हुए दक्षिण अफ्रीका की झोली में दो गेंद शेष रहते तीन विकेट से जीत दिला दी। दक्षिण अफ्रीका ने सात विकेट पर 300 रन बनाकर भारत के 48.4 ओवर में 296 रन के स्कोर को पार कर लिया।
दक्षिण अफ्रीका हाशिम अमला (61), जैक्स कैलिस (69) और एबी डी'विलियर्स (52) के अर्द्धशतकों से धीरे-धीरे जीत की तरफ अग्रसर हो चला था लेकिन हरभजन ने 53 रन पर तीन विकेट चटकाते हुए भारत को मुकाबले में ला खड़ा किया।
एक समय दक्षिण अफ्रीका अपना छठा विकेट 247 रन पर गँवाकर दबाव में आ गया था, लेकिन योहान बोथा ने 15 गेंदों में दो चौकों की मदद से 23 रन बनाकर अपनी टीम को मंजिल के करीब ला खड़ा किया। फाफ डू प्लेसिस (नाबाद 25) और रॉबिन पीटरसन (नाबाद 18) ने अंतिम ओवरों में संयम दिखाते हुए दक्षिण अफ्रीका को जीत दिला दी।
जहीर ने 49वाँ ओवर बेहतरीन फेंका था मगर नेहरा ने अंतिम ओवर में भारतीय टीम की लुटिया डुबो दी। जहीर ने 43 रन पर एक विकेट, हरभजन ने 53 रन पर तीन विकेट और मुनाफ पटेल ने 65 रन पर दो विकेट लिए। नेहरा ने 8.4 ओवर में 65 रन लुटाए।
भारत को अपने शीर्ष तीन बल्लेबाजों सचिन (111), वीरेन्द्र सहवाग (73) और गौतम गंभीर (69) के बाद अपने अंतिम आठ विकेट सिर्फ 28 रन जोडकर गँवाना आखिर में भारी पड़ गया और यही भारत की हार का कारण बना। भारत 350 के आसपास का स्कोर बना सकता था लेकिन वह 296 रन ही बना पाया।
भारत सचिन के बेहतरीन शतक से एक विशाल स्कोर की तरफ अग्रसर था लेकिन उनके 40वें ओवर में आउट होने के साथ ही भारतीय बल्लेबाजों ने ऐसी अफरातफरी दिखाई कि पूरी टीम दो विकेट पर 267 रन के स्कोर से 296 रन के स्कोर पर निपट गई।
भारतीय मध्यक्रम और निचलेक्रम के बल्लेबाजों के निराशाजनक प्रदर्शन से भारत ने एक बड़ा स्कोर बनाने का मौका गँवा दिया। तूफानी गेंदबाज डेल स्टेन ने पारी के अंतिम दस ओवरों में गजब की गेंदबाजी करते हुए 50 रन पर पाँच विकेट झटक लिए।
सचिन ने 101 गेंदों में आठ चौकों और तीन छक्कों की मदद से शानदार 111 रन बनाए जबकि सहवाग ने 66 गेंदों में 12 चौकों की मदद से 73 रन ठोके। गंभीर ने 75 गेंदों में सात चौकों की मदद से 69 रन का योगदान दिया। भारत ने अपने अंतिम आठ विकेट सिर्फ 28 रन जोड़कर गँवा दिए।
इन तीनों चोटी के बल्लेबाजों के बाद आयाराम और गयाराम का सिलसिला चलता रहा। चार बल्लेबाज तो अपना खाता भी नहीं खोल सके। कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी 21 गेंदों में बिना कोई चौका लगाए 12 रन बनाकर नाबाद लौटे। युवराज सिंह ने एक छक्का लगाया और 12 रन बनाए।
सचिन और सहवाग ने जहाँ पहले दस ओवर के पावरप्ले में 87 रन जोड़कर इस विश्वकप का नया रिकॉर्ड बनाया था, वहीं 39वें ओवर में लिए गए बल्लेबाजी पावरप्ले में भारत ने पाँच ओवरों में 30 रन जोड़कर चार विकेट गँवा दिए।
बल्लेबाजी पावरप्ले ही भारतीय पारी के बडे स्कोर तक नहीं पहुँच पाने का कारण बन गया। इसमें बल्लेबाजों के खराब शॉटों का भी पूरा योगदान रहा, जिन्होंने बिना गेंद की लाइन को देखे आँख बंद करके शाट खेले और अपने विकेट गँवाए। ओवर पूरे बचे थे और संभलकर खेलते हुए भी रन बनाए जा सकते थे।
यूसुफ पठान को चौथे नंबर पर भेजना एक बार फिर भारत के लिए भारी पड़ा। बेहतर है कि वह सात नंबर पर ही खेलें। फार्म में चल रहे विराट कोहली को सातवें नंबर पर लाना एक अच्छा फैसला नहीं कहा जा सकता। जब युवराज ने पिछले दो मैचों में अर्द्धशतक बनाए थे तो उन्हें पठान से ऊपर भेजा जाना चाहिए था।
कप्तान धोनी की बल्लेबाजी क्रम बदलने की रणनीति कतई कामयाब नहीं हुई। यह तो भला हो सचिन, सहवाग और गंभीर का जिन्होंने पहले ही इतने रन मार दिए थे कि 296 रन का स्कोर अंत में मजबूत दिखाई दे रहा है।
भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का सही फैसला लिया। सचिन और सहवाग ने तूफानी शुरुआती करते हुए 17.4 ओवर में पहले विकेट के लिए 142 रन की बडी साझेदारी कर डाली। दक्षिण अफ्रीका के कप्तान ग्रीम स्मिथ ने टूर्नामेंट में पहली बार अपने दोनों तेज गेंदबाजों डेल स्टेन और मोर्न मोर्कल से पारी की शुरुआत कराई।
लेकिन सहवाग ने स्टेन की पहली ही गेंद पर चौका जडकर बता दिया कि आज क्या होने जा रहा है। उसके बाद तो स्टेन, मोर्कल और जैक्स कैलिस तीनों ही गेंदबाजों की दोनों भारतीय बल्लेबाजों ने जमकर पिटाई की।
नागपुर के जामथा स्टेडियम में चौके तो ऐसे बरस रहे थे कि मानो स्टेन और मोर्कल बेहद सामान्य गेंदबाज हों और उन्हें पीटना कोई मुश्किल काम नहीं। सचिन और सहवाग ने पहले दस ओवरों में 87 रन जोड़कर शुरुआती दस ओवर में पावरप्ले में सर्वाधिक रन बनाने का नया रिकॉर्ड बना दिया। भारत के 50 रन 6.4 ओवर में ही बन गए।
सहवाग तो कतई रहम करने के मूड में नहीं थे। उन्होंने 44 गेंदों में दस चौकों की मदद से अपना अर्द्धशतक पहले पूरा कर लिया। सचिन ने अपना अर्द्धशतक पूरा करने के लिए सिर्फ 33 गेंदें खेली और पाँच चौके तथा एक छक्का लगाया।
फाफ डू प्लेसिस ने सहवाग को अंततः बोल्ड कर दक्षिण अफ्रीका को राहत पहुँचाई। सहवाग का विकेट 142 रन के स्कोर पर गिरा लेकिन सचिन ने फिर गंभीर के साथ दूसरे विकेट के लिए 125 रन की साझेदारी कर डाली।मास्टर ब्लास्टर ने मोर्कल की गेंद पर एक रन लेकर 92 गेंदों में सात चौकों और तीन छक्कों की मदद से अपना 48वां, टूर्नामेंट का दूसरा, विश्वकप का कुल छठा और अपना कुल 99वाँ अंतरराष्ट्रीय शतक पूरा किया।
भारत एक बडे स्कोर की तरफ बढ़ता दिखाई दे रहा था कि 39वें ओवर में लिया गया बल्लेबाजी पावरप्ले भारत के लिए आत्मघाती साबित हुआ। चालीसवें ओवर में सचिन मोर्कल की गेंद पर जेपी डुमिनी को कैच थमा बैठे। सचिन का विकेट गिरना था कि दक्षिण अफ्रीका के गेंदबाजों और फील्डरों का आत्मविश्वास जैसे फिर लौट आया।
अगले ओवर में स्टेन ने गंभीर को कैलिस के हाथों कैच कराने के बाद पठान का भी विकेट झटक लिया। युवराज 43वें ओवर में कैलिस की गेंद पर योहान बोथा को कैच थमा बैठे। विराट कोहली ने 44वें ओवर की आखिरी गेंद पर बाएँ हाथ के स्पिनर रोबिन पीटरसन को रिटर्न कैच दे दिया।
स्टेन ने 47वें ओवर में हरभजन सिंह को बोल्ड किया जबकि 48वें ओवर में जहीर पीटरसन का शिकार बन गए। पारी के 49वें ओवर में स्टेन ने लगातार दो गेंदों में आशीष नेहरा और मुनाफ पटेल को निपटाते हुए भारतीय पारी समेट दी।
स्टेन ने 50 रन देकर पाँच विकेट लिए। पीटरसन के खाते में 52 रन पर दो विकेट गए जबकि मोर्कल, कैलिस और प्लेसिस ने एक-एक विकेट लिया। (वार्ता)