विश्वकप क्रिकेट में भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले मुकाबले को सुनकर और पढ़कर जहाँ रोमांच की लहर दौड़ पड़ती है, उससे पूर्व भारत और ऑस्ट्रेलिया जैसी दो महाक्रिकेट शक्तियों के बीच भी अहमदाबाद के मोटेरा में दिलचस्प मुकाबला हुआ, जिसमें पहली बार लगा कि अपनी इंडिया टीम में भी विश्वकप जीतने का दमखम है वरना लीग के 6 मैचों में धोनी के धुरंधरों ने जिस तरह से निराश किया, उससे कहीं से भी ये नहीं लगा कि इस टीम में 28 बरस बाद विश्वकप जीतने की आग है।
ऑस्ट्रेलिया पर फतह पाने के बाद दिल से आवाज उठी कि 'वक्त और किस्मत ने महेन्द्रसिंह धोनी की किस्मत के दरवाजे खोल दिए है। क्वार्टर फाइनल मैच में माही ने 'विवेक की छेनी' और 'संयम के हथौड़े' का भरपूर इस्तेमाल किया।' भारतीय गेंदबाजों ने बेहतरीन गेंदबाजी करके लगातार तीन बार की विश्व चैम्पियन को 50 ओवर में 260 रन पर रोकते हुए 6 विकेट धराशायी किए।
यदि कप्तान पोटिंग का खराब फार्म अहमदाबाद में भी जारी रहता तो आज ऑस्ट्रेलिया को मुँह छिपाने के लिए कोई आड़ नहीं मिलती। पोंटिंग ने कप्तानी पारी खेलकर जून 2010 के बाद पहली बार पहले अर्धशतक और फिर टीम के लिए 104 जुटाए। पोंटिंग ने क्रिकेट बिरादरी को फिर याद दिलाया कि फॉर्म तो आता जाता है, 'क्लास' कभी खत्म नहीं होता।
लेकिन शाबासी तो भारतीय गेंदबाजों के साथ उन फील्डरों को देनी चाहिए जो गेंद पर चीते जैसा झपट्टा मारते रहे और दो रन को एक रन में बदलते रहे। स्लॉग ओवरों में जहीर के साथ-साथ युवराज, अश्विन और हरभजन ने कसी हुई गेंदबाजी की जिससे ऑस्ट्रेलिया अपने मनमाफिक स्कोर तक नहीं पहुँच सका। धोनी ने 50 में से 33 ओवर स्पिनरों से करवाए।
टॉस हारने के बावजूद टीम इंडिया ने मोटेरा स्टेडियम में जमा 65 हजार दर्शकों को अपने प्रदर्शन से कायल बना दिया और भारतीय टीम के प्रदर्शन पर उठती अँगुलियों को तालियाँ पीटने पर मजबूर कर डाला। इस मैच का लुत्फ लेने के लिए विशेष दर्शक दीर्घा में देश के जानेमाने उद्योगपति मुकेश अंबानी, उनकी पत्नी नीता अंबानी के अलावा गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी भी मौजूद थे और वाकई भारतीय खिलाड़ियों ने मंत्रमुग्ध करने वाला प्रदर्शन करके किसी को निराश नहीं किया।
इस सनसनीखेज और बेहद दिलचस्प मैच में भारतीय स्पिन का मुकाबला दुनिया के सबसे खतरनाक आक्रमण ऑस्ट्रेलिया से था। जब शॉन टेट ने अपनी पहली गेंद डाली तो उसकी रफ्तार थी 154.5 किलोमीटर थी। सचिन तेंडुलकर ने सहवाग के साथ पहले विकेट के लिए 44 रनों की भागीदारी की।
WD
सचिन ने एक बार फिर अपने 'क्लास' के दीदार कराए। कलाइयों का जादू, बेहरतीन कवर ड्राइव और ऑस्ट्रेलिया के विध्वंसक आक्रमण के सामने मानसिक दृढ़ता का परिचय सचिन ने बखूबी से दिया। सचिन ने गुजरात की उसी जमीन पर अपने वनडे करियर के 18 हजार रन पूरे किए, जिस जमीन पर उन्होंने अपने टेस्ट करियर का पहला दोहरा शतक न्यूजीलैंड के खिलाफ जमाया था। सचिन ने टीम की जीत के लिए जमीन तैयार की और युवराज व रैना ने 'रन बरसाते' हुए एक ऐसा करिश्मा कर डाला, जिसकी कल्पना पोंटिंग ने कभी नहीं की थी।
इस मैच में जीत के लिए मिले 261 रनों के लक्ष्य की तरफ गौतम गंभीर और युवराज आसानी से बढ़ रहे थे, तभी अचानक गंभीर 50 रन पर अपनी ही गलती से रन आउट हुए। तब भारत को 98 गेंदों में 92 रन चाहिए थे। इसके बाद कप्तान धोनी भी 7 रन पर ब्रेट ली की गेंद पर पैवेलियन लौट गए। यहीं से भारत पर दबाव आ गया और हमेशा की तरह युवराज सिंह पर भारत की नैया पार लगाने की अहम जिम्मेदारी आ गई।
पोंटिंग ने शॉर्टपिच गेंदों से भयभीत करने के लिए ब्रेट ली के साथ शॉन टेट को लगा रखा था और देखते ही देखते युवराज ने चतुराई के साथ रन बटोरना शुरु किए। भारत की राह आसान करने में ब्रेट ली (40वें ओवर में 14 रन देकर) और शॉन टेट (41वें ओवर में 11 रन देकर) का भी भरपूर योगदान रहा क्योंकि धोनी के आउट होने के वक्त स्कोर 5 विकेट पर 187 रन था। 75 गेंदों में 74 रनों की दरकार थी और यहीं से साँस ऊपर-नीचे होने लगी। सनसनी के साथ दिल की धड़कनों पर काबू रखना मुश्किल हो गया।
एक समय जहाँ 62 रन और 64 गेंदें थी, वो घटकर 45 रन 56 गेंद, 15 रन 27 गेंद रह गई और जैसे-जैसे वक्त बीता, भारतीय बल्लेबाज ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों पर हावी होते चले गए। युवराज (नाबाद 57) ने आज भी अपना किरदार ईमानदारी के साथ निभाते हुए न केवल सुरेश रैना (नाबाद 34) के साथ 61 गेंदों में 74 रनों की साझेदारी निभाई, बल्कि वे भारत को सेमीफाइनल में पहुँचाकर ही बाहर आए। युवराज विश्वकप के चार मैचों में 'मैन ऑफ द मैच' बनकर नया कीर्तिमान रच चुके हैं।
आगे क्या होगा : भारत को सेमीफाइनल में पाकिस्तान का सामना 30 मार्च को करना है। दोनों ही देशों की यही ख्वाहिश रहती है कि वे चाहे जिस टीम से हार जाए लेकिन न तो भारत पाकिस्तान से हारना चाहता है और न ही पाकिस्तान भारत से। दरअसल जब भारत-पाकिस्तान मैदान में होते हैं तो क्रिकेट नहीं, वह 'जंग का मैदान' बन जाता है।
मोहाली युवराज और हरभजन का घरु मैदान है और यहाँ पर वे सर्वश्रेष्ठ खेल के बूते पर फाइनल में पहुँचना चाहेंगे। दोनों ही टीमों में उम्दा स्पिन गेंदबाज है। जहाँ भारत के पास जहीर जैसा काबिल तेज गेंदबाज है तो पाकिस्तान के लिए उमर गुल विकेट बटोर रहे हैं। अफरीदी की फिरकी भी सिर चढ़कर बोली है। इस विश्वकप में उनके नाम 21 विकेट हैं। युवराज सिंह ने इस विश्वकप में खेले 7 मैचों में 332 रन बनाए हैं, जिसमें 3 अर्धशतक एक शतक शामिल है।
रिकॉर्ड भारत के साथ : विश्वकप में भारत और पाकिस्तान के बीच अब तक कुल 4 बार टक्कर हुई है और चारों ही प्रसंगों पर भारत ने पाकिस्तान को हराया है। टी-20 विश्वकप में भारत के सामने दो बार पाकिस्तान आई है और दोनों बार भारत ही विजयी रहा है। इसके अलावा आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी में भारत और पाक के बीच 2 मुकाबले हुए और यहाँ पर दोनों ही बार पाकिस्तान विजयी रही है।
भारत ने जिस प्रकार का प्रदर्शन मोटेरा में किया है, वैसा ही नहीं, उससे कहीं ऊँचे दर्जे का प्रदर्शन पाकिस्तान के खिलाफ करना होगा। वैसे ज्यादा दबाव पाकिस्तान पर रहेगा और अतीत इस बात का गवाह है कि पाकिस्तान भारत की जमीन पर कभी भी उससे पार नहीं पा सका है, लिहाजा ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग की सोच सही है कि ऐसे प्रदर्शन से भारत सेमीफाइनल में पाकिस्तान को हरा देगा।
ऐसा होना भी चाहिए...यकीनन फाइनल से पूर्व एक और फाइनल मोहाली में खेला जाएगा, और इसका इंतजार दोनों ही मुल्कों की अवाम को भी होगा क्योंकि ये नई सदी का अब तक का सबसे बड़ा मुकाबला रहेगा।