पूरी दुनिया की क्रिकेट बिरादरी और सट्टेबाजों की नजर भारतीय टीम पर टिकी हुई है और जैसे-जैसे दिन गुजर रहे हैं, वैसे-वैसे धड़कनें भी तेज होती जा रहीं हैं। भारत में सिर्फ एक ही चर्चा है... ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल की नहीं, बल्कि भारत के लगातार दूसरी बार विश्व चैम्पियन बनने की...टीम इंडिया के कप्तान धोनी एक बार फिर देशवासियों को विश्व कप का तोहफा दें, इसमें क्या 'लेडी लक' अपनी निर्णायक भूमिका अदा करेगा?
महेंद्र सिंह धोनी और साक्षी रावत का विवाह 4 जुलाई 2010 को हुआ था। विवाह के 9 माह भी पूरे नहीं हुए थे कि 2 अप्रैल 2011 में धोनी के धुरंधरों ने नायाब प्रदर्शन करते हुए 28 बरस के बाद दूसरी बार भारत को आईसीसी विश्व कप में चैम्पियन बनवा दिया। पूरी दुनिया ने देखा कि धोनी के लिए साक्षी 'लकी' साबित हुई। इसके बाद तो वे टीम इंडिया के साथ-साथ अपनी आईपीएल टीम को चैम्पियन बनाते चले गए।
धोनी की जिंदगी की दहलीज पर एक बार फिर 'लेडी लक' ने दस्तक दी है, वो भी चुपचाप...दबे पांव...धोनी की पत्नी ने 6 फरवरी को गुड़गांव के अस्पताल में एक परी को उस वक्त जन्म दिया, जब बेटी के पापा विश्व कप की तैयारियों में मसरूफ थे।
विश्व कप के पहले टीम इंडिया की जो बुरी हालत थी, तब कहा जा रहा था कि धोनी विश्व कप के बीच में भारत लौट आएंगे, लेकिन बेटी 'जीवा' (ziva) के जन्म पर उन्होंने कहा कि मेरी प्राथमिकता टीम इंडिया है, दूसरी बातें इंतजार कर सकती हैं।
जाहिर है कि इंतजार करने वाली बात उन्होंने अपनी बेटी के लिए कही है, जिसे उन्होंने अब तक नहीं देखा है।याद रहे कि धोनी साढ़े चार माह से ऑस्ट्रेलिया दौरे पर हैं और उनकी पत्नी तभी से दूर हैं। 23 दिसम्बर को साक्षी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा था...का काउंट डाउन शुरू...साक्षी की दिली ख्वाहिश यही है कि उनके पति अपनी बेटी को गोद में उठाने से पहले देश के लिए विश्व कप अपने हाथों में लें...
भारत में अक्सर कहा जाता है कि विवाह के बाद आदमी का भाग्य बदल जाता है और यदि क्रिकेटरों में देखें तो सुनील गावसकर, मोहिंदर अमरनाथ, कपिल देव, सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली से लेकर वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर तक के क्रिकेटरों ने जीवनसंगिनी आने के बाद शोहरत के साथ दौलत भी कमाई है। यकीन मानिए कि 'लेडी लक' कहीं न कहीं अपनी छाप छोड़ता ही है...
टीम इंडिया के कप्तान धोनी अब पिता बन गए हैं और कन्या के भाग्य से वे विश्व कप चैम्पियन बनने से महज दो कदम के फासले पर हैं। कहना बहुत आसान लगता है...अब सिर्फ दो मैच..लेकिन ये दो मैच कितने हाईवोल्टेज के रहने जा रहे हैं, इसका अंदाजा सिर्फ और सिर्फ 70 गज के घेरे में रहने वाले धोनी के 11 धुरंधर ही जान सकते हैं, महसूस कर सकते हैं।
जिस बांग्लादेश की टीम के खिलाफ टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने 2004 में बिना खाता खोले अपने एक दिवसीय क्रिकेट की शुरुआत की थी, उसी टीम को अपने कुशल नेतृत्व में 109 रनों से रौंदकर विश्व कप के सेमीफाइनल की दहलीज पर कदम रखा और इसी के साथ उन करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में उस आस को फिर से जगा दिया, जो उनके हाथों में दूसरी बार विश्व कप देखता चाहते हैं।
धोनी ने इस विश्व कप में लगातार 7 जीत के घोड़े पर भारत को सवार करवाया और रिकॉर्ड बना डाला। साथ ही अपनी कप्तानी में भारत को 'जीत का शतक' लगाकर खुद को दुनिया के तीसरे कप्तान की कतार में खड़ा कर लिया।
इस विश्व कप में पूरी दुनिया भारतीय सूरमाओं के इस हैरतअंगेज प्रदर्शन से दंग है। भारतीय न्यूज टीवी चैनलों पर आ रहे पूर्व क्रिकेटर और टीवी पर लाइव कमेंटरी करने वाले अपने जमाने के कई क्रिकेटर आज धोनी और टीम इंडिया की आरती उतारते थक नहीं रहे हैं। इनमें से कई वो भी हैं, जिन्हें इस टीम पर शंका थी कि 2015 के विश्व कप में पता नहीं क्या गुल खिलाएगी? खासकर तब, जब चयनकर्ताओं ने युवराज, गंभीर, सहवाग, हरभजन सिंह को बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
ऑस्ट्रेलियाई पिचों पर भारतीय गेंदबाजों ने कहर ढाया तो बल्लेबाजों ने अपनी बाजुओं में फौलाद भरा। इन सात मैचों में टीम के प्रदर्शन को देख लीजिए, पूरी सेट टीम खेली और क्रिकेट की तीनों विधाओं (बल्लेबाजी, गेंदबाजी, क्षेत्ररक्षण) में नए मापदंड स्थापित किए।
टीम इंडिया ने मैच-दर-मैच सेमीफाइनल तक का सफर तय किया। सातों मैचों में विरोधी टीमों के सभी विकेट आउट लेकर गेंदबाजों ने कप्तान के भरोसे को जिलाए रखा। मैदान में इस वक्त धोनी का अनुभव साफ दिखाई दे रहा है।
विश्व कप 2015 का फाइनल 29 मार्च को मेलबर्न में खेला जाना है। उसके पहले भारत को 26 मार्च को ऑस्ट्रेलिया जैसी ताकतवर टीम से पार पाना होगा। जिस तरह पिछले सात मैचों में से हर मैच में एक नायक उभरा है, ठीक वही हाल सेमीफाइनल में भी होना चाहिए। सात मैचों में 6 मैच खेलकर 17 विकेट हासिल करने वाले मोहम्मद शमी को सिडनी की पिच पर कमाल दिखाना होगा, तभी 125 करोड़ भारतीय जश्न मना पाएंगे।