विश्वकप 1992 सेमीफाइनलः जब 1 गेंद में मिला 22 रन बनाने का लक्ष्य

शनिवार, 24 जनवरी 2015 (15:10 IST)
अभी तक 10 विश्वकप मुकाबले खेले जा चुके हैं। इस दौरान टीमों के बीच कई मर्तबा बेहतरीन जंग देखी गई। लेकिन 1992 के विश्वकप का सेमीफाइनल मुकाबला उन सब मुकाबलों से भिन्न ही नहीं बल्कि बेहतरीन मुकाबला है।


विश्वकप 1992 का यह दूसरा समीफाइनल मैच इंग्लैंड और पहली बार विश्वकप में शिरकत करने वाली दक्षिण अफ्रीका के मध्य खेला गया। बारिश से प्रभावित इस मुकाबले को 45 ओवर का कर दिया गया।

इंग्लैंड टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए निर्धारित 45 ओवरों में ग्राहम हिक के बेहतरीन 83 रन की बदौलत 252 रन का एक भारी भरकम स्कोर खड़ा किया।

जवाब में बल्लेबाजी के लिए उतरी दक्षिण अफ्रीका ने बढ़िया खेल दिखाया। 

दक्षिण अफ्रीका के एंड्रयु हडसन समेत एंड्रयु क्यूपर ने बेहतरीन बल्लेबाजी की। इसी बीच जोंटी रोड्स ने अपनी तेज तर्रार बल्लेबाजी से स्कोर को तेजी से बढ़ाने में मदद की।

लेकिन, जब मैच कांटे की टक्कर लड़ रहा था उसी दौरान बारिश ने खलल डाल दी। इस समय दक्षिण अफ्रीका का स्कोर 43 ओवरों में 232 रन था और अगले दो ओवरों में उसे मैच जीतेन के लिए 21 रन चाहिए थे। बारिश के खलल पड़ने से मैच को बीच में ही रोक दिया गया और अंत में जो निर्णय आया वह पूरी तरह से हतप्रभ करने वाला निर्णय था।

 डकवर्थ लुईस नियम के मुताबिक साउथ अफ्रीका को जीतने के लिए 1 गेंद में 21 रन चाहिए थे। जो नामुमकिन था। इस तरह दक्षिण अफ्रीका को यह मैच गंवाना पड़ा। दक्षिण अफ्रीका हर विश्वकप में महत्वपूर्ण टीम रही है, लेकिन कभी अपने दुर्भाग्य के टैग को निकाल नहीं पाई और हमेशा से पिछड़ती रही। 1999 के सेमीफाइनल में फिर पहुंचने वाली दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के बीच होने वाले मैच में साउथ अफ्रीका को मैच ड्रा होने के चलते विश्वकप से बाहर होना पड़ा।  
 

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