कोलकाता। भारत के लिए विश्व कप में ट्रम्प कार्ड साबित हो रहे मोहम्मद शमी एक नई बात को लेकर आजकल सुर्खियों में हैं। आईसीसी विश्व कप-2015 में गेंद से जबरदस्त प्रदर्शन करने वाले भारतीय तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी के लिए उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव सहसपुर से निकलकर कोलकाता के एक क्रिकेट क्लब से जुड़ना अहम फैसला साबित हुआ।
विश्व कप-2015 में शमी भारतीय टीम के लिए सबसे बड़ी उम्मीद बन कर उभरे हैं तथा उनके लिए यह विश्व कप किसी स्वप्न सरीखा साबित हुआ है।
विश्व कप के पूल मैचों में 15 विकेट हासिल कर चुके शमी फिलहाल सबसे ज्यादा विकेट लेने के मामले में दूसरे स्थान पर हैं। उनके आगे केवल ऑस्ट्रेलिया के मिशेल स्टार्क (16 विकेट) हैं।
इसी विश्व कप के दौरान नौ मार्च को जीवन के 25 वर्ष पूरे करने वाले शमी ने अपनी अनुशासित गेंदबाजी की बदौलत न केवल प्रशंसकों तथा आलोचकों का दिल जीता बल्कि उस खोज को भी खत्म किया जब भारतीय टीम को भुवनेश्वर कुमार के अस्वस्थ होने के बाद एक ऐसे गेंदबाज की जरूरत थी जो तेज आक्रमण की अगुवाई कर सके।
आज शमी भले ही आसमान की ऊंचाइयों पर नजर आ रहे हों लेकिन उनकी शुरुआत बेशक इतनी आसान नहीं रही थी।
कोलकाता आने के बाद शमी को कई रातें क्लब के शिविर में गुजारनी पड़ी थीं। अपने शुरुआती दिनों में वह एक मैच से महज 500 रुपए कमा पाते। परिवार से दूर रहने और अकेलेपन के अहसास ने शमी को समय बिताने के लिए ज्यादा से ज्यादा अभ्यास करने के लिए प्रेरित किया।
वह अभ्यास और मेहनत आज रंग ला रही है। भारतीय टीम इस बार अगर विश्व चैम्पियन बनती है तो इस अभियान में निश्चित ही उनकी भूमिका अहम होगी।