व्यक्ति आधुनिक जीवन शैली में इतना व्यस्त है कि उसे अपने शरीर का भान नहीं रहता। यही वजह है कि रोग से ग्रस्त हो जाने के बाद ही उसे पता चलता है कि शरीर रोगी बन गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। अब उसे डॉक्टर या भगवान ही बचा सकता है। लेकिन योग में एक ऐसी विद्या है जिससे रोग होने की आपको पूर्व सूचना मिल जाता है। इस विद्या का नाम है अंतर स्वर मुद्रा योग।
अंतर स्वर मुद्रा की विधि :- सर्व प्रथम किसी भी सुखासन में बैठकर अपनी दोनों आंखों को बंद कर लें। फिर अपने दोनों हाथों से अपने दोनों कानों को जोर से बंद करें जिससे की बाहर की कोई भी आवाज आपको सुनाई ना दें। कुछ देर बाद कानों में अजीब-सी सांय-सांय की आवाज गूंजने लगेगी। इसे ही अंतर स्वर मुद्रा कहते हैं। इसका अभ्यास बढ़ने के साथ ही सांय-सांय की आवाज बंद होकर शरीर के भीतर के प्रत्येक अंग की आवाज स्पष्ट सुनाई देने लगेगी। फिर धीरे-धीरे आवाज के साथ ही प्रत्येक अंग के स्वस्थ या रोगी होने महसूस होने लगेगा।