संयम को इस तरह साधें

मंगलवार, 31 जुलाई 2012 (15:53 IST)
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योग के दूसरे अंग नियम का उपांग 'तप' का शुरुआती अंग है संयम। जीवन में संयम जरूरी है। संयम से जहां किसी भी प्रकार का रोग मिटाया जा सकता है वहीं हर तरह की बुरी आदतों से भी छुटकारा पाकर मानसिक दृढ़ता पायी जा सकती है। संयम की शुरुआत संकल्प और व्रत से होती है।

संयम ही तप है। ठेठ भाषा में कहें तो ठान लेना, जिद करना या हठ करना। यदि आप व्यसन करते हो और संयम नहीं है तो मरते दम तक उसे नहीं छोड़ पाओगे। इसी तरह गुस्सा करने या ज्यादा बोलने की आदत भी होती है।

संयम की शुरुआत : संयम का अर्थ धैर्य नहीं है। धैर्य रखना जरूरी है तभी संयम की शुरुआत होगी। संयम की शुरुआत आप छोटे-छोटे संकल्प से कर सकते हैं। संकल्प लें कि आज से मैं वहीं करूंगा, जो मैं चाहता हूं। मैं चाहता हूं खुश रहना, स्वस्थ रहना और सर्वाधिक योग्य होना।

व्रत को अपनाएं : व्रत से भी संयम साधा जा सकता है। आहार-विहार, निंद्रा-जाग्रति और मौन तथा जरूरत से ज्यादा बोलने की स्थिति में संयम से ही स्वास्थ्य तथा मोक्ष घटित होता है। संयम नहीं है तो यम, नियम, आसन आदि सभी व्यर्थ सिद्ध होते हैं। व्रत को उपवास भी कह सकते हैं

संयम का महत्व : जीवन में संयम बहुत जगह काम आता है। मानसिक संयम होना जरूरी है। मानसिक संयम में खासकर वाक संयम बहुत जरूरी है। असंयमित भाषा से जहां आपका मन खराब होता है वहीं आपके आसपास का माहौल भी खराब हो जाता है।

शारीरिक संयम से आप सेहतमंद बने रहेंगे- इसमें खासकर आहार संयम से आप जहां सभी तरह के रोग से बच सकते हैं वहीं यह आपको सेहतमंद बनाए रखने में सक्षम है। आहार संयम का अर्थ है कि आप वही खाएं और पीएं जिसकी शरीर को आवश्यकता है।

संयम जीवन के हर मोड़ पर काम आता है
- वेबदुनिया

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