1.शुद्ध वायु का सेवन : प्राचीन ऋषि कहते हैं कि वनों से वायु, वायु से आयु प्राप्त होती है। यदि आपके घर के आसपास अच्छे वृक्ष (पौधे नहीं) नहीं है तो उन्हें लगाएं। शरीर की वायु को शुद्ध करने के लिए प्राणायाम को अपनी नियमित जीवन शैली में शामिल कर लें। आपको शायद यह तो पता ही होगा कि कछुआ लगभग 150 वर्ष तक इसलिए जिंदा रहता है क्योंकि उसकी श्वास लेने की गति बहुत ही धीमी है और वह शुद्ध वायु को ही अपने भीतर ग्रहण करता है।
2.उत्तम अन्न-जल : गुरुवार और एकादशी का उपवास रखते हुए उत्तम भोजन और जल को अपनाएं। उत्तम अर्थात जिस शाकाहारी भोजन से शरीर को सभी तरह के विटामिन, खनिज, कैल्शियम, ऑयरन आदि प्राप्त होते हों। साथ ही जल की प्रकृति को समझना जरूरी है। शुद्ध जल ही पर्याप्त नहीं होता बल्कि आपके शरीर के टेम्परेचर के हिसाब से जल ग्रहण करें। भोजन करने और जल पीने के आयुर्वेदिक नियमों का पालन करें। यदि आप सीधे प्रकृति से प्राप्त ही भोजन करेंगे तो अति उत्तम होगा।
3.रोज योगासन करें : जितनी जल्दी हो सके योग के सभी क्रिया, कर्म, आसन आदि सीख लें। फिर भले ही नियमित रूप से आसन ही करें और जरूरत होने पर क्रियाएं करें। यह बहुत जरूरी है कि आप यह जान लें कि यौगिक क्रियाएं किस तरह से कार्य करती हैं।