कहीं उत्तरपुस्तिकाएँ तालाब में मिल रही हैं तो कहीं नेट एक्जाम के एडमिट कार्ड कूड़ेदान की शोभा बन रहे हैं। कहीं फर्जी मार्कशीट से नौकरी हथियाने का गोरखधंधा सामने आ रहा है। आखिर हमारी शिक्षा व्यवस्था कहाँ जा रही है। स्टूडेंट्स चंद नंबरों के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हैं तो टीचर और प्रोफेसर भारी-भरकम तनख्वाह के बावजूद कुछ रुपयों में डफर को टॉपर बनाने पर राजी।