बच्चों से पुलिसिया सलूक कितना सही?

कोलकाता के ला मार्टिनियर स्कूल के 13 वर्षीय छात्र रोवनजीत रावला को स्कूल के प्रधानाध्यापक बेंत से इतना मारा कि किशोर ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। उक्त घटना की कड़ी निंदा हो रही है। मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने भी इसे गलत बताते हुए इसकी जाँच करने को कहा है।

सवाल यह है कि इस तरह पुलिसिया स्टाइल में बच्चों को पढ़ाने का तरीका क्या सही है? क्या थर्ड डिग्री का इस्तेमाल किए बिना बच्चों को अच्छी तालीम नहीं दी जा सकती? कुछ लोगों की नजर में स्टूडेंट्स की भलाई के लिए ही टीचर उन पर हाथ उठाते हैं, लेकिन कुछ का मानना है कि इससे उनके कोमल मन में शिक्षा के खिलाफ नफरत घर करती है। आप क्या सोचते हैं?

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