कानून की दुनिया में बेबाक कैरियर

इसमें दो राय नहीं है कि आज व्यक्तिगत जीवन में ही नहीं, कंपनी और संगठन के स्तर पर भी कानूनी सलाहकारों की जरूरत बढ़ी है। कानून के विभिन्न क्षेत्रों जैसे सिविल लॉ, कॉर्पोरेशन लॉ, क्रिमिनल लॉ, इंटरनेशनल लॉ, पेटेंट लॉ, टेक्स लॉ, लेबर लॉ, एडमिनिस्ट्रेटिव लॉ, संवैधानिक लॉ में विशेषज्ञता हासिल कर रोजगार पाया जा सकता है।

कानून के क्षेत्र में कैरियर के लिहाज से आज बहुत चमकीली संभावनाएं हैं। अब न्यायिक प्रक्रिया से जुड़ना सामाजिक ही नहीं, पैसे और रुतबे के नजरिए से भी बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। वैश्वीकरण और उसके बाद समाज में आए सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों के बाद तो नए कानूनों के बनने में इतनी तेजी आई है कि लॉ से जुड़े अच्छे विशेषज्ञों की कमी-सी हो गई है। नए रोजगार सर्वे इंगित कर रहे हैं कि भारतीय लॉ ग्रेजुएट्स की मांग देश में ही नहीं, दुनिया के विकसित और विकासशील देशों में भी है।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि आज व्यक्तिगत जीवन में ही नहीं, कंपनी और संगठन के स्तर पर भी कानूनी सलाहकारों की जरूरत बढ़ी है। कानून के विभिन्न क्षेत्रों जैसे सिविल लॉ, कॉर्पोरेशन लॉ, क्रिमिनल लॉ, इंटरनेशनल लॉ, पेटेंट लॉ, टेक्स लॉ, लेबर लॉ, एडमिनिस्ट्रेटिव लॉ, संवैधानिक लॉ आदि में विशेषज्ञता हासिल कर रोजगार पाया जा सकता है।

एलएलबी की डिग्री के साथ कई शिक्षण संस्थान लॉ के कई सहायक कोर्स भी चलाते हैं, ये डिप्लोमा कोर्स के तौर पर संचालित किए जाते हैं। इनके तहत इंटरनेशनल लॉ, साइबर लॉ, पेटेंट एंड कॉपीराइट लॉ लेबर लॉ, टेक्स लॉ आदि के डिप्लोमा कोर्स की विशेष मांग है।

प्रमुख लॉ कैरियर इस प्रकार हैं -

साइबर लॉ - वर्तमान युग सूचना प्रौद्योगिकी का है। अतः वर्तमान समय में इंटरनेट एवं सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र को रेग्यूलेट करने हेतु जिस लॉ की आवश्यकता होती है, उसे साइबर लॉ कहते हैं। जीवन में सूचना प्रौद्योगिकी के बढ़ते प्रभाव के कारण इस क्षेत्र में रोजगार के असीमित अवसर हैं।

इंटरनेशनल लॉ - इंटरनेशनल लॉ का अर्थ होता है अंतरराष्ट्रीय कानून। इसके तहत विभिन्न राष्ट्रों के रहवासियों एवं व्यवसायियों के साथ-साथ राष्ट्रीय हितों के मध्य उत्पन्न होने वाली समस्याओं को इस कानून के द्वारा सुलझाया जाता है। इस क्षेत्र में करियर के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी उजले अवसर विद्यमान हैं।

पेंटेट एंड कॉपीराइट लॉ - विभिन्न उत्पादों के पेटेंट एवं कॉपीराइट की समस्याओं के समाधान हेतु इस लॉ की आवश्यकता होती है। इस क्षेत्र में कैरियर के चमकीले अवसर हैं।

लेबर लॉ - कर्मचारियों के अधिकार एवं उनकी समस्याओं के समाधान के लिए लेबर लॉ बनाया गया है। इस क्षेत्र में भी रोजगार की उजली संभावनाएं हैं।

टेक्स लॉ - विभिन्न प्रकार के उद्योग व्यापारों के दौरान विभिन्न प्रकार की कर समस्याओं एवं अन्य प्रकार की वैयक्तिक टेक्स समस्याओं का समाधान टेक्स लॉ एक्सपर्ट्स करते हैं। कॉर्पोरेट क्षेत्रों में टैक्स लॉ विशेषज्ञों की खासी मांग है।

सिविल जज परीक्षा - लॉ को करियर के रूप में चुनने वाले अधिकांश विद्यार्थियों का सपना होता है न्यायिक सेवा परीक्षा में चयनित होकर सिविल न्यायाधीश का पद प्राप्त करना। सिविल न्यायाधीश (सिविल जज) का पद वर्तमान में काफी प्रतिष्ठापूर्ण है। इसमें धनोपार्जन के साथ ही साथ सम्मान, प्रतिष्ठा एवं उन्नति के बहुत उजले अवसर विद्यमान हैं। देश के सभी राज्यों में सिविल जज परीक्षा आयोजित की जाती है।

सिविल जज के प्रतिष्ठापूर्ण पद के अतिरिक्त वकीलों को संघ लोक सेवा आयोग द्वारा उनके अनुभव के आधार पर केंद्रीय सेवाओं में भी नियुक्त किया जाता है। केंद्रीय स्तर पर लॉ ऑफिसर, लीगल एडवाइजर, डिप्टी लीगल एडवाइजर आदि केपद हैं। राज्यों में राज्य पुलिस, राजस्व एवं न्यायिक विभागों में वकीलों की नियुक्ति की जाती है। विभिन्न स्तर के अधीनस्थ न्यायालयों में न्यायिक दंडाधिकारी, जिला एवं सत्र न्यायाधीश, सब मजिस्ट्रेट, लोक अभियोजक, एडवोकेट जनरल, नोटरी एवं शपथ पत्र आयुक्त के पद उपलब्ध हैं।

इनके अतिरिक्त वकील फर्मों, संस्थानों और परिवार के लिए कानूनी सलाहकार के रूप में कार्य कर सकता है। यदि कोई अधिवक्ताके रूप में वकालत की प्रैक्टिस करना चाहता है तो उसे संबंधित स्टेट बार काउंसिल को निर्धारित प्रपत्र में आवेदन करना होता है। कई प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले प्रतिमाह लाखों में कमाते हैं।

कॉर्पोरेट घरानों और कंपनियों से जुड़े वकीलों का भी वेतन आकर्षक होता है। सरकारी स्तर पर जजों तथा अन्य लॉ सेवकों का वेतन, वेतन आयोग द्वारा निर्धारित है। इसी तरह सॉलीसिटर, पब्लिक डिफेंडर, अटॉर्नी जनरल, एडवोकेट जनरल और डिस्ट्रिक अटॉर्नी जैसे पद भी पाए जा सकते हैं। कई जगह कंपनी सेक्रेटरी के रूप में और लॉ रिपोर्ट लिखने हेतु राइटर की भूमिका में भी रोजगार पाया जा सकता है। शिक्षण और रक्षा सेवा में भी जाने के विकल्प इस पेशे में हैं।

लॉ के क्षेत्र में किसी भी कैरियर के लिए एलएलबी की डिग्री अनिवार्य है। कोई एक दशक पहले तक लॉ की शिक्षा सामान्य रूप से तीन वर्ष के एलएलबी कोर्स के रूप में होती थी। पहले स्नातक डिग्री के उपरांत ही लॉ की पढ़ाई की जा सकती थी। लॉ में स्नातकोत्तर (एलएलएम) की अवधि दो वर्ष की है। इसमें दाखिला लेने की न्यूनतम योग्यता एलएलबी की डिग्री है।

पिछले कुछ समय से पांच वर्षीय नया लॉ पाठ्यक्रम उभरकर सामने आया है। यह पाठ्यक्रम विशेष रूप से बारहवीं कर चुके विद्यार्थियों के लिए है। वर्तमान में सामान्य के साथ विशेषज्ञता वाले लॉ विश्वविद्यालय भी इस पांच वर्षीय प्रणाली के अंतर्गत लॉ विषय की शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।

सभी लॉ विश्वविद्यालय अपने पांच वर्षीय डिग्री पाठ्यक्रम में लिखित प्रवेश परीक्षा के आधार पर प्रवेश देते हैं। इस परीक्षा में शामिल होने के लिए शैक्षणिक योग्यता कम से कम पचास प्रतिशत अंकों के साथ बारहवीं परीक्षा उत्तीर्ण होना आवश्यक है।

यहां से कर सकते हैं कोर्स

जवाहर लाल नेहरू, यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली।

फैकल्टी ऑफ लॉ, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली।

सिंबायोसिस जनसंचार संस्थान, सेनापति बापट मार्ग, पुणे।

नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी, पोस्ट बॉक्स 7201, नागरभवी, बेंगलुरु।

आईएलएस, लॉ कॉलेज रोड, पुणे।

नेशनल लॉ कॉलेज, भोपाल।

देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर।

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