उत्तरप्रदेश के नए-नए मुख्यमंत्री बने अखिलेश यादव की चर्चा सभी ओर बड़े जोर-शोर से हो रही है और हो भी क्यों न विधानसभा चुनाव में जीत का सारा श्रेय उन्हीं को तो जाता है। सपा (समाजवादी पार्टी) कार्यकर्ताओं के यह यूथ आइकन आज बहुत से युवाओं के भी यूथ आइकन बन चुके हैं। इसके साथ ही वे उत्तरप्रदेश की बागडोर संभालने वाले सबसे युवा मुख्यमंत्री भी बन गए हैं।
समझदारी से पाई यूपी की बागडोर : अपनी समझ और सूझबूझ का जो उदाहरण अखिलेश ने पेश किया है वह वाकई काबिल-ए-तारीफ है। इसी के सहारे उनकी पार्टी ने उत्तरप्रदेश की 403 सीटों में से 224 सीटें हासिल की हैं। अखिलेश स्वभाव से विनम्र और कम बोलने वाले व्यक्ति हैं, लेकिन मौका पड़ने पर किस तरह लोगों को अपनी बातों से सहमत कराया जाए यह उन्हें बखूबी आता है और उनकी इन्हीं बातों का जादू मतदाताओं के सर चढ़कर बोला है। इस जादू के चलते ही आज यूपी की सत्ता उनके हाथों में है।
एक आकर्षक राजनीतिक व्यक्तित्व के धनी अखिलेश का जन्म 1 जुलाई 1973 को यूपी के इटावा जिले में सैफई नामक गांव में हुआ। इनके पिताजी यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और राजनीति के क्षेत्र में जाने माने शख्स मुलायम सिंह यादव हैं। अखिलेश ने अपनी प्राइमरी शिक्षा इटावा के सेंट मेरी स्कूल से की। इसके बाद उन्होंने राजस्थान में धौलपुर के सैनिक स्कूल से अपनी आगे की पढ़ाई की।
अंग्रेजी नहीं हिन्दी प्रेमी हैं अखिलेश : अपनी स्कूली पढ़ाई के बाद उन्होंने मैसूर के श्री जयचामाराजेंद्र कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से सिविल इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री हासिल की और एंवायरमेंट इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल करने ऑस्ट्रेलिया की सिडनी यूनिवर्सिटी गए और महज इसी कारण लोग उन्हें फॉरेन एजुकेटेड कहते हैं जबकि उनकी अधिकांश पढ़ाई भारत में ही हुई है।
इसके साथ ही अखिलेश हिन्दी के भी समर्थक है। अपने साथियों से तो वे अच्छी अंग्रेजी में बात करते हैं, लेकिन जब सार्वजनिक तौर पर बोलने का मौका आता है तब वे हिन्दी को ही प्राथमिकता देते हैं और इतना ही नहीं किसी इंटरव्यू में अंग्रेजी में सवाल पूछे जाने पर भी वे जवाब हिन्दी में ही देना पसंद करते हैं।
फुटबॉल और साइकिलिंग का है शौक : उच्च शिक्षित होने के कारण ही अखिलेश पढ़ाई के महत्व को समझ सके और उनकी पार्टी ने छात्रों को फ्री लैपटॉप और कंप्यूटर शिक्षा का आश्वासन दिया, जो उनकी जीत में काम भी आया। राजनेता होने के साथ साथ अखिलेश एक समाज सेवक, इंजीनियरिंग और कृषि विशेषज्ञ भी हैं।
इसके अलावा अखिलेश को फुटबॉल खेलना और साइकिलिंग करना भी पसंद है। श्री जयचामाराजेंद्र कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में अखिलेश एक फुटबॉल प्लेयर भी थे।
जात पात से परे हैं अखिलेश : उन्होंने साल 2000 में कन्नौज क्षेत्र से चुनाव जीतकर पहली बार लोकसभा में प्रवेश किया और तब से अब तक वे तीन बार लोकसभा के सदस्य चुने जा चुके हैं। अखिलेश युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करने हेतु कार्य किया करते थे इसी बात ने उन्हें जात पात से भी परे रखा।
अपने 6 महीने के चुनाव प्रचार के दौरान अखिलेश 10,000 किमी से ज्यादा घूमे हैं जिनमें से लगभग 200 किमी का सफर उन्होंने साइकल से ही तय किया है। इसके साथ ही उन्होंने 800 से ज्यादा रैलियों का आयोजन किया है। अखिलेश में लीडरशिप की बेहतरीन क्वालिटी है जिस कारण लोग उनमें भविष्य के लीडर की छवि देखते हैं।