क्रिकेट के खेल में बल्ले का वही स्थान होता है, जो तलवारबाजी के खेल में तलवार का होता है। प्रोफेशनल क्रिकेटर बनने के लिए जरूरी है कि बल्ला भी सही चुना जाए। क्रिकेट के लिए बेहद क्रेजी इंदौर में हर साल कई युवा, क्रिकेट क्लबों में खेलना शुरू करते हैं। हमारे क्रिकेट एक्सपर्ट्स ने बताया कि पहला लेदर बल्ला खरीदते समय युवा क्रिकेटर्स किन बातों का ध्यान रखें।
सबसे पहला क्रिकेट बल्ला 1624 में बनाया गया था। इसके बाद खेल में बदलाव के साथ बल्लों में भी बदलाव होता गया। 1880 में इसे विलो ब्लेड डिजाइन मिला और आज तक ये लगभग उसी स्वरूप में बनाया जा रहा है। अब तो कई कंपनियों ने फाइबर के हेंडलयुक्त बल्ले बनाने शुरू कर दिए हैं। इंदौर में सीख रहे युवा क्रिकेटर्स अब बल्ले के चुनाव में खासी सावधानी बरतते हैं। एक प्रोफेशनल बल्ला कैसा हो, इसके लिए उनके कोच लगातार अपना मार्गदर्शन देते रहते हैं।
जब बल्ला पहली बार खरीदा जाता है तो वह उसी समय खेलने के लिए तैयार नहीं होता।
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बल्ले की लाइफ बढ़ाने के लिए उसकी ऑइलिंग और नॉक इन की जरूरत होती है। हालाँकि इन दिनों मार्केट में जो बल्ले मिल रहे हैं वे रेडी टू प्ले हैं। इन बल्लों को नॉक-इन करने की जरूरत नहीं होती, किंतु क्रिकेट विशेषज्ञों का कहना है कि यदि नए बल्लों को नॉक-इन नहीं किया जाए तो वे कमजोर हो जाते हैं और समय से पहले ही टूट सकते हैं। आज भी कुछ प्लेयर्स ऐसे हैं, जो बल्ले को ऑइलिंग के साथ नॉक-इन भी करते हैं। नॉक-इन प्रक्रिया में स्ट्रोक खोलने के लिए स्ट्रोक एरिया में पुरानी लेदर बॉल से स्ट्राइक किया जाता है।
हल्का होना चाहिए बल्ला पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर और वर्तमान में इंदौर में कोच की भूमिका निभा रहे अमय खुरासिया ने नए क्रिकेटर्स को अपना पहला बल्ला चुनने के लिए कुछ खास टिप्स दिए हैं, वे इस प्रकार हैं- * हल्का और सस्ता बल्ला खरीदो । * ऐसा बल्ला, जो तुम्हारे हाथों से तलवार की तरह चले। * बल्ले के हेंडल पर ऊपर वाले हाथ की ग्रिप बिलकुल सटीक होना चाहिए। * नीचे वाले हाथ से नहीं, बल्कि ऊपर वाले हाथ से खेलने का प्रयास करो। * बल्ला ऐसा हो, जिसके आखिरी सिरे तक अपना पूरा नियंत्रण हो।
नॉक इन करना न भूलें पूर्व रणजी खिलाड़ी व कोच मुकेश साहनी ने बताया कि उम्र और स्ट्रेंथ के मुताबिक बल्ले का चयन करना चाहिए। छोटी उम्र के बच्चों को हल्का 3-4 नंबर का बल्ला लेना चाहिए, जबकि इससे ज्यादा उम्र के युवा प्रोफेशनल बल्ला खरीद सकते हैं। जैसी फिजिकल स्ट्रेंथ है, उतने ही वजन का बल्ला चुनें। यदि आप रेडी टू प्ले बल्ला भी खरीद रहे हैं तो भी उसे नॉक इन करना चाहिए। इससे बल्ले की उम्र बढ़ जाती है। अब से कुछ साल पहले क्रिकेटर बाकायदा बल्ले की ऑइलिंग भी करते थे, लेकिन अब ये चलन काफी कम हो गया है।
20-20 का मोंगूज 2010 में बल्ला बनाने वाली एक कंपनी मोंगूज ने एक नए क्रिकेट बल्ले के डिजाइन की घोषणा की, जिसे मिनी मोंगूज कहा गया। इस बल्ले का ब्लेड छोटा और हेंडल लंबा था। इसे विशेष रूप से आईपीएल मैचों के लिए डिजाइन किया गया था। इस बल्ले का डिजाइन ऐसा था कि बल्लेबाज चारों दिशाओं में लंबे शॉट मारकर तेजी से रन बटोर सके। एंड्रयू सायमंड्स, मैथ्यू हेडन, स्टुअर्ट लॉ और प्रणीत सिंह भी इसी बल्ले का उपयोग करते हैं। यह बल्ला केवल टी-20 फारमेट के लिए ही सही है, लंबी पारी के लिए इस बल्ले से नहीं खेला जा सकता।
आईपीएल सितारे मेरठ में आईपीएल के बहुत से सितारे अपने लिए पसंदीदा बल्ले खरीदने के लिए मेरठ पहुँच रहे हैं। यहाँ के स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में राजस्थान रॉयल्स के अजिंक्य रहाणे, अभिषेक नायर और धवन कुलकर्णी ने अपनी पसंद के बल्ले बनवाए। इन प्लेयर्स ने अपने लिए 14 बल्ले बनवाए और गौतम गंभीर ने भी यहाँ से अपने लिए बल्ले मँगवाए हैं। गौरतलब है कि मेरठ के बल्लों की धूम पूरे देश में मची हुई है और काफी संख्या में क्रिकेटर्स यहाँ से प्रोफेशनल बल्ले बनवाते हैं।