जेएनयू : नेहरूजी के सपनों को साकार करता विश्वविद्यालय
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स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारत में विश्वविद्यालीय शिक्षा को विशेष महत्त्व दिया। उनका दृढ़ विश्वास था कि विश्वविद्यालय अपने छात्रों के मन में उन आधारभूत मूल्यों को सहेजते हुए राष्ट्र के स्वरूप को बदलने और उसे शक्तिशाली बनाने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं जिनमे वे विश्वास रखते हैं।
इन विचारों को लेकर और ऐसे महान राजनेता को श्रद्धांजलि के देने के लिए 22 दिसंबर 1966 में जेएनयू अधिनियम 1966 (1966 का 53) के अंतर्गत भारतीय संसद द्वारा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की स्थापना की गई।
विश्वविद्यालय का औपचारिक उद्घाटन नेहरूजी के जन्मदिवस 14 नवंबर 1969 को तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरी ने किया। विश्वविद्यालय का उद्देश्य अध्ययन, अनुसंधान, ज्ञान का प्रसार तथा अभिवृद्धि करना है।
पं. जवाहरलाल नेहरू के राष्ट्रीय एकता, सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता, जीवन की लोकतांत्रिक पद्धति, अंतरराष्ट्रीय समझ और सामाजिक समस्याओं के प्रति वैज्ञानिक दॄष्टिकोण जैसे सिद्धांतों के विकास के लिए प्रयास जैसे उद्देश्यों पर भी विश्वविद्यालय अग्रसर है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की स्थापना विशेष रूप से उच्च अध्ययन एवं शोध संस्थान के रूप में की गई थी।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय 36 प्रतिभागी विश्वविद्यालयों के एमएससी (जैव-प्रौद्योगिकी), एमएससी (कृषि जैव-प्रौद्योगिकी), एमवीएस-सी. (एनिमल), जैव-प्रौद्योगिकी और एमटेक जैव-प्रौद्योगिकी पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए संयुक्त जैव-प्रौद्योगिकी प्रवेश परीक्षा सफलतापूर्वक आयोजित कर रहा है। यह प्रवेश परीक्षा अखिल भारतीय स्तर पर विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए होने वाली परीक्षाओं के साथ आयोजित की जाती है।
विश्वविद्यालय में 10 अध्ययन संस्थान और 3 विशेष अध्ययन केंद्र हैं- - अंतरराष्ट्रीय अध्ययन संस्थान। - कम्प्यूटर और पद्धति विज्ञान संस्थान। - कला और सौंदर्यशास्त्र संस्थान। - जीवन विज्ञान संस्थान। - जैव-प्रौद्योगिकी संस्थान। - पर्यावरण विज्ञान संस्थान। - भौतिक विज्ञान संस्थान। - भाषा, साहित्य और संस्कृति अध्ययन संस्थान। - संगणकीय एवं समेकित विज्ञान संस्थान। - सामाजिक विज्ञान संस्थान।
विशेष अध्ययन केंद्र - - आणविक चिकित्सा-शास्त्र केंद्र। - विधि और अभिशासन अध्ययन केंद्र। - संस्कृत अध्ययन केंद्र।