आयोजक थे जानकीप्रसाद सिंह। केन्द्रीय विषय था-विश्व हिन्दी: नई शताब्दी की चुनौतियां। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश राज्य मंत्री दिग्विजय सिंह ने किया। भारत के 200 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इसमें 12 से अधिक देशों के हिन्दी विद्वान शामिल हुए।