वेबदुनिया : ऑनलाइन पत्रकारिता के 19 वर्ष

Webdunia
शुक्रवार, 23 सितम्बर 2016 (08:29 IST)
यूं तो वेबदुनिया को दुनिया का पहला हिन्दी पोर्टल होने का गौरव हासिल है, लेकिन इसके जन्म की कहानी कम रोचक नहीं है। छोटे से एक कमरे से शुरू हुआ यह वेब पोर्टल अब वटवृक्ष का रूप धारण कर चुका है। जिस समय इंटरनेट के क्षेत्र में भाषाई पोर्टल्स के लिए संभावनाएं न के बराबर थीं, उस समय 23 सितंबर 1999 को इसकी शुरुआत हुई। इसको लेकर काम की शुरुआत तो 1998 से ही हो गई थी। सबसे पहले बहुभाषी ई-मेल सेवा ई-पत्र पर काम हुआ था। 
 
भारत में इंटरनेट की शुरुआत 80 के दशक से ही हुई, लेकिन विधिवत रूप से 15 अगस्त 1995 में भारत संचार निगम लिमिटेड ने गेटवे सर्विस लांच कर इसकी शुरुआत की। तब सिर्फ अंग्रेजी की वेबसाइटें होती थीं और सारा काम अंग्रेजी में ही होता था। भारत में इंटरनेट की शुरुआत के महज 3 साल बाद हिन्दी का पहला पोर्टल वेबदुनिया डॉट कॉम लांच हुआ। इसे हिन्दी भाषा के लिए नई क्रांति की शुरुआत माना गया।
वेबदुनिया की जिस समय शुरुआत हुई, उसके संघर्ष की पटकथा भी उसी समय तैयार हो गई थी, क्योंकि जिस देश में ज्यादातर भाषाई समाचार-पत्रों की स्थिति बहुत अच्छी न हो ऐसे में वेब पोर्टल की शुरुआत निश्चित ही एक साहसिक काम था। दूसरे अर्थों में कहें तो यह दुस्साहस था। 
 
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मगर समय के साथ परिस्थितियां भी बदलीं, वेबदुनिया की मेहनत रंग लाई और पाठकों का कारवां बढ़ता ही गया। और ये यात्रा पूरे आत्मविश्वास के साथ जारी है। आज देश ही नहीं, पूरी दुनिया में वेबदुनिया की पहचान है। विदेशों में बसे हिन्दीभाषी भारतीयों की तो खास पसंद बन गया है यह पोर्टल। अगर यह कहें कि किसी व्रत-त्योहार की जानकारी हासिल करने के लिए तो वेबदुनिया उनकी जरूरत बन गया है, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। यदि वेब मीडिया की वर्तमान स्थिति को देखें तो कह सकते हैं कि वेबदुनिया के सीईओ श्री विनय छजलानी का यह काफी दूरदर्शिताभरा कदम था।
 
वेबदुनिया इसलिए भी खास है, क्योंकि जिस जमाने में अखबारों को तोप और तलवारों से ज्यादा ताकतवर और धारदार माना जाता था, ऐसे समय में लोगों को खबर पढ़ने के लिए उनके हाथ में कम्प्यूटर का माउस थमाना वाकई बड़ी बात थी। वेबदुनिया की यही खूबियां उसे औरों से अलग भी करती हैं और आज इस वेब पोर्टल की देश के प्रमुख हिन्दी पोर्टल्स में गिनती होती है।
 
वेबदुनिया ने जब अपने नन्हे कदम इंटरनेट के मंच पर रखे थे, तब आम लोगों के लिए इंटरनेट अंतरिक्ष में चलने वाली कोई वस्तु थी जिसके बारे में जानना अंग्रेजी भाषा में दक्ष लोगों का काम ही हुआ करता था, लेकिन भारत में आज इंटरनेट जन-जन की जरूरत बनता जा रहा है। अब लोगों के लिए इंटरनेट कोई अंतरिक्ष उपग्रह नहीं है बल्कि हाथ में रखा एक जादुई उपकरण मात्र है, जिसके माध्यम से अब वह अपने शहर नहीं, अमेरिका के शहरों से भी जुड़ गया है।
 
इंटरनेट के प्रारंभिक काल में इंटरनेट के संदर्भ में कई भ्रांतियां थीं। इसे पूरी तरह से अंग्रेजी भाषा का माध्यम माना जाता था। वास्तव में हिन्दी में पोर्टल की शुरुआत यह सोचकर की गई कि इंटरनेट जनसंचार का अत्यंत सुगम माध्यम बनता जा रहा है और देश में इसकी पहुंच जन-जन तक बनाने के लिए हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं का सहयोग महत्वपूर्ण साबित होगा।

वेबदुनिया को न सिर्फ पहला हिन्दी पोर्टल होने का गौरव प्राप्त है, बल्कि चार दक्षिण भारतीय भाषाओं समेत आठ भाषाओं में सफलतापूर्वक पोर्टल संचालित हो रहे हैं। ये पोर्टल्स भारत में ही नहीं, विदेशों में भी अत्यंत लोकप्रिय हैं। वेबदुनिया ने पहली बहुभाषी ब्लॉगिंग साइट माय वेबदुनिया, गेम्स, क्लासीफाइड से लेकर इंटरनेट पर अन्य कई प्रयोग किए।

इस तरह हुई की शुरुआत 
वेबदुनिया का औपचारिक शुभारंभ 23 सितंबर, 1999 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्द्रकुमार गुजराल ने किया था। लेकिन, इसके पीछे थी वेबदुनिया टीम की अनथक और कड़ी मेहनत। पोर्टल के पहले संपादक प्रकाश हिन्दुस्तानी के नेतृत्व में साथियों ने नींद और भूख की परवाह किए बिना लगातार काम किया। कई-कई दिन वे घर नहीं गए। उन्होंने कार्यस्थल पर ही लगातार काम कर विश्व के पहले हिन्दी पोर्टल के शुभारंभ को अंजाम तक पहुंचाया। वक्त के साथ वेबदुनिया के परिवार में तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, मराठी, गुजराती  और अंग्रेजी के पोर्टल भी जुड़े। 
 
आपकी भाषा में आपका डाकिया- ई-पत्र
जिस समय किसी ने यह कल्पना भी नहीं की होगी कि इंटरनेट पर हिन्दी अथवा अन्य भारतीय भाषाओं में ई-मेल भेजा जा सकता है, तब वेबदुनिया ने ई-पत्र के माध्यम से 1998 में पहले हिन्दी फिर 10 अन्य भारतीय भाषाओं में ई-मेल सेवा की शुरुआत की थी। ई-पत्र दुनिया का पहला ट्रांसलिटरेट इंजन था, जिसके माध्यम से व्यक्ति रोमन में टाइप कर अपनी भाषा में अपना संदेश भेज सकता था। ई-पत्र पैड के माध्यम से वेबदुनिया ने ऑफलाइन भी यह सुविधा उपलब्ध करवाई थी, जिससे व्यक्ति ऑफलाइन भी अपनी भाषा में टाइप कर सकता था। कम्प्यूटर की भाषा में कहें तो यह कॉमन इंटरनेट ऑफलाइन यूटिलिटी सुविधा थी। 
 
इस तरह बना विश्व का पहला हिन्दी सर्च इंजन
इंटरनेट पर खबरें, आलेख आदि सामग्री हिन्दी में भी ढूंढी जा सकती है, इसकी शुरुआत का श्रेय भी वेबदुनिया के खाते में ही दर्ज है। पोर्टल की शुरुआत के मात्र दो वर्षों के भीतर विश्व का पहला हिन्दी सर्च इंजन वेबदुनिया ने बनाया। साहित्यकार और कहानीकार अशोक चतुर्वेदी के नेतृत्व में वेबदुनिया की सर्च टीम ने इसे बखूबी अंजाम दिया। आज जब हम समाचार या आलेख के साथ जरूरी की-वर्ड डाल देते हैं, यह तरीका बहुत आसान भी है। लेकिन उस दौर में हर खबर और आलेख के लिए अलग इंटरफेस के जरिए की-वर्ड डालना होता था। यह काफी परिश्रम वाला काम था, लेकिन इसी टीम की बदौलत शुरू हुआ विश्व का पहला हिन्दी सर्च इंजन।
 
फ़ोनेटिक की-बोर्ड- वेबदुनिया की तकनीकी दक्षता
फ़ोनेटिक की-बोर्ड वेबदुनिया की तकनीकी दक्षता को ही दर्शाता है। जब किसी ने इंटरनेट पर अंग्रेजी के अलावा अन्य भाषाओं में टाइप करने के बारे में सोचा भी नहीं था, तब वेबदुनिया ने फोनेटिक की-बोर्ड के माध्यम से हिन्दी समेत अन्य भारतीय भाषाओं में टाइप करने की सुविधा प्रदान की।
 
इस तरह हुई चैटिंग की शुरुआत... ई-वार्ता
उस दौर में चैटिंग करना स्वर्ग की अप्सराओं से बात करने जैसा था और इस पर चर्चा करना दुनिया की सबसे रोचक चर्चा भी मानी जाती थी। इसके किस्से और कहानियां बहु‍त ही रोचक और रोमांचक होते थे। इससे इंटरनेट की दुनिया में कार्यक्षमता बढ़ी और कार्य आसान होने लगा। किसी फाइल का रूट पूछने के लिए फोन करने की आवश्यकता नहीं थी और कोई खबर भेजने के लिए फैक्स की जरूरत नहीं थी। सब कुछ बहुत ही झटपट होता था। 
 
इस दौर में वेबदुनिया ने कई प्रयोगों में एक नया प्रयोग किया और वह यह कि चैट के माध्यम से देश के पूर्व प्रधानमंत्री इंद्रकुमार गुजराल और जनता दल (यू) नेता और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान से भारत के लोगों की सीधी बात कराई जाए। इस विचार को वेबदुनिया ने 29 सितंबर 2000 को चैट का आयोजन कर मूर्तरूप भी दे दिया। देशभर से हजारों लोगों ने दोनों से सीधे सवाल पूछे। यह बहुत ही रोमांचक था। पहले सिर्फ पत्रकार ही सवाल पूछते थे, लेकिन यह कमाल का अनुभव था कि देश की आम जनता भी सीधे नेताओं से सवाल पूछ सकती थी। उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी से भी चैट के माध्यम से लोगों ने बात की। आजकल तो गूगल हैंगआउट का जमाना है। 
 
पहला ई-कॉमर्स- भाई को भेजा बहना का प्यार
आज के दौर में ई-कॉमर्स काफी लोकप्रिय हो रहा है। लोगों का रुझान ऑनलाइन शॉपिंग की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। ...लेकिन वेबदुनिया ने ई-कॉमर्स की शुरुआत तब की थी, जब इसके बारे में कोई बहुत अधिक नहीं जानता था। 21वीं सदी की शुरुआत में वेबदुनिया ने भाई-बहन के रिश्ते में और मिठास बढ़ाने का काम किया। आमतौर पर तब रक्षाबंधन के मौके पर बहनें अपनी राखियां डाक अथवा कोरियर से भेजती थीं, लेकिन विदेशों में भेजना तो और भी दुष्कर था। ऐसे में वेबदुनिया ने विदेशों में रह रहे भाइयों के लिए न सिर्फ राखियां बल्कि मिठाई का पैकेट, हल्दी, कुमकुम और चावल भी नाममात्र के शुल्क पर पहुंचाया।
 
इलाहाबाद कुंभ- अध्यात्म और आईटी का संगम
21वीं सदी के पहले इलाहाबाद महाकुंभ में वेबदुनिया के सौजन्य से अध्यात्म और आईटी का अभूतपूर्व संगम देखने को मिला। उस समय वेबदुनिया ने देश-विदेश में मौजूद भारतीयों के लिए इलाहाबाद कुंभ से जुड़ी जानकारियों से अवगत कराया। इनमें समाचार, कुंभ का इतिहास, आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व से लेकर कुंभ के आकर्षक फोटो भी श्रद्धालुओं तक पहुंचाए। महाकुंभ में वेबदुनिया का सबसे आकर्षक था 'ऑनलाइन स्नान' अथवा 'वर्चुअल स्नान'। उस समय इसे लोगों ने काफी सराहा था।
 
अत: यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि इंटरनेट पर भाषायी क्रांति के लिए नए-नए रास्ते तलाशने का श्रेय वेबदुनिया को ही जाता है, जिन पर आज देश और दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियां चल रही हैं।
 
वेबदुनिया के सफर में 'मील के पत्थर'
यूं तो वेबदुनिया परिवार से समय-समय पर कई साथी जुड़े, कई नई मंजिल की तलाश में आगे भी बढ़ गए। उनमें से कई आज भी इस यात्रा में हमसफर बने हुए हैं। वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश हिन्दुस्तानी को वेबदुनिया का पहला संपादक होने का गौरव प्राप्त है। इनके बाद वेबदुनिया टीम का नेतृत्व रवीन्द्र शाह (दिवंगत) ने संभाला। उसी दौर में किशोर भुराड़िया ने मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) की जिम्मेदारी संभाली। शाह के बाद मनीष शर्मा संपादकीय प्रभारी बने। उनके बाद यह महती उत्तरदायित्व जयदीप कर्णिक ने संभाला, जो वर्तमान में भी वेबदुनिया के संपादक हैं। पंकज जैन वर्तमान में वेबदुनिया के प्रेसीडेंट तथा सीओओ हैं। उपर्युक्त सभी दिग्गजों के कुशल नेतृत्व का ही परिणाम है कि वेबदुनिया आज इस मुकाम पर है। 

वेबदुनिया पर आप क्यों आएं...?
 
हालांकि तुलसीदास ने लिखा है- 'कर्म प्रधान विश्व करि राखा, जो जस करहिं सो तस फल चाखा।' लेकिन मानव मन जिज्ञासु है तो शंकालु भी है। ऐसे में स्वाभाविक तौर पर उसे शुभ और अशुभ की चिंता होती ही है। ऐसे में आप शुभारंभ कर सकते हैं अपने दिन का वेबदुनिया एस्ट्रो चैनल के साथ, जहां आपको दैनिक भविष्यफल तो मिलेगा ही, यहां आप साप्ताहिक भविष्यफल भी देख सकते हैं। 
 
...और जब गूंजती है आपके घर किलकारी तो उसकी कुंडली और भविष्य की भी तो चिंता आप करते ही हैं, ऐसे में वेबदुनिया देता है आपको ऑनलाइन कुंडली बनाने की सुविधा और 'आज जन्मे' यानी जिस दिन बच्चे का जन्म होता है उसके मान से उसका भविष्य। और हां, आप यहां दशहरे के दिन ऑनलाइन रावण दहन कर सकते हैं तो संक्रांति के दिन पतंगबाजी और गिल्ली-डंडे का मजा ले सकते हैं। ऐसी कई सुविधाएं हैं जिसका ऑनलाइन लुत्‍फ उठाया जा सकता है।
 
इसके साथ ही श्रीरामचरितमानस, श्रीमद्भगवतगीता, सत्यनारायण व्रत कथा, एकादशी व्रत कथा और तमाम तरह की आरती/ चालीसा पढ़ने के लिए आपको कहीं और जाने या खोजने की आवश्यकता नहीं। राम शलाका, टैरो कार्ड्स, विवाह कुंडली मिलान आदि ऐसी कई और भी सुविधाएं हैं, जो आप इस महासागर में गोता लगाने के बाद जान सकते हैं।
 
यदि आपको भारत के संविधान के बारे में जानकारी हासिल करना है, तो वह भी वेबदुनिया पर ऑनलाइन उपलब्ध है। इसके लिए आपको किसी किताब या लाइब्रेरी को खंगालने की जरूरत नहीं है। सामयिक विषयों पर हम आपको बहस के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध करवाते हैं, तो पोल के जरिए 'आपकी राय' लोगों तक पहुंचाते हैं। पर्यटन, चुटकुले, मोबाइल, ऑटोमोबाइल, खोज-खबर, फोटो ‍फीचर, फोटो गैलरी, वीडियो इंटरव्यू आदि ऐसी कई सुविधाएं और सेवाएं हैं, जो आपकी जानकारी बढ़ाने में काफी कारगर सिद्ध होगी। 
 
'आस्था और अंधविश्वास' में हम आपको बताते हैं समाज में व्याप्त अंधविश्वास की कहानियां। इस चैनल पर देश-दुनिया से एकत्रित किए गए बेहतरीन वीडियो और कंटेंट मौजूद हैं। किसी धार्मिक जगह की यात्रा करने से पहले 'धर्मयात्रा' चैनल जरूर देखें। यहां आपको देश के प्रमुख धार्मिक स्थलों की जानकारी मिलेगी साथ ही वहां तक कैसे पहुंचा जा सकता है, इसकी भी जानकारी मिलेगी। इसके अलावा दुनियाभर के धर्मों की जानकारी आपको धर्म दर्शन में मिल जाएगी। 'सतातन धर्म' नामक चैनल पर आपको हिन्दू धर्म से जुड़ी सभी जानकारियां मिल जाएंगी। जब धर्म की बात चली है तो 'योग' कैसे छूट सकता है। 'योग चैनल' में योगासनों के वीडियो के साथ सब कुछ तो है ही।
 
आज के समाचार का इंतजार कल तक क्यों? अभी क्यों नहीं? जी हां, आज के तकनीकी प्रधान युग में तो जब सुबह अखबार आपके हाथों में होता है, तब तक खबरें बासी भी हो जाती हैं। हम तो कुछ ही पलों में आपके लिए खबरों के साथ हाजिर हो जाते हैं, चाहे वह जननायक नरेन्द्र मोदी की महाविजय का समाचार हो या फिर उनके जनाभिषेक का, आपके लिए खबरों पर हर समय हमारी नजरें होती हैं। 
 
बात जब खेल की हो तब भी वेबदुनिया हमेशा अग्रिम पंक्ति में ही रहता है। क्रिकेट का विश्व कप हो या भारत में खेला जाने वाला आईपीएल का कोई मैच, क्रिकेट टिकर के माध्यम से हम हमेशा से ही आपका रोमांच बढ़ाते हैं। साथ ही क्रिकेटरों से जुड़ी हर खबर भी हम आप तक पहुंचाते हैं। ...और भी ऐसी बहुत सी चीजें हैं, जो खेल चैनल पर आपको बांधे रखती हैं।
 
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अरे हां, हम सेहत की चर्चा करना तो भूल ही गए। वेबदुनिया का सेहत चैनल वाकई काफी समृद्ध है। यहां देशी-विदेशी चिकित्सा पद्धतियों की जानकारी के साथ ही आयुर्वेद, होम्योपैथ और देसी जड़ी-बूटियों के आसान और गुणकारी नुस्खे मौजूद हैं। योगासनों की विधि और वीडियो भी तो वेबदुनिया पर उपलब्ध हैं। 
 
वेबदुनिया का खजाना यहीं जाकर खत्म नहीं हो जाता है। यहां से चुन सकते हैं आप और भी कई अनमोल मोती, जो आपकी जानकारी में इजाफा ही करते हैं। बच्चों की दुनिया में आपके नन्हे-मुन्नों के लिए रोचक कहानियां, प्रेरक प्रसंग, निबंध आदि मौजूद हैं तो युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों की जानकारी भी तो यह वेब पोर्टल आप तक पहुंचाता है। लाजवाब व्यंजन बनाने की विधि, साहित्य, सभी धर्मों के बारे में विस्तृत जानकारी, फोटो गैलरी आदि क्या कुछ नहीं है वेबदुनिया में। ...तो पल-पल अपडेट रहने के लिए बने रहिए वेबदुनिया के साथ।