चिंताओं और चुनौतियों का वर्ष

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जब वर्ष 2011 की शुरुआत हुई थी तो आर्थिक उपलब्धियों की बड़ी संभावनाएँ अनुमानित की जा रही थीं, लेकिन वैश्विक स्तर पर अमेरिका के राजकोषीय संकट और योरपीय देशों के ऋण संकट से आगे बढ़ी दोहरी मंदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था में चिंता का दौर पैदा कर दिया। वर्ष के अंत का आर्थिक परिदृश्य बता रहा है कि देश में विकास दर घटकर सात फीसद पर पहुँच गई। रुपया लुढ़कता हुआ निराशाजनक स्थिति में चला गया। आयात महँगे हो गए। वर्षभर के छोटे-बड़े उद्योग बढ़ती हुई ब्याज दरों के कारण कदम-कदम पर कठिनाइयों का सामना करते हुए पाए गए।

उद्योग-व्यापार और शेयर बाजार निराशाजनक स्थिति में पहुँच गए। लेकिन बीते वर्ष में इन आर्थिक निराशाओं के बीच कई उजली उपलब्धियाँ भी दर्ज की गईं। पूरे देश में अण्णा हजारे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अभूतपूर्व आंदोलन कर जनजागरण किया। विकसित और विकासशील देशों के साथ बड़ी संख्या में देश के नए व्यापार समझौते हुए। पाकिस्तान और चीन सहित दुनिया के कई देशों के साथ व्यापार मित्रता के नए अध्याय लिखे गए। इन सबके अलावा दिसंबर में पाया गया कि वर्षभर जो महँगाई दर ऊँचाई पर रही, वह घटकर सात फीसद से भी कम हो गई।

यदि हम बीते हुए वर्ष 2011 में देश के आर्थिक घटनाक्रम को देखें तो पाते हैं कि वर्ष 2011 कई महत्वपूर्ण आर्थिक यादें छोड़ गया है।

मनरेगा की नई मजदूरी दरें :- केंद्र सरकार ने महात्मा गाँधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत मजदूरों को दी जाने वाली मजदूरी की दरों को खेतिहर मजदूरों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से संबद्ध करने की घोषणा 6 जनवरी को की। इससे इन मजदूरों को पहले के 100 रु. प्रतिदिन की तुलना में अधिक मजदूरी प्राप्त हो सकेगी। इस योजना के पाँच वर्षों के दौरान कुल मिलाकर 879 करोड़ मानव दिवस रोजगार इस कार्यक्रम के तहत सृजित किया गया।

आउटसोर्सिंग में पहला क्रमः- वैश्विक प्रबंधन परामर्श फर्म एटी केयर्नी की 7 फरवरी को जारी रिपोर्ट में भारत को पहला, चीन को दूसरा तथा मलेशिया को तीसरा स्थान आउटसोर्सिंग के मामले में दिया गया।

रेल बजट :- संसद में 24 फरवरी को ममता बनर्जी ने रेल बजट पेश किया। लगातार आठवें वर्ष यात्री किराया व मालभाड़ा नहीं बढ़ाया गया। रेल बजट में कई प्रमुख घोषणाएँ की गईं, इनमें प्रमुख हैं-निजी क्षेत्र से निवेश खींचने के लिए विशेष कार्यबल।

* यात्री परिवहन के लिए बनेंगे विशेष गलियारे, इसके लिए बनेगा राष्ट्रीय तीव्र रेल प्राधिकरण। *कुलियों, वेंडरों, हॉकरों के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना। *चालू वित्त वर्ष के दौरान लाभांश भुगतान के बाद रेल विभाग का कुल राजस्व 951 करोड़ रु. रहा।

गोआ पहले क्रम पर :- वर्ष 2011-12 में राष्ट्रीय स्तर पर प्रति व्यक्ति आय 54,000 रुपए रही। गोआ, चंडीगढ़ तथा दिल्ली में प्रति व्यक्ति आय बढ़कर एक लाख रुपए से अधिक हो गई। गोआ की प्रति व्यक्ति वार्षिक आय 1,32,719 रु. है, जबकि दिल्ली और चंडीगढ़ की क्रमशः 1,16,886 और 1,20,912 रुपए है। बिहार की प्रति व्यक्ति आय मात्र 16,119 रुपए रही, जो देश में सबसे कम है।

वायदा कारोबार पर सिफारिश :- उपभोक्ता मामलों पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में गठित कमेटी ने 2 मार्च को सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। इस रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि फिलहाल जरूरी वस्तुओं को वायदा व्यापार से बाहर रखा जाए।

ईपीएफ पर 9.5 फीसद ब्याज :- वित्त मंत्रालय ने 2010-11 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के ईपीएफ खाताधारकों को 9.5 फीसद ब्याज देने के प्रस्ताव को 17 मार्च को मंजूरी दे दी।

भारत की 57 कंपनियाँ :- विश्व की सर्वाधिक शक्तिशाली 2000 कंपनियों की फोर्ब्स पत्रिका की वर्ष 2011 की सूची अप्रैल माह में जारी की गई। भारत की 57 कंपनियों को इस वर्ष इस सूची में स्थान प्राप्त हुआ। इस सूची में पहला स्थान अमेरिकी बैंकिंग कंपनी जेपी मॉर्गन चेज को दिया गया।

पाँचवाँ सबसे बड़ा कर्जदार देश :- विश्व बैंक की रिपोर्ट 'ग्लोबल डेवलपमेंट फाइनेंस' के अनुसार भारत 20 सबसे बड़े कर्जदार देशों की सूची में पाँचवें स्थान पर है अर्थात भारत विश्व का पाँचवाँ सबसे बड़ा कर्जदार देश है। विश्व के सबसे बड़े कर्जदार देशों में रूस पहले, चीन दूसरे, तुर्की तीसरे तथा ब्राजील चौथे स्थान पर है। भारत पर 13 लाख 32 हजार 195 करोड़ रुपए का विदेशी कर्ज है।

पाँच महारत्न कंपनियाँ :- सरकार ने कोयला क्षेत्र की अग्रणी कंपनी कोल इंडिया लि. को महारत्न का दर्जा अप्रैल 2011 में प्रदान किया। इससे देश में महारत्न कंपनियों की कुल संख्या 5 हो गई। इससे पूर्व सार्वजनिक क्षेत्र की जिन 4 कंपनियों को महारत्न का दर्जा प्राप्त था, उनमें तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम, भारतीय तेल निगम, भारतीय इस्पात प्राधिकरण व राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम शामिल हैं। इसके अलावा 16 कंपनियों को नवरत्न कंपनियों का दर्जा मिला हुआ है।

खरीफ उपजों के समर्थन मूल्य :- केंद्र सरकार ने वर्ष 2011-12 की खरीफ उपजों के लिए नए समर्थन मूल्यों की घोषणा 9 जून को की। इनमें धान के निम्नतम समर्थन मूल्य में 80 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई। मोटे अनाजों (जुवार, बाजरा व मक्का) के न्यूनतम समर्थन मूल्य 100-100 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाए गए।

देश में डेढ़ लाख करोड़पति :- 23 जून को मेरिल लिंच वेल्थ मैनेजमेंट तथा केपजेमिनी की सालाना वैश्विक संपत्ति रिपोर्ट जारी की गई। इसके अनुसार वर्ष 2010 में भारत में करोड़पतियों की संख्या एक लाख 53 हजार तक पहुँच गई। इस रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा 31 लाख करोड़पति अमेरिका में हैं।

कालेधन पर एसआईटी गठित :- 4 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने कालेधन से जुड़े सारे मसलों की जाँच के लिए विशेष दल (एसआईटी) गठित कर दिया। इसके अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बीपी जीवन रेड्डी और उपाध्यक्ष पूर्व जज एमबी शाह हैं। यह जाँच दल सीधे सुप्रीम कोर्ट के प्रति जवाबदेह रहेगा।

उपभोग व्यय पर सर्वेक्षण :- देश में घरेलू उपभोग व्यय के संबंध में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन के 66वें सर्वेक्षण के आँकड़े जुलाई में जारी किए गए। इन आँकड़ों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति मासिक उपभोग व्यय जहाँ 1053.64 रुपए था, वहीं शहरी क्षेत्रों में यह 1984.46 रुपए आकलित किया गया।

12वीं योजना का दृष्टिकोण पत्र :- 1 अप्रैल, 2012 से शुरू होने वाली 12वीं पंचवर्षीय योजना के दृष्टिकोण पत्र को 20 अगस्त को योजना आयोग ने मंजूरी प्रदान की। आयोग द्वारा अनुमोदित किए गए दृष्टिकोण पत्र में इस योजना में 9.0 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि के लक्ष्य का प्रस्ताव किया गया। वैश्विक परिस्थितियों में सुधार आने पर इस लक्ष्य को 9.2 प्रतिशत प्रतिवर्ष तक बढ़ाने की बात इस दृष्टिकोण पत्र में कही गई। 15 सितंबर को इस दृष्टिकोण पत्र को मंत्रिमंडल का अनुमोदन मिल गया है।

क्रीमीलेयर की आय सीमा बढ़ी :- देश में आरक्षण नीतियों के तहत अन्य पिछड़ा वर्ग के ज्यादा लोगों को फायदा पहुँचाने के लिए केंद्र सरकार ने इस वर्ष में क्रीमीलेयर के निर्धारण के लिए वार्षिक आय मौजूदा साढ़े चार लाख से बढ़ाकर नौ लाख रुपए करने का निर्णय लिया।

व्यापारिक मित्रता का नया दौर :- सितंबर में पेइचिंग में आयोजित भारत और चीन के बीच पहली रणनीतिक आर्थिक वार्ता में दोनों देशों ने द्विपक्षीय निवेश बढ़ाने, एक-दूसरे के लिए बाजार खोलने, विकास के अनुभवों को साझा करने और ढाँचागत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। 10 एवं 11 नवंबर को मालदीव में दक्षेस के सत्रहवें शिखर सम्मेलन में भारत के बढ़ते हुए व्यापारिक महत्व को स्वीकार किया गया। नई दिल्ली में 15 नवंबर को भारत और पाकिस्तान के वाणिज्य सचिवों की बैठक में पाकिस्तान द्वारा कई वस्तुओं के लिए भारत से खुले आयात की अनुमति देने की घोषणा की गई।

वर्ष 2011 के अंत में आर्थिक आशाओं और आर्थिक निराशाओं के बीच देश का जो आर्थिक परिदृश्य दिखाई दिया है, उसके आधार पर 2012 में विभिन्न आर्थिक चुनौतियों की कल्पना की जा सकती है। हम यह आशा करें कि नए वर्ष में सरकार हरसंभव प्रयास करके उद्योग-व्यवसाय को गति देगी। साथ ही करोड़ों लोगों को पीड़ा देने वाली महँगाई को नियंत्रित करेगी।

केंद्रीय बजट : वित्तीय वर्ष 2011-12 के लिए केंद्रीय बजट वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने 28 फरवरी को लोकसभा में प्रस्तुत किया। 2011-12 के बजट में संदर्भित वर्ष (2011-12) के दौरान सरकार का कुल व्यय 12,57,729 करोड़ रु. अनुमानित किया गया। वर्ष 2011-12 के दौरान राजस्व घाटा 3,07,270 करोड़ रु. (जीडीपी का 3.4 प्रश) रहने की संभावना है। 2011-12 में राजकोषीय घाटा 4,12,817 करोड़ रु. (जीडीपी का 4.6 प्रश) तक रखने का लक्ष्य बजट में निर्धारित किया गया। प्रत्यक्ष कर ढाँचे में कोई विशेष परिवर्तन इस बजट में नहीं किए गए। वैयक्तिक आयकर में छूट की सीमा 1.60 लाख रुपए से बढ़ाकर 1.80 लाख रुपए करने का प्रस्ताव बजट में किया गया। केंद्रीय बजट में कई और प्रमुख घोषणाएँ की गई। ये हैं-

* भारत निर्माण योजना हेतु 2011-12 के लिए आवंटन 48,000 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 58,000 करोड़ रुपए
*सर्वशिक्षा अभियान के लिए यह 15000 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 21000 करोड़ रुपए करने का प्रस्ताव।

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