प्रधानमंत्री की इन दोनों देशों की यात्रा के दौरान जिन प्रमुख क्षेत्रों को विशेष तौर पर बढ़ावा मिला है, उनमें नौवहन सुरक्षा, रक्षा, व्यापार, निवेश, विज्ञान एवं तकनीक शामिल हैं। मलेशिया और सिंगापुर में भारतीय मूल के लोगों और वहां नौकरी कर रहे भारतीयों की अच्छी खासी संख्या है।
आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में मोदी ने आतंकवाद के बड़े खतरे से निपटने के लिए ब्लॉक के साथ सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय एवं नौवहन विवादों को शांतिपूर्ण माध्यमों से निपटाने की जरूरत को भी रेखांकित किया। भारत ने यह घोषणा की कि वह जल्द ही सभी आसियान देशों के लिए इलेक्ट्रॉनिक-वीजा की सुविधा को विस्तार देगा। आसियान में शामिल देशों के नाम हैं- ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपीन, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम।
मोदी की मौजूदगी में ऐतिहासिक आसियान आर्थिक समुदाय (एईसी) घोषणा पर हस्ताक्षर किए गए। एईसी यूरोपीय संघ जैसा ही एक क्षेत्रीय आर्थिक ब्लॉक है, जिसका उद्देश्य दक्षिण-पूर्वी एशिया की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं को समायोजित करना है।
एईसी एक ऐसे एकल बाजार की धारणा रखता है, जिसके तहत इस बेहद प्रतिस्पर्धी आर्थिक क्षेत्र में सीमाओं के आरपार वस्तुओं, पूंजी और कुशल श्रम का मुक्त आवागमन हो। इस क्षेत्र का संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद 24 खरब डॉलर का है।