×
SEARCH
Hindi
English
தமிழ்
मराठी
తెలుగు
മലയാളം
ಕನ್ನಡ
ગુજરાતી
समाचार
मुख्य ख़बरें
राष्ट्रीय
अंतरराष्ट्रीय
प्रादेशिक
मध्यप्रदेश
छत्तीसगढ़
गुजरात
महाराष्ट्र
राजस्थान
उत्तर प्रदेश
क्राइम
फैक्ट चेक
ऑटो मोबाइल
व्यापार
मोबाइल मेनिया
छठ पूजा
बॉलीवुड
बॉलीवुड न्यूज़
हॉट शॉट
मूवी रिव्यू
वेब स्टोरी
पर्यटन
आने वाली फिल्म
खुल जा सिम सिम
बॉलीवुड फोकस
आलेख
सलमान खान
सनी लियोन
टीवी
मुलाकात
अमेरिकी चुनाव
धर्म-संसार
एकादशी
श्री कृष्णा
रामायण
महाभारत
व्रत-त्योहार
धर्म-दर्शन
शिरडी साईं बाबा
श्रीरामचरितमानस
आलेख
लाइफ स्टाइल
वीमेन कॉर्नर
सेहत
योग
NRI
मोटिवेशनल
रेसिपी
नन्ही दुनिया
पर्यटन
रोमांस
साहित्य
ज्योतिष
दैनिक राशिफल
रामशलाका
राशियां
आज का जन्मदिन
आज का मुहूर्त
लाल किताब
वास्तु-फेंगशुई
टैरो भविष्यवाणी
चौघड़िया
क्रिकेट
अन्य खेल
खेल-संसार
शेड्यूल
धर्म संग्रह
श्रीरामचरितमानस
मध्यप्रदेश
काम की बात
श्रीराम शलाका
एक्सप्लेनर
क्राइम
रामायण
महाभारत
फनी जोक्स
चुटकुले
वीडियो
फोटो गैलरी
अन्य
समाचार
छठ पूजा
बॉलीवुड
अमेरिकी चुनाव
धर्म-संसार
लाइफ स्टाइल
ज्योतिष
क्रिकेट
धर्म संग्रह
श्रीरामचरितमानस
मध्यप्रदेश
काम की बात
श्रीराम शलाका
एक्सप्लेनर
क्राइम
रामायण
महाभारत
फनी जोक्स
वीडियो
फोटो गैलरी
अन्य
हर संकट दूर करता है संकटमोचक पद्मावती स्तोत्र
।।दोहा।।
देवी मां पद्मावती, ज्योति रूप महान।
विघ्न हरो मंगल करो, करो मात कल्याण। (1)
।।चौपाई।।
जय-जय-जय पद्मावती माता, तेरी महिमा त्रिभुवन गाता।
मन की आशा पूर्ण करो मां, संकट सारे दूर करो मां।। (2)
तेरी महिमा परम निराली, भक्तों के दुख हरने वाली।
धन-वैभव-यश देने वाली, शान तुम्हारी अजब निराली।। (3)
बिगड़ी बात बनेगी तुम से, नैया पार लगेगी तुम से।
मेरी तो बस एक अरज है, हाथ थाम लो यही गरज है।। (4)
चतुर्भुजी मां हंसवाहिनी, महर करो मां मुक्तिदायिनी।
किस विध पूजूं चरण तुम्हारे, निर्मल हैं बस भाव हमारे।। (5)
मैं आया हूं शरण तुम्हारी, तू है मां जग तारणहारी।
तुम बिन कौन हरे दुख मेरा, रोग-शोक-संकट ने घेरा।। (6)
तुम हो कल्पतरु कलियुग की, तुमसे है आशा सतयुग की।
मंदिर-मंदिर मूरत तेरी, हर मूरत में सूरत तेरी।। (7)
रूप तुम्हारे हुए हैं अनगिन, महिमा बढ़ती जाती निशदिन।
तुमने सारे जग को तारा, सबका तूने भाग्य संवारा।। (8)
हृदय-कमल में वास करो मां, सिर पर मेरे हाथ धरो मां।
मन की पीड़ा हरो भवानी, मूरत तेरी लगे सुहानी।। (9)
पद्मावती मां पद्म-समाना, पूज रहे सब राजा-राणा।
पद्म-हृदय पद्मासन सोहे, पद्म-रूप पद-पंकज मोहे।। (10)
महामंत्र का मिला जो शरणा, नाग-योनी से पार उतरना।
पारसनाथ हुए उपकारी, जय-जयकार करे नर-नारी।। (11)
पारस प्रभु जग के रखवाले, पद्मावती प्रभु पार्श्व उबारे।
जिसने प्रभु का संकट टाला, उसका रूप अनूप निराला।। (12)
कमठ-शत्रु क्या करे बिगाड़े, पद्मावती जहं काज सुधारे।
मेघमाली की हर चट्टानें, मां के आगे सब चित खाने।। (13)
मां ने प्रभु का कष्ट निवारा, जन्म-जन्म का कर्ज उतारा।
पद्मावती दया की देवी, प्रभु-भक्तों की अविरल सेवी।। (14)
प्रभु भक्तों की मंशा पूरे, चिंतामणि सम चिंता चूरे।
पारस प्रभु का जयकारा हो, पद्मावती का झंकारा हो।। (15)
माथे मुकुट भाल सूरज ज्यों, बिंदिया चमक रही चंदा।
अधरों पर मुस्कान शोभती, मां की मूरत नित्य मोहती।। (16)
सुरनर मुनिजन मां को ध्यावे, संकट नहीं सपने में आवे।
मां का जो जयकारा बोले, उनके घर सुख-संपत्ति बोले।। (17)
ॐ ह्रीं श्री क्लीं मंत्र से ध्याऊं, धूप-दीप-नैवेद्य चढ़ाऊं।
रिद्धि-सिद्धि सुख-संपत्ति दाता, सोया भाग्य जगा दो माता।। (18)
मां को पहले भोग लगाऊं, पीछे ही खुद भोजन पाऊं।
मां के यश में अपना यश हो, अंतरमन में भक्ति-रस हो।। (19)
सुबह उठो मां की जय बोलो, सांझ ढले मां की जय बोलो।
जय-जय मां जय-जय नित तेरी, मदद करो मां अविरल मेरी।। (20)
शुक्रवार मां का दिन प्यारा, जिसने पांच बरस व्रत धारा।
उसका काज सदा ही संवरे, मां उसकी हर मंशा पूरे।। (21)
एकासन-व्रत-नियम पालकर, धूप-दीप-चंदन पूजन कर।
लाल-वेश हो चूड़ी-कंगना, फल-श्रीफल-नैवेद्य भेंटना।। (22)
मन की आशा पूर्ण हुए जब, छत्र चढ़ाएं चांदी का तब।
अंतर में हो शुक्रगुजारी, मां का व्रत है मंगलकारी।। (23)
मैं हूं मां बालक अज्ञानी, पर तेरी महिमा पहचानी।
सांचे मन से जो भी ध्यावे, सब सुख भोग परम पद पावे।। (24)
जीवन में मां का संबल हो, हर संकट में नैतिक बल हो।
पाप न होवे पुण्य संजोएं, ध्यान धरें अंतरमन धोएं।। (25)
दीन-दुखी की मदद हो मुझसे, मात-पिता की अदब हो मुझसे।
अंतर-दृष्टि में विवेक हो, घर-संपति सब नेक-एक हो।। (26)
कृपादृष्टि हो माता मुझ पर, मां पद्मावती जरा रहम कर।
भूलें मेरी माफ करो मां, संकट सारे दूर करो मां।। (27)
पद्म नेत्र पद्मावती जय हो, पद्म-स्वरूपी पद्म हृदय हो।
पद्म-चरण ही एक शरण है, पद्मावती मां विघ्न-हरण है।। (28)
।।दोहा।।
पद्म रूप पद्मावती, पारस प्रभु हैं शीष।
'ललित' तुम्हारी शरण में, दो मंगल आशीष।। (29)
पार्श्व प्रभु जयवंत हैं, जिन शासन जयवंत।
पद्मावती जयवंत हैं, जयकारी भगवंत।। (30)
चरण-कमल में 'चन्द्र' का, नमन करो स्वीकार।
भक्तों की अरजी सुनो, वरते मंगलाचार।। (31)
वेबदुनिया पर पढ़ें
समाचार
बॉलीवुड
ज्योतिष
लाइफ स्टाइल
धर्म-संसार
महाभारत के किस्से
रामायण की कहानियां
रोचक और रोमांचक
ज़रूर पढ़ें
Dev uthani ekadashi 2024: देव उठनी एकादशी की 3 पौराणिक कथाएं
Tulsi Vivah vidhi: देव उठनी एकादशी पर तुलसी विवाह की संपूर्ण विधि
शुक्र के धनु राशि में गोचर से 4 राशियों को होगा जबरदस्त फायदा
Dev diwali 2024: कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली रहती है या कि देव उठनी एकादशी पर?
Tulsi vivah Muhurt: देव उठनी एकादशी पर तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त क्या है, जानें विधि और मंत्र
धर्म संसार
09 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन
09 नवंबर 2024, शनिवार के शुभ मुहूर्त
ज्योतिष की नजर में क्यों हैं 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?
Dev Diwali 2024: देव दिवाली पर यदि कर लिए ये 10 काम तो पूरा वर्ष रहेगा शुभ
Akshaya Navami 2024: आंवला नवमी पर इस कथा को पढ़ने या सुनने से मिलता है अक्षय फल
ऐप में देखें
x