द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC) को बेंगलुरु के पास होसकोटे में स्थित अत्याधुनिक वाइब्रेशन एंड थर्मोटेक फैसिलिटी में विकसित किया गया था। इसे विकसित करने वाली इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स की टीम के सदस्यों को सभी प्रकार के परफ्यूम और स्प्रे से दूर रहने को कहा गया था।
रिपोर्ट के अनुसार, इस टीम ने भविष्य के खोजकर्ताओं से मिलते-जुलते फुल-सूट रिहर्सल में, इलेक्ट्रोस्टैटिक डिस्चार्ज और प्रदूषण फैलाने वाली चीजों को क्लीन रूम से दूर रखने का अभ्यास किया। क्लीन रूम में परफ्यूम लगाकर आना भी प्रतिबंधित था और टीम के हर एक सदस्य को अल्ट्रासोनिक क्लीनिंग प्रोसेस से गुजरना पड़ता था। यहां तक की मेडिकल स्प्रे का भी इस्तेमाल नहीं किया गया। वैज्ञानिकों ने जो सूट पहना, वे सेंसर और ऑप्टिक्स की रक्षा करने वाली ढाल थे।
रिपोर्ट में VELC तकनीकी टीम के प्रमुख नागाबुशाना एस के हवाले से कहा गया कि क्लीनरूम को अस्पताल के ICU से 1 लाख गुना ज्यादा साफ रखना पड़ता था। इसी टीम के सदस्य सनल कृष्णा ने कहा कि हमने यह सुनिश्चित करने के लिए HEPA फिल्टर, आइसोप्रोपिल अल्कोहल और कठोर प्रोटोकॉल का पालन किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई अन्य पार्टिकल्स हमारी प्रक्रिया में व्यवधान उत्पन्न न करें।