प्रकृति को शुद्ध रखने में पेड़-पौधों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। बड़े से लेकर छोटे से पौधे तक में प्रकृति की वह क्षमता है जो आज की आधुनिकतम तकनीक से भी संभव नहीं है। यह शक्ति है सूर्य की किरणों की मौजूदगी में पेड़ की पत्तियों में मौजूद क्लोरोफिल (हरित पदार्थ) द्वारा कार्बन डायऑक्साइड को लेकर कार्बोहाइड्रेट्स (एक प्रकार की शकर या स्टार्च) में बदलने और वातावरण में शुद्ध ऑक्सीजन छोड़ने की।
पहले तो खेतों की मेढ़ के आसपास बबूल, खेजड़ी, साल, सागौन जैसे वृक्ष लगाए जाते थे। कुएँ या बावड़ी, नहर-नदी आदि के आसपास आम, जामुन, कटहल, जामफल, सीताफल जैसे फल वृक्षों को लगाया जाता था। पेड़ों पर रहने वाली चिड़ियों का फसल की कीड़ों से रक्षा करने में बहुत बड़ा योगदान रहता है।
प्रकृति प्रति वर्ष हमें अवसर देती है ताकि हम अपने आसपास उपलब्ध जगह में पेड़-पौधे लगाकर वातावरण को अपने अनुकूल बनाने में योगदान कर सकें। अपने मोहल्ले, गाँव, नगर को हराभरा बनाने के लिए जगह की कमी नहीं है। कमी है तो सोच की, निष्ठा की, ईमानदारीपूर्वक किए जाने वाले प्रयास की।
हरियाली का सबसे अधिक लाभ मिलता है तो उस क्षेत्र विशेष में रहने वाले व्यक्ति और उसके परिवार के प्रत्येक सदस्य को। आपके आसपास के क्षेत्र में पेड़ों की कमी, कॉर्बन डाईऑक्साइड के बढ़ने, ऑक्सीजन के कम होने, वाहनों के कारण होने वाली ध्वनि प्रदूषण आदि का कारण बनता है। इनसे उत्पन्न होती है अनेक शारीरिक और मानसिक व्याधियाँ।
अगर प्रत्येक व्यक्ति या प्रत्येक परिवार यह निश्चय कर ले कि वह एक पेड़ लगाकर उसका पालन-पोषण करेगा, तो निश्चय ही कुछ वर्षों में आपका क्षेत्र हरिमामय हो जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में तो खेतों के आसपास, कुएँ के पास, नहर, तालाब आदि के आसपास, सड़क के किनारे, पंचायत भवन, स्कूल, सहकारी संस्था भवन, मंदिर, मस्जिद या धार्मिक स्थल चरागाह आदि क्षेत्रों में उपयुक्त स्थान आसानी से मिल सकता है। शहरी क्षेत्र में कॉलोनी की सड़क पर, हर कॉलोनी में पार्क के लिए छोड़ी गई जगह में, धार्मिक स्थलों पर, सरकारी भवन आदि जगह लगाए जा सकते हैं।
क्या आवश्यक है : पेड़ की प्रजाति का चयन उपलब्ध स्थान के अनुसार छोटे, मध्यम या बड़े पेड़ों से करें। पेड़ लगाने से पूर्व उस स्थान की भविष्य की योजना, मास्टर प्लान आदि की जानकारी होना आवश्यक है। शासकीय कार्यालयों, न्यायालयों, पंचायत भवन, विद्यालयों आदि के लिए छायादार बड़े व कुछ शोभाकारी वृक्षों का चयन किया जाना चाहिए। धार्मिक स्थलों के लिए धार्मिक महत्व वाले पीपल, बेलफल, कदंब, बरगद आदि उपयुक्त रहेंगे।
शहरों में रहवासी कॉलोनियों में चौड़ी सड़कों के लिए शोभाकारी फूलों वाले पेड़ गुलमोहर, अमलतास, नीला गुलमोहर, मोरसली, कदंब, सिल्वर ओक, आकाश नीम आदि लगाए जा सकते हैं। शहरों की नियोजित नई कॉलोनियों में उद्यान में कुछ पेड़ बड़े व छायादार जैसे नीम, पीपल, बरगद, बीच में या कोनों पर गोल चबूतरा सा बनाकर लगाए जा सकते हैं।