पौधे के साथ मिट्टी का भी ध्यान रखें

मंगलवार, 14 अगस्त 2007 (20:51 IST)
- मणिशंकर उपाध्याय

र साल वर्षाकाल शुरू होते हुए जगह-जगह पौधरोपण अभियान चलाए जाने लगते हैं। प्रयास यह रहता है कि इस वर्ष पिछले वर्ष से ज्यादा पौधे रोपे जाएँ। लेकिन महत्वपूर्ण यह नहीं है कि किसने कितने पौधे लगाए, बल्कि यह कि उनमें से कितने जिंदा रहे। इसके लिए पौधों की रक्षा करना बेहद जरूरी है। साथ ही पौधे रोपने के पहले उस जगह की मिट्टी तथा वहाँ के मौसम का भी ध्यान रखना होगा।

पौधों को लगाने का योजनाबद्ध कार्यक्रम बनाया जाए। इसमें आने वाले 20-25 वर्षों में किए जाने वाले विकास की रूपरेखा पर भी ध्यान रखा जाए। इंदौर में ही ऐसे कई उदाहरण हैं, जहाँ पहले फेंसिंग की गई, पौधे लगाए गए, फिर उन्हें पाल-पोसकर बड़ा किया गया। बाद में ये पेड़ जब विद्युत तार से टकराने लगे या सड़क चौड़ीकरण कार्य में बाधा बनने लगे तो इन्हें काट दिया गया। अतः पौधरोपण के इस महत्वपूर्ण कार्य में उसके तकनीकी पहलुओं पर भी ध्यान दिया जाए, ताकि उनका लाभ दीर्घकाल तक मिलता रहे।

पौधों का चयन
पौधारोपण के लिए क्षेत्र का मौसम व मिट्टी के अनुकूल पौधे का चयन किया जाना जरूरी है। इसके लिए अपने यहाँ प्राकृतिक रूप से उगने वाले वृक्षों में से चयन करना उपयुक्त हो सकता है। इसके साथ ही जिस जगह पौधे रोपे जा रहे हैं, वहाँ की मिट्टी किस किस्म की है, उसकी गहराई क्या है, इसका भी विशेष ध्यान रखें।

स्थान का ध्यान रखें
कार्यालय, स्कूल, कॉलेज, फैक्टरी आदि में स्थान की उपलब्धता के अनुसार दो तरह के वृक्षों के पौधे लगा सकते हैं। कुछ वृक्ष छायादार हों, जिनके नीचे विद्यार्थी, कर्मचारी, श्रमिक कुछ समय गुजारकर तरोताजा महसूस कर सकें। यहाँ सड़क के किनारे फूल वाले पौधे लगाना अच्छा रहेगा।

शहर की सड़कों व गलियों में भी छायादार व पुष्पों वाले पौधे लगा सकते हैं। पूजा स्थलों पर बरगद, पीपल, बिल्वपत्र, कदम्ब आदि के पौधे लगाएँ। ग्रामीण क्षेत्र में खेतों के आसपास असुरक्षित क्षेत्र में बबूल, नीम, आकाश नीम तथा सुरक्षित क्षेत्र में नीम, आम, जामुन, कबीट आदि बहुत अच्छे रहेंगे। सार्वजनिक उद्यानों में विविध प्रकार के पौधे व झाड़ियाँ स्थान की उपलब्धता के अनुसार लगाई जाएँ।

पौधों की देखभाल
पौधा रोपने के बाद करीब दो वर्ष तक उसकी देखभाल बेहद जरूरी है। इसमें पानी देना, पशुओं से सुरक्षा करना महत्वपूर्ण है। इसके बाद भी नीचे निकलने वाली शाखाओं को समय-समय पर काटते रहना जरूरी है।

वनस्पतियों की भूमिका
हमारे लिए यह जानना जरूरी है कि मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्युपर्यंत तक वनस्पतियों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। देश, काल व परिस्थिति के अनुसार वनस्पतियों का उपयोग होता है। अमेरिका के व्हाइट हाउस, भारत के राष्ट्रपति भवन से लेकर सघन जंगल में आदिवासी की पर्णकुटी तक वनस्पतियाँ जीवन को सरसता व आनंद की अनुभूति कराती हैं।

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