अकबर-बीरबल के रोचक और मजेदार किस्से : बीरबल की पैनी दृष्टि
Birbal Ki Chaturai
बीरबल बहुत नेक दिल इंसान थे। वह सदैव दान करते रहते थे और इतना ही नहीं, बादशाह से मिलने वाले इनाम को भी ज्यादातर गरीबों और दीन-दुखियों में बांट देते थे, परंतु इसके बावजूद भी उनके पास धन की कोई कमी न थी। दान देने के साथ-साथ बीरबल इस बात से भी चौकन्ने रहते थे कि कपटी व्यक्ति उन्हें अपनी दीनता दिखाकर ठग न लें।
अकबर ने बीरबल को बेवकूफ बनाने के लिए क्या योजना बनाई....
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ऐसे ही बादशाह अकबर ने दरबारियों के साथ मिलकर एक योजना बनाई कि देखें कि सच्चे दीन दुखियों की पहचान बीरबल को हो पाती है या नहीं। बादशाह ने अपने एक सैनिक को वेश बदलवा कर दीन-हीन अवस्था में बीरबल के पास भेजा कि अगर वह आर्थिक सहायता के रूप में बीरबल से कुछ ले आएगा, तो बादशाह अकबर की ओर से उसे इनाम मिलेगा।
एक दिन जब बीरबल पूजा-पाठ करके मंदिर से आ रहे थे तो भेष बदले हुए सैनिक ने बीरबल के सामने आकर कहा, 'हुजूर दीवान! मैं और मेरे आठ छोटे बच्चे हैं, जो आठ दिनों से भूखे हैं…। भगवान का कहना है कि भूखों को खाना खिलाना बहुत पुण्य का कार्य है, मुझे आशा है कि आप मुझे कुछ दान देकर अवश्य ही पुण्य कमाएंगे।'
भीख मांग रहे आदमी को देखकर बीरबल ने क्या किया...
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बीरबल ने उस आदमी को सिर से पांव तक देखा और एक क्षण में ही पहचान लिया कि वह ऐसा नहीं है, जैसा वह दिखावा कर रहा है।
बीरबल मन ही मन मुस्कराए और बिना कुछ बोले ही उस रास्ते पर चल पडे़ जहां से होकर एक नदी पार करनी पड़ती थी। वह व्यक्ति भी बीरबल के पीछे-पीछे चलता रहा। बीरबल ने नदी पार करने के लिए जूती उतारकर हाथ में ले ली। उस व्यक्ति ने भी अपने पैर की फटी पुरानी जूती हाथ में लेने का प्रयास किया।
बीरबल नदी पार कर कंकरीले मार्ग आते ही दो-चार कदम चलने के बाद ही जूती पहन लेता। बीरबल यह बात भी गौर कर चुके थे कि नदी पार करते समय उसका पैर धुलने के कारण वह व्यक्ति और भी साफ-सुथरा, चिकना, मुलायम गोरी चमड़ी का दिखने लगा था इसलिए वह मुलायम पैरों से कंकरीले मार्ग पर नहीं चल सकता था।
बीरबल ने उसे कैसे समझाया कि वह भिखारी नहीं है..
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'दीवानजी! दीन ट्टहीन की पुकार आपने सुनी नहीं?' पीछे आ रहे व्यक्ति ने कहा।
बीरबल बोले, 'जो मुझे पापी बनाए मैं उसकी पुकार कैसे सुन सकता हूं?'
'क्या कहा? क्या आप मेरी सहायता करके पापी बन जांएगे?'
'हां, वह इसलिए कि शास्त्रों में लिखा है कि बच्चे का जन्म होने से पहले ही भगवान उसके भोजन का प्रबंध करते हुए उसकी मां के स्तनों में दूध दे देता है, उसके लिए भोजन की व्यवस्था भी कर देता है। यह भी कहा जाता है कि भगवान इंसान को भूखा उठाता है पर भूखा सुलाता नहीं है।
इन सब बातों के बाद भी तुम अपने आपको आठ दिन से भूखा कह रहे हो। इन सब स्थितियों को देखते हुए यहीं समझना चाहिए कि भगवान तुमसे रूष्ट हैं और वह तुम्हें और तुम्हारे परिवार को भूखा रखना चाहते हैं लेकिन मैं उसका सेवक हूं, अगर मैं तुम्हारा पेट भर दूं तो ईश्वर मुझ पर रूष्ट होगा ही। मैं ईश्वर के विरूद्ध नहीं जा सकता, न बाबा ना! मैं तुम्हें भोजन नहीं करा सकता, क्योंकि यह सब कोई पापी ही कर सकता है।'
बीरबल का जवाब सुनकर भीख मांग रहे व्यक्ति ने क्या किया...
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बीरबल का यह जबाब सुनकर वह चला गया।
उसने इस बात की बादशाह और दरबारियों को सूचना दी।
बादशाह अब यह समझ गए कि बीरबल ने उसकी चालाकी पकड़ ली है।
अकबर ने क्या पूछा बीरबल से प्रश्न...
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अगले दिन बादशाह ने बीरबल से पूछा, 'बीरबल तुम्हारे धर्म-कर्म की बड़ी चर्चा है, पर तुमने कल एक भूखे को निराश ही लौटा दिया, क्यों?'
'आलमपनाह! मैंने किसी भूखे को नहीं, बल्कि एक ढोंगी को लौटा दिया था और मैं यह बात भी जान गया हूं कि वह ढोंगी आपके कहने पर मुझे बेवकूफ बनाने आया था।'
बादशाह अकबर ने कहा, 'बीरबल! तुमने कैसे जाना कि यह वाकई भूखा न होकर, ढोंगी है?'
'उसके पैरों और पैरों की चप्पल देखकर। यह सच है कि उसने अच्छा भेष बनाया था, मगर उसके पैरों की चप्पल कीमती थी।'
बीरबल ने कैसे समझाया अकबर को ढोंगी का रूप...
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बीरबल ने आगे कहा, 'माना कि चप्पल उसे भीख में मिल सकती थी, पर उसके कोमल, मुलायम पैर तो भीख में नहीं मिले थे, इसलिए कंकड की गड़न सहन न कर सकें।'
इतना कहकर बीरबल ने बताया कि किस प्रकार उसने उस मनुष्य की परीक्षा लेकर जान लिया कि उसे नंगे पैर चलने की भी आदत नहीं, वह दरिद्र नहीं बल्कि किसी अच्छे कुल का खाता कमाता पुरुष है।'
बादशाह बोले, 'क्यों न हो, वह मेरा खास सैनिक है।' फिर बहुत प्रसन्न होकर बोले, 'सचमुच बीरबल! माबदौलत तुमसे बहुत खुश हुए! तुम्हें धोखा देना आसान काम नहीं है।'
बादशाह के साथ साजिश में शामिल हुए सभी दरबारियों के चेहरे बुझ गए।