साढ़े तीन अबूझ मुहूर्त : पूरे वर्ष में साढ़े तीन अबूझ मुहूर्त होते हैं। पहला चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, दूसरा विजया दशमी और तीसरा अक्षय तृतीया। आधा मुहूर्त कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को रहता है। विभिन्न मतांतर से देवप्रबोधिनी एकादशी को भी अबूझ और पवित्र मुहूर्त में शामिल किया जाता है।
क्या कर सकते हैं इस दिन : विवाह और खरीदी के लिए यह खास दिन माना गया है। यदि शुक्र या गुरु तारा अस्त न हो तो इस दिन बिना मुहूर्त देखें ही विवाह की रस्म संपन्न करवाई जा सकती है। इस दिन ही सभी शुभ कार्यों को संपन्न कर लिया जाता है क्योंकि देवशयनी एकादशी के बाद अगले चार महीनों तक कोई भी शुभ मुहूर्त मान्य नहीं होता है। अक्षय से आशय है जिसका कभी क्षय ना हो अर्थात् जो कभी नष्ट ना हो। अक्षय-तृतीया के दिन किसी भी शुभ कार्य को बिना मुहूर्त्त देखे ही प्रारम्भ किया जा सकता है। इन शुभ कार्यों में व्यापार, विवाह संस्कार, मुण्डन, नामकरण, वधूप्रवेश, द्विरागमन, वाहन क्रय, देवप्रतिष्ठा, व्रतोद्यापन आदि कार्य प्रमुख हैं। गृह प्रवेश करना, वाहन खरीदना, घर खरीदना, स्वर्ण आभूषण खरीदना, बर्तन, कपड़े खरीदना, कोई नया कार्य प्रारंभ करना आदि सभी शुभ कार्य किए जा सकते हैं।
अमृत काल : सुबह 07:44 से सुबह 09:15 तक।
अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त: प्रात: 05:33 से दोपहर 12:17 तक।
अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:51 से दोपहर 12:45 तक।
विजय मुहूर्त : दोपहर 02:32 से दोपहर 03:26 तक।
गोधूलि मुहूर्त : शाम 07:01 से 07:22 तक।
संध्या पूजा मुहूर्त : शाम 07:02 से रात्रि 08:05 तक।