अक्षय तृतीया के दिन मां रेणुका के गर्भ से विष्णु के अवतार भगवान परशुराम अवतरित हुए थे। चूंकि वह चिरंजीवी हैं इसलिए इस तिथि को चिरंजीवी तिथि भी कहा जाता है। अक्षय तृतीया पर कई उपाय आजमाए जाते हैं। पढ़ें 5 सटीक उपाय, जो हर संकट से बचाए. ...
- इस दिन स्वर्गीय आत्माओं की प्रसन्नता के लिए जल कलश, पंखा, खड़ाऊं, छाता, सत्तू, ककड़ी, खरबूजा आदि फल, शक्कर, घी आदि ब्राह्मण को दान करने चाहिए इससे पितरों की कृपा प्राप्त होती है।
- इस दिन गौ, भूमि, तिल, स्वर्ण, घी, वस्त्र, धान्य, गुड़, चांदी, नमक, शहद और कन्या यह बारह दान का महत्व है। जो भी भूखा हो वह अन्न दान का पात्र है। जो जिस वस्तु की इच्छा रखता है यदि वह वस्तु उसे बिना मांगे दे दी जाए तो दाता को पूरा फल मिलता है। सेवक को दिया दान एक चौथाई फल देता है। कन्या दान इन सभी दानों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है इसीलिए इस दिन कन्या का विवाह किया जाता है।
- अक्षय तृतीया पर दान देने वाला सूर्य लोक को प्राप्त होता है। इस तिथि को जो व्रत करता है वह ऋद्धि, वृद्धि एवं श्री से संपन्न होता है। इस दिन किए गए कर्म अक्षय हो जाते हैं। अत: इस दिन शुभ कर्म ही करने चाहिए।