* अक्षय तृतीया पर करें पितृ-दोष मुक्ति के सरल उपाय
आगामी 18 अप्रैल को 'अक्षय-तृतीया' है। जैसा कि नाम से स्पष्ट है अक्षय अर्थात् जिसका कभी क्षय ना हो। 'अक्षय-तृतीया' एक अति महत्वपूर्ण पर्व है। 'अक्षय-तृतीया' को अबूझ व स्वयं सिद्ध मुहूर्त की मान्यता प्राप्त है। प्रतिवर्ष अक्षय-तृतीया का पर्व वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है।
इस बार 'अक्षय-तृतीया' 18 अप्रैल को कृतिका नक्षत्र एवं सर्वार्थ सिद्धि योग में रहेगी जो बहुत ही दुर्लभ व शुभ संयोग है। अक्षय-तृतीया के दिन सम्पन्न की गईं साधनाएं व दान अक्षय रहकर शीघ्र फलदायी होते हैं।
'अक्षय-तृतीया' के दिन साधक हत्थाजोड़ी सिद्धि, लक्ष्मी प्राप्ति साधना, अरिष्ट निवारण साधना सम्पन्न कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। पितृ-दोष से मुक्ति के लिए 'अक्षत-तृतीया' बहुत अच्छा अवसर है, इस दिन पितृगणों के निमित्त दिया गया दान अक्षय होकर पितृगणों को तुष्ट करता है।
अक्षत तृतीया के दिन क्या करें :-
1. सुख शांति : 11 गोमती चक्रों को लाल रेशमी वस्त्र में बांधकर चांदी की डिब्बी में रखकर पूजा स्थान में रखने से घर में सदैव सुख-शांति का वातावरण बना रहता है।
2. व्यापारिक लाभ : 27 गोमती चक्रों को पीले या लाल रेशमी वस्त्र में बांधकर अपने प्रतिष्ठान के मुख्य द्वार पर बांधने से व्यापार में आशातीत लाभ होता है।
3. कर्मक्षेत्र : यदि कर्मक्षेत्र में बाधाएं आ रही हों या पदोन्नति में रुकावट हो तो 'अक्षय-तृतीया' के दिन शिवालय में शिवलिंग पर 13 गोमती चक्र अपनी मनोकामना का स्मरण करते हुए अर्पित करने लाभ होता है।
4. भाग्योदय : भाग्योदय हेतु 'अक्षय-तृतीया' के दिन प्रात:काल उठते ही सर्वप्रथम 11 गोमती चक्रों को पीसकर उनका चूर्ण बना लें, फिर इस चूर्ण को अपने घर के मुख्य द्वार के सामने अपने ईष्ट देव का स्मरण करते हुए बिखेर दें। इस प्रयोग से कुछ ही दिनों में साधक का दुर्भाग्य समाप्त होकर भाग्योदय होता है।
जिन जातकों की जन्मपत्रिका में 'पितृ-दोष' है वे 'अक्षय-तृतीया' के दिन प्रात:काल किसी स्वच्छ स्थान या मन्दिर में लगे पीपल के ऊपर अपने पितृगणों के निमित्त घर का बना मिष्ठान व एक मटकी में शुद्ध जल रखें। पीपल के नीचे धूप-दीप प्रज्ज्वलित कर अपने पितृगणों की संतुष्टि के लिए प्रार्थना करें। तत्पश्चात् बिना पीछे देखे सीधे अपने घर लौट आएं, ध्यान रखें इस प्रयोग को करते समय अन्य किसी व्यक्ति की दृष्टि ना पड़ें। इस प्रयोग को करने से पितृगण शीघ्र ही संतुष्ट होकर अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
स्वयंसिद्ध विवाह मुहूर्त है 'अक्षय-तृतीया' :
' अक्षय-तृतीया' एक स्वयं सिद्ध मुहूर्त है। 15 अप्रैल को सूर्य के मेष राशि में प्रवेश के साथ ही विगत 1 माह से चल रहा 'मलमास' समाप्त हो जाएगा। ' मलमास' के समाप्ति के पश्चात 18 अप्रैल ' अक्षय-तृतीया' से विवाह प्रारंभ होंगे। स्वयं सिद्ध व अबूझ श्रेणी का मुहूर्त होने से 'अक्षय-तृतीया' के दिन विवाह करना श्रेयस्कर रहेगा।