ओबामा के लिए आगे है गंभीर चुनौतियाँ

अमेरिका के राष्ट्रपति पद पर काबिज होकर नया इतिहास रचने वाले पहले अश्वेत नेता बराक ओबामा के लिए जितना चुनौतीपूर्ण यह चुनाव था, उससे कहीं ज्यादा बड़ी चुनौतियाँ आगे खड़ी हैं।

ओबामा 20 जनवरी 2009 को विधिवत राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे, लेकिन इसके पूर्व ही अमेरिकी प्रशासन नई सरकार के लिए इन चुनौतियों से निबटने का रास्ता साफ करने के काम में जुट गया है।

पार्टी के चुनाव कार्यालय मे कामकाज तेजी से समेटा जा रहा है और नई सरकार को प्रशासनिक और नीतिगत मामलों में सलाह देने के लिए विशेषज्ञों का एक दल गठित किया जा रहा है।

इस दल में प्रत्येक अहम नीतिगत मुद्दों के विशेषज्ञ शामिल होंगे। ये सदस्य नए राष्ट्रपति को मंत्रिमंडल में नए मंत्रियों के चुनाव के वास्ते सुझाव देंगे। नए मंत्रियों का चुनाव ओबामा के पद ग्रहण करने के बाद नई संसद करेगी।

पुराने प्रशासन से नए प्रशासन को सत्ता का हस्तांतरण सुगम और सहज बनाने की यह प्रक्रिया अमरीकी लोकतंत्र की कसौटी रही है।

सत्ता के हस्तांतरण की प्रक्रिया में मदद करने वाले इस दल को व्हाइट हाउस की ओर से पूरी मदद दी जाएगी। इस प्रक्रिया के तहत संघीय एजेंसियों और व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने अहम लंबित प्रशासनिक मामलों पर विशेषज्ञ दल को जानकारी देने की तैयारी पूरी कर ली है।

20 जनवरी 2009 को पद ग्रहण करने के साथ श्री ओबामा अमरीका और अफ्गानिस्तान में अमरीकी सैन्य अभियान के कंमाडर इन चीफ की जिम्मेदारी भी संभालेंगे।

अपने चुनावी भाषणों में ओबामा कई बार इराक के खिलाफ अमेरिकी सैन्य कार्रवायी की आलोचना कर चुके हैं। राष्ट्रपति पद के चुनाव मे यह एक अहम मुद्दा रहा है, ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इराक मामले पर अमेरिकी नीति में कुछ बड़े बदलाव आ सकते हैं।

हालाँकि विशेषज्ञों का कहना है कि ओबामा के सामने इस समय सबसे बड़ी चुनौती मौजूदा आर्थिक संकट से निबटने की होगी। वह एक ऐसे राष्ट्रपति होंगे, जिन्हें पहली बार बड़े घाटे वाला खाली सरकारी खजाना मिलेगा।

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