अमिताभ : नेता नहीं बन पाया अभिनेता

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राजनीति की तिकड़म अमिताभ को रास नहीं आई। अभिनय का यह खिलाड़ी राजनीति के मैदान में खेल नहीं पाया और उन्होंने इसे जल्द ही अलविदा कह दिया।

अपने दोस्त राजीव गाँधी के कहने पर अमिताभ ने राजनीति का दामन थामा था। उस समय राजीव को अपने लोगों की जरूरत थी और अमिताभ ने दोस्त होने के नाते अपना कर्तव्य पूरा किया।

अपने शहर इलाहबाद से उन्होंने अभिनय से ब्रेक लेते हुए चुनाव लड़ा। चुनाव में उनके सामने राजनीति में उनसे बड़ा नाम एच.एन. बहुगुणा था। फिल्मों में कमाई गई लोकप्रियता अमिताभ को राजनीति में काम आई और चुनाव में उन्होंने बहुगुणा को भारी अंतर से हराया।

जोरदार शुरुआत के बावजूद राजनीति में आने वाला समय अमिताभ के लिए कठिनाई भरा साबित हुआ। ‘बोफोर्स कांड’ में वे और उनके भाई उलझ गए। आरोपों का कीचड़ उन पर उछाला गया। अमिताभ ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उनके साथ इस तरह का व्यवहार होगा। उन्हें बहुत बुरा लगा और कटु अनुभव हुए।

अमिताभ ने तुरंत भाँप लिया कि नेता बनना इस अभिनेता के बस की बात नहीं है। वे इस खेल के दाँवपेंच से अनभिज्ञ है। तीन वर्ष बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया और फिर राजनीति में नहीं उतरने की कसम खाई, जिस पर वे आज तक कायम है।

कर्ज में डूबे अमिताभ को बुरे समय में समाजवादी पार्टी के अमरसिंह ने काफी मदद की। इस समय वे उनके बेहद नजदीक हैं और उन्हें अपना भाई मानते हैं। पिछले दिनों अमरसिंह सिंगापुर में इलाज करा रहे थे, तो बिग बी ने महीने भर से ज्यादा समय उनके साथ बिताया। उनकी पत्नी जया बच्चन समाजवादी पार्टी की नेता हैं।

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