सनी देओल बॉलीवुड के वो एक्शन स्टार है जो पचास गुंडों को एक मुक्के में मार गिराएं तो कोई सवाल नहीं करता। वे हैंडपंप उखाड़ते हैं तो भी सबको यकीन रहता है कि सनी ऐसा कर सकते हैं। बहुत दिनों से सनी का यह रूप बड़े परदे पर नजर नहीं आया था। गदर 2 ने जरूर कामयाबी हासिल की, लेकिन जाट में सनी को वो रौद्र रूप दिखाई दिया जिसकी तलाश उनके फैंस को बरसों से थी।
सनी ने ढाई किलो के हाथ का जलवा नॉर्थ में तो दिखाया है इस बार उन्होंने यह हथौड़ा साउथ में चलाया है। बदमाशों को उन्होंने खूब उठा पर पटका है, उनके शरीर को तोड़ा है और वे यही नहीं रूके, खिड़की उखाड़ दी, अपने मुक्के से मकान में क्रेक ला दिए, रैलिंग उखाड़ फेंकी, बड़ा पंखा उखाड़ दिया और जीप को पीछे से पकड़ लिया तो जीप एक इंच भी आगे नहीं बढ़ पाई।
निर्देशक गोपीचंद मलिनेनी ने बड़ी सफाई के साथ इन एक्शन दृश्यों को स्क्रीनप्ले में जोड़ा है, इन एक्शन सीक्वेंस के पीछे वजह पैदा की है, जिससे दर्शकों को मनोरंजन होता है। इंटरवल तक फिल्म बिना कहानी के दिल बहलाती है। सनी देओल के कैरेक्टर के बारे में कुछ भी नहीं बताया गया है। एक गांव में इडली खाने जाता है और पंगा शुरू हो जाता है। सॉरी बोल का सीक्वेंस ऐसा शुरू होता है देखते ही देखते फिल्म आधी खत्म हो जाती है। इस सीक्वेंस में कॉमेडी भी है और देसी एक्शन भी जो एंटरटेन करते हैं।
इंटरवल के बाद फिल्म का ग्राफ नीचे आता है। बिना कहानी के मनोरंजन कर रही फिल्म में जैसे ही कहानी फ्रंट सीट पर आती है मनोरंजन का ग्राफ नीचे आता है। सनी देओल और रणदीप हुड्डा के किरदारों के बारे में खुलासा किया जाता है वो बहुत दिलचस्प नहीं है। बहुत ही रूटीन तरीके से दर्शाया गया है। क्लाइमैक्स में खूब धूम धड़ाका है, लेकिन उम्मीद से कम है। थोड़ी जल्दबाजी भी नजर आती है।
बहरहाल फिल्म में ऐसे कई ताली बजाने और सीटी मारने वाले सीन लगातार आते रहते हैं जो दर्शकों को फिल्म से जोड़े रखते हैं। इनमें प्रमुख हैं- सनी और रणदीप की पहली मुलाकात। एक और जान कर जान को जोखिम में डालने को जान से ज्यादा प्यार करने वाला सनी है तो दूसरी ओर रणदीप है जिसकी गहराई से समुंदर डरता है और सूरज जिससे गर्मी लेता है। इन दोनों के बीच जो सीन और डॉयलॉगबाजी है और फिल्म का बेस्ट सीक्वेंस है। सनी का सरकारी ऑफिस में विनीत कुमार के साथ फाइट सीन और सनी का पुलिस थाने में जम कर धमाल मचाना भी फिल्म के हाइलाइट्स हैं। इनमें जोरदार ड्रामा भी है और एक्शन भी।
Sunny Deol in Jaat
कहानी, स्क्रीनप्ले और निर्देशन गोपीचंद मलिनेनी का है। कहानी उनकी रूटीन है, लेकिन स्क्रीनप्ले अच्छा है। रूटीन स्टोरी में जोरदार घटनाएं जोड़ कर उन्होंने फिल्म को दिलचस्प बनाया है। फिल्म के हीरो और विलेन पर खासा काम किया है। दोनों किरदार ब्लैक और व्हाइट है। सनी देओल को उसी अंदाज में पेश किया है जैसा दर्शक उन्हें देखना चाहते हैं। रणदीप हुड्डा को खूंखार विलेन के रूप में उन्होंने बखूबी दर्शाया है। महिलाओं का सम्मान, मिट्टी हमारी मां है, देशप्रेम, प्रभु श्रीराम पर गाना जैसी बातों को भी जगह दी है। उर्वशी रौटेला पर मादक अंदाज में गाना फिल्माया है। यदि सेकंड हाफ भी वे थोड़ा और बेहतर बना लेते तो फिल्म अलग स्केल पर पहुंच जाती।
67 वर्षीय सनी देओल इस उम्र में भी अपने से आधी उम्र के नौजवान हीरो से मीलों आगे नजर आते हैं। उनका स्टारडम अभी भी अपील करता है। जाट में लीड रोल वे शेर की तरह दहाड़ते नजर आते हैं। एक्शन में उनके मसल्स पॉवर का खूब इस्तेमाल किया गया है और उन्होंने अविश्वसनीय एक्शन को विश्वसनीय बनाया है। गदर एक प्रेम कथा के बाद यह उनकी बेहतरीन फिल्म है।
रणदीप हुड्डा को संवाद कम मिले हैं, लेकिन अपने लुक, बीड़ी पीने के अंदाज, शर्ट की बांह को मोड़ना और बॉडी लैंग्वेज से ही वे खौफ पैदा कर देते हैं। उनके और सनी के बीच कुछ दृश्य और होना थे। विनीत कुमार की खलनायकी जोरदार है। उपेंद्र लिमये एनिमल की तरह यहां भी छोटे रोल में बड़ा असर छोड़ते हैं। सैयामी खेर औसत रहीं।
थमन एस का बैकग्राउंड म्यूजिक हीरो के करिश्मे को कई गुना बढ़ाता है। एक्शन को पॉवरफुल बनाता है। ऋषि पंजाबी की सिनेमाटोग्राफी फिल्म को रिच लुक देती है। नवीन नूली का संपादन फिल्म को धारदार बनाता है। फिल्म के संवाद उम्दा है। एक्शन देसी है और अपील करता है। खूब गर्दनें काटी गई हैं और चाकू छूरे चले हैं।
कुल मिला कर जाट सनी देओल का शो है। यह उस दौर की मसाला फिल्मों की याद दिलाती है जो सिंगल स्क्रीन में धूम मचाया करती थी।
निर्देशक: गोपीचंद मलिनेनी
फिल्म : JAAT (2025)
गीतकार: कुमार, अद्वितेय वोज्जला, श्रुति रंजनी, अमृत मान