आज के समा में वो मज़ा नहीं था खुशी होते हुए भी दिल खुश नहीं था आज था उदास गली का हर मंज़र और जैसे नाराज़ हमसे हर नज़ारा था आज जीत की खुशी नहीं थी बस दिल में गम का फसाना था पूछा मैंने जब दिल से वो बोला आज के समा में वो मज़ा नहीं था मुस्कुराते होंठ ज़रूर थे पर दिल में आसुओं का पैमाना था जब रोका रोते दिल को मैंने तो वो बोला कि आज के समा में वो मज़ा नहीं था जब पूछा मैंने दिल से कि क्यों आज के समा में वो मज़ा नहीं था वो नज़रें झुकाकर बोला कि आज वो नहीं था जो मुझे सबसे प्यारा था - लतिका पंडित