विदेशों में भारतीय छात्रों के खिलाफ हिंसा और हत्या के मामले अंतरालों से सुर्खियाँ बनते रहे हैं। इसमें कोई दो मत नहीं कि विश्व आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है और जब इस तरह की समस्याएँ आती हैं, उसके साथ कुछ अनिवार्य बीमारियाँ भी जुड़ जाती हैं। पिछले कुछ सालों में भारतीय युवाओं ने अपनी लगन और मेहनत से दुनियाभर में झंडे गाड़े हैं। वे दुनियाभर की यूनिवर्सिटीज में बेहतर प्रदर्शन करते हैं और बेहतर जॉब हासिल करते हैं। उनके खिलाफ एक चिढ़ और नफरत पैदा होती है। इसीलिए उनके खिलाफ हिंसा होती है। इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ स्पर्धा में पिछड़ जाने का हाथ है।