खुशी एक परिंदा है, आशा के नभ में जब तलक उड़े, वह ज़िन्दा है! ख़ुशी एक चुम्बक है, संघर्ष लौह को खींचने का, एक प्रयास अथक है! ख़ुशी एक चिराग है, जलती नहीं, फिर भी देती, रोशनी और आग है! ख़ुशी एक पल है, जीने पर सुखद-सदी, खोने पर बीता हुआ कल है! ख़ुशी एक तूफ़ान है, आने से पहले था जैसा किनारा, गई तो वैसा ही वीरान है! ख़ुशी एक तिलिस्म है, मुस्कराहट है चाबी जिसकी, निराशा जिसकी भस्म है! ख़ुशी एक राज़ है, खुल जाए तो खज़ाना, नहीं तो डूबा हुआ जहाज़ है! ख़ुशी एक कोशिश है, पूरे चाँद का आकर्षण, झिलमिलाते तारों की कशिश है! ख़ुशी एक जादू है, जाने से पहले थाम लो, लो होती वो उड़न-छू है !!! -दिपेन्दर कौर मान