युवा राजनीति का बदलता चेहरा

- ऋषि गौतम

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40 वह नंबर है, जहां यूथ की बाउंड्री खत्म होती है और इसी के साथ खत्म होती है कुछ नया करने या सोचने की उम्र। लेकिन शायद राजनीति में यह जुमला फिट नहीं बैठता। तभी तो फिल्मों की तरह यहां भी 40 की उम्र पार करने के बाद भी नेता युवा होने और युवाओं का नेतृत्व करने का किरदार निभा रहे हैं। ऐसे में लाजिमी तौर पर यह सवाल उठता है कि आखिर युवा होने की परिभाषा क्या है। हम किसे युवा मानते हैं?

चुनावी मौसम शुरू हो चुका है। देश के कुछ राज्यों में तो इसी साल विधानसभा के चुनाव होने हैं,लेकिन असली मुकाबला तो 2014 के लोकसभा चुनाव में देखने को मिलेगा। उसकी तैयारी भी अभी से शुरू हो गई है। अभी से हर तरफ चुनावी खुमार चठने लगा है। लेकिन इस बार का चुनावी माहौल बदला-बदला सा है। एक चीज जो इस बार पूरे देश में सबसे ज्यादा सुनने को मिल रही है वह है युवा राजनीति,युवाओं का नेता। राजनीति के सारे दांव पैंतरे इस बार युवाओं को ध्यान में रखकर ही तैयार किए जा रहे हैं।


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वैसे यह कोई आश्चर्यजनक बात तो नहीं हैं,क्योंकि जाहिर तौर पर जिस देश की 65 फीसदी आबादी 30 साल कम उम्र की है वहां इसे कोई नया शिगूफा नहीं कहा जा सकता। इस देश में पहले भी कई मौकों पर युवाओं ने अपना जौहर पेश कर अपनी ताकत को साबित किया है।

गुलाम भारत की राजनीति को दिशा देने वाले युवाओं में भगत सिंह का नाम सम्मान से लिया जाता है। हिन्दुस्तान के इतिहास में भगत सिंह का होना एक बड़ी घटना थी। मात्र 23 साल की उम्र में ही उन्होंने देश के विकास के लिए कितने सपने देख डाले थे। देश के युवा उनके इशारों पर बेहिचक फांसी के फंदे को भी चूमने के लिए तैयार रहते थे। इन मतवालों की फौज ने ही देश की राजनीति में युवाओं को आगे आने के लिए रास्ता दिखाया। लेकिन आज का बड़ा सवाल यह कि युवा नेता के तौर पर देश के सामने आज जिसे पेश किया जा रहा है वह अपनी 40 साल की उम्र भी पार कर चुके हैं।

बात अगर बीजेपी की करें जिसने प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रूप में नरेंद्र मोदी को पेश किया है और जिन्हें युवाओं का चेहरा बताया जा रहा है उनकी उम्र तो सामान्य युवा के दोगुनी से भी ज्यादा यानी 63 साल हैं। वहीं कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी की उम्र 43 साल है। जिन्हें कांग्रेस की तरफ से 2014 में प्रधानमंत्री बनाने की अटकलें लगाई जा रही हैं। इसी तरह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी युवा नेताओं के चेहरों में ही शामिल किया जाता है। उम्मीद की जा रही है कि 2014 के लोकसभा के चुनाव में वह भी कुछ नया रंग दिखाएंगे और बड़ी भूमिका निभाएंगे। उनकी उम्र भी साठ को पार कर चुकी है और वह 62 साल के हैं।


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वहीं मध्यप्रदे्श में इसी साल दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने युवा चेहरे के रूप में ज्योतिरादित्य सिंधिया को आगे बढ़ाया है। उनकी उम्र भी 42 साल है। इसी प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 54 साल के हैं। वह भी युवाओं की ही राजनीति करते हैं। इसी दम पर इस साल फिर से वह चुनावी मैदान में कूद चुके हैं।

इसी तरह दिसंबर में ही दिल्ली विधानसभा के लिए भी चुनाव होने वाले हैं। यहां के चुनावी फिजा की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। यहां भी युवाओं के दम पर राजनीतिक की दिशा बदलने का दावा करने वाले'आप पार्टी'के नेता अरविंद केजरीवाल की उम्र 45 साल है। वहीं बीजेपी की तरफ से यहां जो चेहरा उभरकर सामने आ रहा है उनमें विजय गोयल मुख्य हैं और उनकी उम्र 59 साल है। दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित यूं तो खुद 75 साल की हो चुकी हैं लेकिन यह संभावना जताई जा रही है कि कांग्रस की तरफ से युवा चेहरे के नाम पर उनके पुत्र संदीप दीक्षित को शायद आगे प्रोजेक्ट किया जाए जो 49 साल के हैं।

बात अगर राजस्थान की करें तो वहां भी मुख्यमंत्री के चुनाव होने वाले हैं। वहां अभी कांग्रेस की सरकार है और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की उम्र 62 साल है। वहीं भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री के रूप में जिस वसुंधरा राजे सिंधिया को पेश करने की संभावना जताई जा रही है वह 60 साल की हैं।



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