सचिन के बगैर अधूरा है क्रिकेट

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बहुमुखी प्रतिभा के धनी सचिन का क्रिकेट के प्रति समर्पण और जुनून काबिलेतारीफ है। जब वे क्रिकेट में अपनी प्रबल दावेदारी रखते हैं तो हमें सचिन के इस जज्बे को सलाम करते हुए उन्हें लगातार खेलने को प्रोत्साहित करना चाहिए न कि संन्यास की बात करके हतोत्साहित करना चाहिए।

क्रिकेट के प्रति समर्पण, निष्ठा और जुनून का लाजवाब मेल है सचिन। क्रिकेट की दोनों विधाओं (वनडे व टेस्ट) में सर्वाधिक रन बनाने वाले इस प्रतिभाशाली खिलाड़ी ने कीर्तिमानों के भी कीर्तिमान रचकर यह सिद्घ कर दिया है कि सचिन क्रिकेट के लिए और क्रिकेट सचिन के लिए बना है।

क्रिकेट की दुनिया सचिन के बगैर न तो कभी शुरू होगी और न ही कभी खत्म। अपने बल्ले से जादुई खेल दिखाकर चमत्कारिक शॉट लगाने वाले सचिन तेंडुलकर ने अपनी मेहनत व लगन से क्रिकेट में कामयाबी की एक नई इबारत लिखी है। आज भी उम्र के इस उनचालीसवें पड़ाव पर जब अधिकांश क्रिकेटर सन्यास लेने की सोचते है। उस पड़ाव पर पहुँचकर भी न केवल सचिन का बल्ला बल्कि उनके सीने में क्रिकेट के लिए धड़कता दिल भी दुनिया से यही कह रहा है कि क्रिकेट मेरे प्राण है। इसे मुझसे अलग मत करो।

अपने देश के लिए समर्पित भाव से खेलने वाला यह क्रिकेटर सही माइनों में अपने बेहतर खेल प्रदर्शन से देश की सेवा कर रहा है। क्रिकेट जगत में सचिन भारत की शान है।

राहुल द्रविड़ के बाद अब क्रिकेट में संन्यास के प्रबल दावेदार के रूप में सचिन का नाम लेकर महाशतक लगाने वाले इस होनहार खिलाड़ी पर संन्यास का अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा है। कुछ लोग सचिन के संन्यास की अटकलें लगाकर लगातार हो-हल्ला मचा रहे हैं, लेकिन क्या वाकई में आपको लगता है कि क्रिकेट के महान खिलाड़ी सचिन को अब संन्यास ले लेना चाहिए या फिर सचिन अभी कुछ साल और क्रिकेट खेल सकते हैं? इस बात पर हमने शहर के कुछ युवाओं से चर्चा की।

मलय अग्रवाल की मानें तो सचिन अभी अच्छा खेल रहे हैं। उनके परफार्मेंस में भी कोई खराबी नहीं आई है, इसलिए उन्हें संन्यास नहीं लेना चाहिए। हम यह मान सकते हैं कि अब तक सचिन पर महाशतक बनाने का दबाव था, लेकिन महाशतक बनाने के बाद अब तो वह मानसिक रूप से पूर्णतः तनावमुक्त है, जिसका असर निश्चित तौर पर अब हमें अगले मैचों में उनके बेहतर खेल प्रदर्शन के रूप में देखने को मिलेगा।

शैलेंद्र गुप्ता व सुमित पोरवाल की मानें तो अन्य खिलाड़ियों की तुलना में सचिन की फिटनेस इस उम्र में भी लाजवाब है। यदि सचिन में अभी भी खेल का जोश और जुनून कायम है तो उन्हें संन्यास लेकर घर बैठने की बजाय क्रिकेट खेलकर इस खेल को नई ऊँचाइयाँ प्रदान करना चाहिए।

सचिन का अपने खेल के प्रति समर्पण ही उन्हें अब तक युवा व ऊर्जावान बनाए रखे है। ऐसा कहने वाले मनीष शर्मा की मानें तो सचिन का जोश और खेल देखकर तो यही लगता है कि सचिन 2015 का वर्ल्डकप भी जरूर खेलेंगे। जब सचिन स्वयं देश के लिए कुछ और साल खेलना चाहते हैं तो फिर क्यों हम बार-बार सचिन के संन्यास का मुद्दा उठाकर उनके उत्साह को कम कर रहे हैं?

क्रिकेट के इस महानायक के संन्यास की अटकलें लगाना व इस मुद्दे को तूल देना मीडिया का कार्य है। ऐसा कहने वाले जेपी भट्ट की मानें तो हमें सचिन की हौसला-अफजाई करना चाहिए, क्योंकि अमूमन उम्र के जिस पड़ाव पर क्रिकेटर संन्यास ले लेते हैं। उस पड़ाव पर क्रिकेट का यह साधक अपने खेल के माध्यम से कुछ और साल देशसेवा की बात कर रहा है। यह सचिन के भीतर पल रहे क्रिकेट का यौवन है, जो उनके खेल के माध्यम से खिलखिला रहा है।

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