नित सोच-सोच तुम्हें मैं,समझ नहीं पाता हूं।
अनमना सा रहता हूं, दीवाना हुआ जाता हूं।
इजहारे मुहब्बत करने में, शब्दकोष रिक्त हो जाए।
फूलों के गुलदस्ते में, दिल अपना भिजवाता हूं।
इस प्रेम मास के प्रेम दिवस पर, इज़हार किए देता हूं।
अपना लो या ठुकरा दो, कभी शिकवा ना करूंगा,