आज के युग में सुखी होने का एकमात्र साधन है धन-संपत्ति। लेकिन भरपूर धन होने पर भी कई बार आप उसे अपने अनुसार खर्च नहीं कर पाते। कई बार धन यूँ ही खर्च होता जाता है और हम कहते हैं कि रुपयों को पैर लग गए हैं। आप कितना धन कमाएँगे, इसके साथ कितना धन खर्च करेंगे और कैसे करेंगे, यह भी आपका हॉरोस्कोप बताता है।
* यदि लग्न का स्वामी शुभ ग्रह है, नवम में शुभ ग्रह है तो धन की कमी नहीं रहती। * यदि द्वितीय भाव का स्वामी प्रबल है तो धन की प्रचुरता रहती है। * धन भाव का वीनस यानी शुक्र प्रचुर धन देता है।
* मून (चंद्रमा) की प्रबलता भी धन योग बढ़ा देती है। * यदि लग्न पर वीनस की दृष्टि हो तो खर्च कपड़े, गहनों पर होता है। * गुरु का धन भाव या लग्न से संबंध धार्मिक कार्य, दानादि में खर्च होता है।
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* केतु का संबंध होने पर धन प्रवास, यात्रा आदि में खर्च होता है। * धनेश सिक्स्थ हाउस में हो तो धन रोग, बीमारी में जाता है।
कुछ अन्य योग * ट्वेल्थ हाउस (द्वादश) में शुभ ग्रह हो तो धन शुभ कार्यों में व अशुभ ग्रह हो तो अशुभ कार्य में खर्च होता है।
* ट्वेल्थ हाउस में शनि-मंगल हो तो भाइयों को सहयोग देने में धन खर्च होता है।
* ट्वेल्थ हाउस में कमजोर या पापी सूर्य हो तो सरकार से सजा के लिए (जमानत आदि) में धन खर्च होता है।
* ट्वेल्थ हाउस में गुरु (ज्यूपीटर) हो तो टैक्स चुकाने में धन खर्च होता है।