Ganga Dussehra 2024: जिस दिन गंगाजी की उत्पत्ति हुई थी वह दिन वैशाख शुक्ल सप्तमी है, जिसे गंगा जयंती या गंगा सप्तमी के नाम से जाना जाता है जबकि जिस दिन गंगा जी पृथ्वी पर अवतरित हुई वह दिन ज्येष्ठ शुक्ल दशमी है, जो कि 'गंगा दशहरा' के नाम से जनमानस में बहुप्रचलित है। 16 जून 2024 को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाएगा। आओ जानते हैं गंगा के धरती पर अवतरण और संगम के बारे में।
धरती पर गंगा का आगमन : सर्वप्रथम गंगा ने विष्णु जी के वामन रूप के चरण से निकलकर ब्रह्मा जी के कमंडल में स्थान पाया। इसके बाद वे कमंडल से निकलकर शिवजी की जटाओं में विराजमान हो गई। फिर भागीरथ के निवेदन पर वह शिवजी की जटाओं से मुक्त हुई तो कई धाराओं में निकलकर धरती पर आई। जहां से निकलकर कई धाराओं में विभक्त होकर आगे बड़ी।
गौमुख से निकली गंगा : किंतु वस्तुत: उनका उद्गम 18 मील और ऊपर श्रीमुख नामक पर्वत से है। वहां गोमुख के आकार का एक कुंड है जिसमें से गंगा की धारा फूटी है। 3,900 मीटर ऊंचा गौमुख गंगा का उद्गम स्थल है। इस गोमुख कुंड में पानी हिमालय के और भी ऊंचाई वाले स्थान से आता है।
गंगा की मुख्य 12 धाराएं : हिमालय से निकलकर गंगा 12 धाराओं में विभक्त होती है इसमें मंदाकिनी, भागीरथी, धौलीगंगा और अलकनंदा प्रमुख है। गंगा नदी की प्रधान शाखा भागीरथी है जो कुमाऊं में हिमालय के गोमुख नामक स्थान पर गंगोत्री हिमनद से निकलती है। यहां गंगाजी को समर्पित एक मंदिर भी है।
गंगा का अन्य नदियों से संगम : गंगा सागर में मिलने के पहले गंगा में कई अन्य नदियां मिलती हैं जिसमें प्रमुख हैं- सरयू, यमुना, सोन, रामगंगा, गोमती, घाघरा, गंडक, बूढ़ी गंडक, कोसी, घुघरी, महानंदा, हुगली, पद्मा, दामोदर, रूपनारायण, ब्रह्मपुत्र और अंत में मेघना। गंगा देवप्रयाग, हरिद्वार, ऋषिकेश से प्रयागराज पहुंचकर यह यमुना से मिलती है।
गंगा की सहायक नदियों के नाम: गंगा में उत्तर की ओर से आकर मिलने वाली प्रमुख सहायक नदियां यमुना, रामगंगा, करनाली (घाघरा), ताप्ती, गंडक, त्रिशूल, कोसी और काक्षी हैं। दक्षिण के पठार से आकर इसमें मिलने वाली प्रमुख नदियाँ चंबल, सोन, बेतवा, शारदा, केन, दक्षिणी टोस आदि हैं। उपरोक्त बताई गई गंगा की मुख्य 12 धाराएं भी उसकी सहायक नदियां ही हैं।