ग्रह बताए, कौन-सा विषय आजमाएं

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- पं. अशोक पंवार मंयक

लगभग सभी क्षेत्रों के परीक्षा परिणाम आ चुके हैं। अब पालक को एक विशेष चिंता से गुजरना पड़ रहा होगा कि अब बालक क्या करें, जिससे उसका भविष्य निर्धारण हो।

कई पालक ज्योतिषियों के यहां अपने लाड़ले-लाड़लियों की जन्मपत्रिका लेकर जाते हैं और जानने की कोशिश करते हैं कि हमारा बच्चा किस विषय को लें जिससे उसके जीवन में सफलता ही सफलता दस्तक दें। परंतु ज्योतिष के यहां जाने के साथ ही अपने बालक की इच्छा भी जानना चाहिए और उसके पसंद के अनुरूप ही उसे सब्जेक्ट दिलाने और उसकी रूचि अनुसार उसका करियर बनाने में बच्चे की सहायता करना चाहिए।

बच्चों की रूचि के साथ-साथ ग्रह अपनी जगह होते हैं, कोई भी ज्योतिषी पत्रिका देखकर कुछ परामर्श दे भी दें तो भी आंख मूंद कर उसे अपनाने के बजाय बच्चों की रूचि को भी प्राथमिकता दें। ग्रहों के आधार पर हम कुछ जानकारी दे रहे हैं, जो आपको करियर की सही राह बताने में मददगार साबित हो सकती है।

शिक्षा के लिए जन्मकुंडली का पंचम भाव व स्वंय के लिए लग्न व धन से संबंधित भाव द्वितीय व भाग्य भाव नवम को देखना चाहिए। इन भावों से ही उस जातक के बारे में जानकारी मिलती है कि उसकी शिक्षा में धन से संबंधित बाधा तो नहीं आएगी। उसी प्रकार वह मेहनत कर पाएगा या नहीं, उसका भाग्य साथ देगा या नहीं। पत्रिका में विद्या का भाव कैसा है इन सब बातों की जानकारी उपरोक्त भावों से लगती है।

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लग्न से उसकी मेहनत को देखा जाएगा। यदि लग्न पूर्ण रूप से निर्दोष है एवं कोई पापी ग्रह नहीं है, तो वह जातक उत्तम सफलता पाएगा। द्वितीय भाव धन से संबंधित है, इसका भी दोषरहित होना धन की कमी न होना दर्शाता है। नवम भाग्य भाव यह बताता है की उस जातक का भाग्य कैसा है, क्योंकि भाग्य बिना सफलता कहां मिलती है।

उसके बाद पंचम भाव शिक्षा का आता है। इस भाव को निर्दोष होना ही चाहिए तभी वह उच्च शिक्षा पाने में समर्थ होगा। कॉमर्स, सीए, सीएस, वकालत करने हेतु शिक्षा के लिए गुरु का पंचम भाव में स्वराशि धनु या मीन, सिंह, मेष, वृश्चिक में से ही किसी एक राशि में होना चाहिए और चंद्र की उस पर दृष्टि पड़ जाए तो सफलता मिलना ही है।

इंजीनियरिंग में जाना हो तो उसके लिए पंचम भाव में शुक्र, शनि का होना सफलतादायक रहता है। इसके लिए वृषभ, तुला, मकर या कुंभ राशि का होना चाहिए। यह डॉक्टर बनने हेतु भी उपरोक्त के साथ मंगल जो हड्डी का कारक है, उसका भी होना अनिवार्य है। जातक की पत्रिका में मंगल स्वस्थ हो तो अस्थि रोग विशेषज्ञ बनता है। इसी प्रकार आर्किटेक्ट बनने हेतु मंगल के साथ शुक्र या बुध होना चाहिए। मैकेनिकल इंजीनियर हेतु शनि के साथ शुक्र या शुक्र का लग्न से संबंध होना चाहिए। बुध, गुरु भी बैंकिंग हेतु सफलतादायक होता है।

स्वस्थ ग्रह अपनी राशि या मित्र की राशि या उच्च में माने जाते हैं। उपरोक्त भावों में नीच के या शत्रु ग्रह या अशुभ दृष्टि संबंध नहीं होना चाहिए, नहीं तो सफलता के मार्ग में अनेक बाधाओं का सामना करना पडे़गा।

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