सोते समय व्यक्ति की मनःस्थिति

- स्नेह श्रीवास्तव 'मेघ'

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प्रत्येक व्यक्ति अपनी सुविधा के अनुसार सोता है। सोने के लिए यदि अधिक स्थान मिले तो व्यक्ति फैलकर सोता है लेकिन सोते समय मन केंद्रित होने पर करवट ले लेता है। बहुत से व्यक्तियों के शरीर व मन एक स्थान पर केंद्रित नहीं हो पाते। इसलिए ऐसे व्यक्ति सारी रात बेचैनी में करवटें बदलते रहते हैं। इसके विपरीत कुछ व्यक्ति बिस्तर पर लेटते ही ऐसे सो जाते हैं जैसे नींद की गोली खा रखी हो। प्रत्येक व्यक्ति का सोने का तरीका अलग-अलग होता है।

कुछ व्यक्ति दोनों पैरों को मोड़कर सोते हैं जो कि नकारात्मक तरीका समझा जाता है। ऐसे व्यक्ति डरपोक प्रवृत्ति के होते हैं, किंतु समाज में व दोस्तों में स्वयं को बहुत ही निडर दर्शाते हैं एवं वक्त पड़ने पर पीछे हट जाते हैं। यदि इस तरह से कोई छोटा बच्चा सोता हो तो उसके सोने के पश्चात नीचे के पाँव को सीधा कर देना चाहिए व ऊपर का पाँव मुड़ा रहने देना चाहिए। यह क्रिया रोजाना करने पर बच्चे की आदत में परिवर्तन हो सकता है।

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कुछ व्यक्ति पाँव मोड़कर अपने हाथों को पाँव के बीच फँसाकर सोते हैं जो कि यह दर्शाता है कि व्यक्ति को सर्दी लग रही है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को कंबल या रजाई ओढ़ा देना चाहिए।

कुछ व्यक्ति दोनों पाँवों में से नीचे के पाँव को सीधा करके व ऊपर के पाँव को मोड़कर सोते हैं, यह लापरवाही का प्रतीक है।

मोटे व्यक्ति अक्सर करवट नहीं ले पाते हैं, अतः वे अपने हाथों को पेट पर रखकर सोते हैं लेकिन कई बार बच्चे इस तरह से सोते समय चीख मारकर रोने लगते हैं क्योंकि इस वजह से उन्हें बुरे-बुरे सपनों की शिकायत रहती है। अतः बच्चों को छाती पर हाथ रखकर सोने से रोकना चाहिए।

कुछ व्यक्तियों को एक से अधिक तकिए लेकर सोना अच्छा लगता है। ऐसे व्यक्ति व्यर्थ की बातें ज्यादा सोचते हैं, भावुक होते हैं व आराम पसंद होते हैं।

इसके विपरीत कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं जिनकी आदत बिना तकिए के सोने की होती है। ऐसे व्यक्तियों को नियम अच्छे लगते हैं लेकिन कब गुस्सा आ जाए, यह किसी को मालूम नहीं होता।