आशा के रूप ही जन्म लेना चाहती हूँ

सोमवार, 10 नवंबर 2008 (00:32 IST)
अपनी हसाँमेसंगीजीनवालीमखमलआवामलिकपार्श्वगायिकआशभोंसलउम्पड़ामेउतनउत्साहिसक्रिहैंइसकवजअपनमजबूइच्छाशक्ति परिवासामानतहैंदौगायकोमेउन्हेकोखापसंनहीं। बीबीसउनसखाबातचीकी

आपने करीब 65 साल पहले 1943 में गाने का सफर शुरू किया था, लेकिन आज भी युवा बनी हुई हैं, इसका राज क्या है?
सब मुझसे यही पूछते हैं, लेकिन मुझे खुद नहीं पता कि इसका क्या राज है। आम औरतें जैसी जीती हैं, मैंने भी वैसी ही जिंदगी जी है, बल्कि कहना चाहिए हमें बड़े लोगों का प्यार नहीं मिला। हम छोटे थे, तभी पिता का निधन हो गया था। कह सकते हैं इच्छाशक्ति है, जिसका असर चेहरे और शरीर पर दिखता होगा।

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आप जब 9 साल की थी तब आपके पिता का निधन हो गया था, उस उम्र में आप मुंबई आई और रोजी-रोटी में जुट गईं, तब इतना सब दबाव कैसे झेल पाती थीं?
उस वक्त एक ही बात थी कि काम करना है और पैसा चाहिए। बाद में बच्चे हुए, उनकी परवरिश के लिए पैसा चाहिए था। फिर काम जीवन का हिस्सा बन गया।

आपने किसी फिल्म में अभिनय भी किया?
मैंने दो फिल्मों में काम किया। एक हिंदी फिल्म बड़ी मामी और एक मराठी फिल्म। लेकिन अभिनय मेरी समझ में ज्यादा नहीं आया। मुझे लगा अभिनय से अच्छा गाना है।

और पहला गाना कैसे मिला?
दीदी एक मराठी फिल्म 'माझा बाड़' में काम कर रही थीं। उसमें गाने का मौका मिला। उसके बाद 'अंधों की दुनिया’ में वसंत देसाई ने मौका दिया। हंसराज बहल ने मुझे हिंदी फिल्म में पहली बार किसी अभिनेत्री के लिए गाने का मौका दिया।

आप उस दौर की बात कर रही हैं, जब पार्श्वगायकी की दुनिया में लता मंगेशकर और गीता दत्त जैसे बड़े नाम थे। आप संघर्ष कर रही थीं, कैसा रहा अनुभव?
तगड़ी प्रतिस्पर्धा थी। बहुत मेहनत करना पड़ी, लेकिन इसका फल क्या होगा ये पता नहीं था।

कभी सोचा था कि आप इतनी कामयाब होंगी और लोग इस कदर आपके दीवाने होंगे?
शुरुआत बहुत संघर्षपूर्ण रही। सज्जाद हुसैन साहब उस वक्त के बहुत कड़क संगीत निर्देशक थे। उनके सामने गायक थर-थर काँपते थे, लेकिन मैंने शुरुआत में ही उनसे कह दिया कि सज्जाद साहब मुझे गाना नहीं आता। बच्चों के लिए गा रही हूँ। वे खुश हो गए और कभी नहीं डाँटा।

क्या ये कहना सही होगा कि आपको लोकप्रियता ओपी नैयर के साथ मिलने के बाद मिली?
ये बात कुछ हद तक सही है। उस जमाने में सी. रामचंद्र के गाने भी बहुत हिट हुए। इना-मीना-डीका बहुत हिट रहा। मैं सिर्फ आरडी बर्मन का नाम भी नहीं लूँगी। हर संगीत निर्देशक का मेरे करियर में योगदान रहा है। मसलन मदनजी का ‘झुमका गिरा रे’, रवि साहब का ‘आगे भी जाने न तू’, शंकर जयकिशन का ‘पर्दे में रहने दो’।

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आपकी आवाज वाकई बहुत सेक्सी है?
देखिए हर गाने के साथ आवाज और अंदाज बदलना पड़ता है। वह पार्श्वगायक ही क्या जो अपना अंदाज और आवाज न बदल सके। दरअसल, मैं खुद को फिल्मी पात्र के साथ ढाल लेती हूँ। कभी जीनत अमान, कभी मधुबाला, कभी हेलन।

हेलन के लिए आपका पसंदीदा गाना कौन सा है?
बहुत सारे गाने हैं, जो मैंने उनके लिए गाए हैं। ‘आज की रात कोई आने को है रे बाबा’ मुझे बहुत पसंद है।

अपने नए एलबम के बारे में कुछ बताएँ?
मेरे नए एलबम का नाम है 'प्रेशियस प्लेटिनम'। मेरे जीवन के 75 साल पूरे होने पर 8 सितंबर को इसे जारी किया गया। इसमें बहुत सुंदर गाने हैं, इसे पूरे घर में बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों सभी के बीच गाया जा सकता है। इसी एलबम में ‘तुम जो मिले तो दिल ने कहा धड़कन का फसाना’ है जो मुझे बहुत पसंद है।

आपके अब तक के सफर में कोई स्पेशल गाना?
नहीं, ऐसा कोई स्पेशल गाना नहीं है। हर दिन जब सुबह उठते हैं तो नई धुन दिमाग में चलती है। ऐसा नहीं है कि हमें सिर्फ अपने ही गाने पसंद हों, दूसरे गायकों के गाने भी मुझे पसंद हैं।

आपके दूसरे पसंदीदा पार्श्वगायक?
लता मंगेशकर। हम 45 साल से एक घर में रहते हैं। माँ, हम पाँच भाई-बहन सब साथ रहते थे। जहाँ तक लोगों की बात है तो ‘कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना’।

एक ही परिवार में इतनी प्रतिभा?
मेरा भाई बहुत अच्छी धुनें बनाता है, फिर दीदी है, मेरी छोटी बहन है। हमारी म्यूजिकल फेमिली है। ऐसा परिवार जहाँ हर कोई गाता है और संगीत से जुड़ा है। फिल्म इंडस्ट्री में शायद कपूर खानदार के अलावा ऐसा परिवार हमारा ही है। कपूर खानदान से हमारे करीबी संबंध हैं।

दूसरे एलबम जेनरेशन के बारे में कुछ बताएँ?
इस एलबम में मेरे चार-पाँच सोलो गाने हैं। गुलाम अली खाँ साहब के साथ दो गाने हैं। उनके बेटे आमिर के साथ गाया है, इसलिए शायद इस एलबम का नाम जेनरेशन रखा है। खाँ साहब के साथ बहुत पहले एक गजल रिकॉर्ड आया था। जेनरेशन में पाकिस्तानी खुशबू अधिक है।

आपको देखकर हर किसी के मन में सवाल आता है कि आप खुद को इतना फिट कैसे रखती हैं, क्या खाती हैं, क्या पीती हैं?
नहीं, खाना-पीना तो कुछ खास नहीं है। हाँ सुबह-सुबह रियाज करती हूँ, चाय पीती हूँ। फिर रियाज करने लग जाती हूँ। दिनभर में दो-तीन घंटे रियाज हो जाता है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि रियाज का मौका नहीं मिलता।

रियाज में क्या पुराने गाने गाती हैं?
नहीं, रियाज में गाने नहीं गाती हूँ। तानपुरे के साथ सुर लगाती हूँ, राग गाती हूँ।

आज के दौर में नए गायकों में अपने सबसे ज्यादा करीब किसे पाती हैं?
सच कहूँ तो मैं किसी को नहीं सुनती हूँ। टीवी, रेडियो सुनने का ज्यादा शौक नहीं है। गाना गाने और पोते-पोतियों में व्यस्त रहती हूँ। बहुत हो गया तो किशोर कुमार, लगा मंगेशकर को सुन लेती हूँ। आते-जाते किसी को सुन लिया तो सुन लिया।

खाने-पीने में कुछ परहेज रखना पड़ता है क्या?
बहुत परहेज रखना पड़ता है। मैं दही, आइसक्रीम नहीं खाती। इमली नहीं खाती। कितनी भी गर्मी हो ठंडा पानी नहीं पीती। फ्रिज की कोई चीज नहीं खाती। सिगरेट, वाइन कुछ नहीं। इसलिए शायद आवाज अभी भी ठीक है।

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आपके लिए संगीत का क्या मतलब है?
संगीत समंदर की तरह है। इसमें कितना ही घुसेंगे उतना कम है। मेरा आज भी मानना है कि मैं संगीत का कुछ नहीं जानती। संगीत मेरी साँसों में बसा हुआ है। लोग कहते हैं कि संगीत छोड़ दो तो मेरा जवाब होता है कि साँस लेना कैसे छोड़ दूँ। जब तक आवाज है, तब तक गाऊँगी. शायद आवाज और मैं साथ में दुनिया से जाएँगे।

आप जब स्टेज परफॉरमेंस देती हैं तो हमेशा आप बहुत तरोताजा और ऊर्जा से भरपूर दिखती हैं, ऐसा कैसे?
पता नहीं। मैं ऐसा जानबूझकर नहीं करती। मैं ऐसी ही हूँ बहुत थकी होने पर भी मैं लोगों से ऐसे ही बात करती हूँ। लोगों से प्यार से बात करती हूँ। हँसती रहती हूँ। आप बनावट बहुत देर तक कायम नहीं रख सकते।

आपका पसंदीदा पार्श्वगायक?
किशोर कुमार। वे दिलोदिमाग से गाते थे। उन्होंने कभी गाना सीखा नहीं, उनकी गायकी ईश्वर की देन थी। उन्हें बहुत संघर्ष नहीं करना पड़ा। जिद्दी फिल्म का उनका पहला ही गाना हिट हुआ।

किशोर कुमार के साथ गाया आपका पसंदीदा गाना?
उनके साथ गाया हर गाना मेरा पसंदीदा है। ‘जाने जाँ’, ‘भली-भली सी एक सूरत’ मुझे बहुत पसंद हैं।

आपने तमाम अभिनेत्रियों को अपनी आवाज दी। कभी लगा कि किसी अभिनेत्री की आवाज आपके जैसी है?
पता नहीं। कभी इतना गौर नहीं किया, लेकिन इतना जरूर रहा कि मैं देखती थी कि वे कैसे बोल रही हैं, कैसे मुँह खोलती हैं, वैसे ही गाने की कोशिश करते थे।

आपके पसंदीदा संगीत निर्देशक?
आरडी बर्मन। पहले भी, आज भी और कल भी। ये बात सिर्फ मेरे लिए नहीं, बल्कि सबके लिए है। सभी संगीत निर्देशक और गायक आज महसूस करते हैं कि उनके जैसा संगीत कोई नहीं दे सकता। जब कोई पुराने गानों को तोड़-मरोड़कर गाता है, उससे दुःख होता है। ‘चुरा लिया है तुमने’ को बाद में जिस तरह से गाया गया, उससे मुझे और बर्मन साहब को बहुत दुःख हुआ था।

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कैमिस्ट्री इतनी जबर्दस्त कैसे थी?
मुझे वेस्टर्न गाने पसंद थे। मुझे उनके गाने में बहुत मजा आता था। वैसे भी मुझे नई चीजें करना अच्छा लगता था। बहुत मेहनत से गाते थे। बर्मन साहब को भी अच्छा लगता था कि मैं कितनी मेहनत करती हूँ तो कुल मिलाकर अच्छी आपसी समझदारी थी। हमारे बीच संगीत से प्रेम बढ़ा, न कि प्रेम से हम संगीत में नजदीक आए।

आप किसी की नकल बहुत अच्छे से करती हैं?
हाँ। मिमिकरी भी करती हूँ। सबसे अच्छी नकल दीदी लता मंगेशकर की करती हूँ।

आप बहुत अच्छा खाना बनाती हैं. इसमें कितनी सचाई है?
नहीं कुछ खास नहीं। हाँ खाना बहुत प्यार से बनाती हूँ। बच्चों को अच्छा लगा तो उन्होंने होटल बना दिए। कुवैत, आबूधाबी, बर्मिंघम में होटल हैं। मेरा खाना कपूर परिवार को बहुत पसंद है।

आपकी फेवरिट डिश?
शामी कबाब, जो लखनऊ के मशहूर टुंडा कबाब हैं। मुझे लगता है कि मैं अच्छे कबाब बनाती हूँ।

आपका सबसे अच्छा दिन?
जिस दिन मैं माँ बनी, वह मेरी जिंदगी का सबसे खुशी का दिन था। फिर मेरे जुड़वा पोता-पोती हुए तो मुझे बहुत खुशी हुई।

और अच्छी बात?
गुलजार भाई ने कहा था कि लोग कहते हैं कि आशा नंबर वन है, लता नंबर वन है। उनका कहना था कि अंतरिक्ष में दो यात्री एक साथ गए थे, लेकिन जिसका कदम पहले पड़ा नाम उसका ही हुआ। मुझे खुशी है कि पहला कदम दीदी का पड़ा और मुझे इस पर गर्व है। वैसे भी किसी को अच्छा कहने के लिए किसी और को खराब कहना जरूरी नहीं है।

खुद के बारे में आपकी राय?
मैं किसी की परवाह नहीं करती और सच बोलती हूँ। किसी ने गलत कहा तो मैं उसका जवाब देना जरूरी समझती हूँ। हम अगर बनावटी बात करते हैं तो हर कोई समझ जाता है। मेरी ख्वाहिश है कि लोग मुझे अच्छे गायक से ज्यादा अच्छे इनसान के रूप में याद करें। मुझे किसी ने पूछा था कि आप अगले जन्म में क्या बनना चाहेंगी तो मेरा जवाब था फिर से आशा भोसले।