पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने पहचान पत्र में किन्नरों के लिंग को ‘हीमेल’ या ‘शीमेल’ लिखने के आदेश दिए हैं।
मुख्य न्यायधीश जस्टिस इफ्तिखार मोहम्मद चौधरी की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट के तीन सदस्यीय खंडपीठ ने किन्नरों के अधिकारों से संबधित याचिका पर सुनवाई की।
इस्लामाबाद स्थित बीबीसी हिंदी संवाददाता हफीज चाचड़ के मुताबिक पाकिस्तानी नागरिकों को दिए गए पहचान पत्रों में किन्नरों को पुरुष या महिला लिखा जाता है जिस का किन्नरों ने कड़ा विरोध किया और अदालत में याचिका दायर कर दी।
सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि किन्नरों को अगल पहचान पत्र जारी किए जाएँगे जिसमें उन का लिंग 'हीमेल' या 'शीमेल' लिखा जाएगा।
किन्नरों की शिकायत : कुछ किन्नरों ने अदालत को बताया कि जब वे पहचान पत्र बनवाने के लिए जाते हैं तो उन से मेडिकल रिपोर्ट माँगी जाती है और वे मेडीकल रिपोर्ट कहाँ से लाएँ।
उस पर अदालत ने सरकार से कहा कि इस मामले को मेडिकल रिपोर्ट से संबधित न करें क्योंकि रिपोर्ट हासिल करने में किन्नरों को दिक्कतों का समाना करना पड़ता है।
केंद्र सरकार की ओर से किन्नरों के कल्याण के लिए हो रहे काम की रिपोर्ट अदालत को पेश की गई और बताया गया कि किन्नरों का पंजीकरण बड़ी तेजी के साथ किया जा रहा है।
सरकार ने अदालत को यह भी बताया कि किन्नरों के कल्याण के लिए विभिन्न प्रकार की परियोजनाओं पर काम हो रहा है और इस संबंध में गैर-सरकारी संस्थाओं से बातचीत भी हो रही है।
किन्नरों ने अदालत में पुलिस के रवैये की भी शिकायत की जिस पर अदालत ने पुलिस से कहा कि वह किन्नरों से बेहतर रवैया रखें और उन्हें भी इस समाज का हिस्सा मानें। किन्नरों के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्थाओं ने अदालत के इस फैसले का स्वागत किया है।