गडकरी ने गढ़ा नया फार्मूला

गुरुवार, 18 फ़रवरी 2010 (17:17 IST)
- मनोज वर्म
देश में कांग्रेस का विकल्प बनने की कोशिश कर रही भाजपा ने नया सामाजिक समीकरण बनाने का संकेत दिया है। भाजपा को लग रहा है कि यदि इस समीकरण के साथ पार्टी आगे बढ़ेगी तो वह कांग्रेस से भी आगे निकल जाएगी। इतना ही नहीं बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर का गुणगान कर भाजपा एक तरफ जहाँ दलितों के बीच पैठ बनाने में जुटेगी तो वहीं भविष्य की गठबंधन राजनीति को ध्यान में रखते हुए बहुजन समाज पार्टी के लिए भी दरवाजे खुले रख रही है।

दलितों के प्रति भाजपा के उमड़े प्रेम का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में आंबेडकर की तुलना मार्टिन लूथर किंग से कर डाली। बैठक में श्री गडकरी का फोकस दलितों और आदिवासियों पर अधिक रहा। पार्टी अल्पसंख्यकों को लेकर भी अपना रुख और उदार करने जा रही है। लिहाजा पार्टी में मुस्लिम नेताओं को नई प्रभावी जिम्मेदारी दी जाएगी। मालूम हो कि लूथर ने अमेरिका में अश्वेतों को अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष किया था, जिसकी कीमत उन्हें जान देकर चुकानी पड़ी थी। उनके संघर्ष का ही परिणाम है कि ओबामा अमेरिकी राष्ट्रपति बन सके।

मद्धिम पड़े ये मुद्दे
भाजपा नेताओं के सुर अब राम मंदिर, 370 और सिविल कोड जैसे मुद्दों पर तीखे नहीं हैं। भाषण ने गौ, गंगा और धर्मांतरण जैसे मुद्दों पर खासा जोर दिया है। यह पार्टी की लचीली होती वैचारिक सोच का एक और संकेत है।

सत्ता का वोट गणि
भाजपा अध्यक्ष पद पर नियुक्ति के साथ ही गडकरी ने इस बात का आकलन करवा लिया कि भाजपा व कांग्रेस के बीच दस प्रश मतों का अंतर है। यदि इतने मत भाजपा को मिल जाएँ तो पार्टी देश में कांग्रेस का विकल्प बन सकती है। असल में भाजपा के रणनीतिकारों को अहसास हो गया है कि केवल हिन्दुत्व के बल पर सत्ता मिलना आसान नहीं। इसके लिए पार्टी ने नए सिरे से सामाजिक समीकरण पर सोचना शुरू कर दिया है।

शुरू हो गई है पहल
गडकरी का महू स्थित बाबा साहेब आंबेडकर की जन्मस्थली पर जाकर उनके स्मारक पर फूल चढ़ाना और दलित के घर जाकर खाना खाना इसी रणनीति का हिस्सा है। उन्होंने भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे दलितों के पास जाएँ और काम करें। दलितों के अलावा भाजपा के एजेंडे में आम आदमी को प्राथमिकता दी जा रही है। भाजपा को लगता है कि जय श्रीराम के बजाय जय भीम का नारा अधिक सहायक होगा। अधिवेशन में इसकी गूँज भी सुनाई दे रही है।

महँगाई की लड़ाई
पार्टी महँगाई के मुद्दे को बड़े पैमाने पर संसद के भीतर और बाहर उठाने की रणनीति बना रही है। महँगाई को मुद्दा बनाकर मध्य वर्ग में घटते अपने जनाधार को बचाने की कोशिश करेगी। विदेश नीति और पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद और चीन के साथ उठ रहे विवाद को भी भाजपा आम जनता से जोड़कर प्रखर राष्ट्रवाद का नारा बुलंद करेगी। पार्टी को लगता है ये मुद्दे उसे देश में कांग्रेस का विकल्प बना देंगे।

कमियों को दूर करने की जरूरत : आडवाणी
बैठक में भाजपा संसदीय दल के अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि भाजपा वास्तव में दूसरे दलों से अलग राजनीतिक पार्टी है। यह भाजपा में ही हो सकता है कि कोई साधारण कार्यकर्ता भी भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकता है। इसकी मिसाल गडकरी हैं।

गडकरी ने पोस्टर भी लगाए हैं और नीचे से राजनीति करते हुए ऊपर आए हैं। श्री आडवाणी ने कहा कि भाजपा को राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है और इसके लिए पार्टी को अपने आपको तैयार करना होगा। आडवाणी ने भी माना कि भाजपा अपनी खामियों के कारण हारती है, विरोधियों के कारण नहीं। बकौल आडवाणी - भाजपा ने ही देश की राजनीति को दो ध्रुवीय बनाया है। हमें अपनी कमियों को दूर करने की जरूरत है। भाजपा में क्षमता है कि वह देश का नेतृत्व कर सके। हमने ऐसा करके दिखाया भी है।

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