कहीं से भी मि‍ल सकती है इंस्पीरेशन

- लुम्‍बा वि‍कास भूषण

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जब भी कभी हम किसी मुश्किल में होते हैं या किसी परेशानी का हल ढूँढ रहे होते हैं तब कहीं कुछ ऐसा घटित हो जाता है या कुछ देखने-सुनने को मिल जाता है, जो प्रेरणादायक बन जाता है। मेरे पिता की मृत्यु हुई, तब मैं 2 माह का था और यह बात मुझे हमेशा चुभती रही। जब भी जीवन के किसी मोड़ पर कोई चुनौती आई तब-तब उसका सामना तो किया परंतु 'पापा' हमेशा ही याद आए। तब मेरे साथ भी कुछ ऐसा घटित हुआ, जो मेरे लिए प्रेरणादायी था।

बात 1998-1999 की है। मेरे ऑफिस में एक युवती से इंटरव्यू के दौरान मैंने उसके परिवार के बारे में पूछा तो पता चला कि उसके माता-पिता का स्वर्गवास जब हुआ तब वह मात्र 6 वर्ष की थी और उसका भाई 3 वर्ष का, उनका पालन-पोषण उनकी दादीजी ने ही किया और आज वह अपने पैरों पर खड़ी है। वह अपने उस छोटे-से परिवार की देखभाल बखूबी कर रही है। इस घटना को एक साधारण-सी घटना मानकर भूला भी जा सकता है और चाहें तो इससे प्रेरणा लेकर कुछ सीखा भी जा सकता है।

उस युवती का आत्मविश्वास देखकर मुझे यह अहसास हुआ कि - 'जब यह लड़की होकर इतने साहस, आत्मविश्वास से इस पुरुष प्रधान समाज में तथा दृढ़ इरादों के साथ जी रही है तो मुझे तो ईश्वर का धन्यवाद देना चाहिए कि मेरे पास कम से कम माँ तो है। उस दिन मैंने इस बात का मर्म समझा कि आपके पास जितना है और जो कुछ भी है, उसमें खुश रहें। इसी प्रकार एक और घटना से मैं रूबरू हुआ, जो सबके लिए प्रेरणा हो सकती है।

सन्‌ 2001 में मेरे मित्र रवि ने अपरिहार्य कारणों से लगी-लगाई नौकरी को छोड़ा व कुछ नया करने की चाह से वह बीमा क्षेत्र की एक निजी कंपनी में एडवाइजर बन गया। कुछ समय बाद कंपनी ने अच्छा कार्य कर रहे एडवाइजर्स को कंपनी से जुड़ने के अवसर दिए जिनमें सेल्स व ट्रेनिंग क्षेत्र थे।

रवि में हमेशा से कुछ न कुछ नया करने की चाह थी अतः उसने ट्रेनिंग को चुना व उसे ट्रेनिंग एक्जीक्यूटिव बना दिया गया। 8 माह के भीतर ही प्रमोशन प्राप्त कर वह ब्रांच ट्रेनिंग मैनेजर बन गया और इंदौर व भोपाल ब्रांचेस संभालने लगा। उसे कंपनी में यह पोजिशन प्राप्त करने में मात्र 18 महीने का समय लगा।

कंपनी में जब भी कभी बिजनेस अपॉर्च्युनिटी प्रेजेंटेशन दिए जाते थे तो हमेशा रवि के उदाहरण दिए जाते थे तथा वह भी मौजूद रहकर अपनी सफलता लोगों के साथ बाँटता था। कई बार कंपनी के सेल्स मैनेजर कई लोगों को उससे मिलवाने लाते थे और कहते, 'सर, ये भी आप ही की तरह ट्रेनिंग के क्षेत्र में आकर सफलता प्राप्त करना चाहते हैं।'

रवि की वह सफलता कई लोगों के लिए न सिर्फ प्रेरणास्रोत बनी बल्कि कई लोगों ने उसे देखकर सफलता भी प्राप्त की। अतः आप भी किसी के लिए प्रेरणास्रोत बन सकते हैं, उन्हें किसी कार्य को करने के लिए उत्साहित कर सकते हैं। अपने अनुभव बाँटकर उन्हें सफलता हासिल करने में मदद कर सकते हैं।

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