फर्राटेदार करियर फार्मेसी का

- अशोक जोशी

ND
हमारे दैनिक जीवन में फार्मासिस्ट एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि वे औषधियों के अनुसंधान और निर्माण में सतत लगे ही रहते हैं तथा मानव समाज को बीमारियों से दूर रखने में मदद करते हैं। इस तरह फार्मासिस्ट के रूप में फार्मेसी का वैज्ञानिक अध्ययन से गहरा संबंध है।

हमेशा से रही है फार्मेसी की माँग
करियर विकल्प के रूप में फार्मेसी की हमेशा से माँग रही है। भारत जहाँ की आबादी एक अरब लोगों से ज्यादा है, वहाँ गरीबों के लिए छोटी-बड़ी दोनों तरह की बीमारियाँ अभिशाप की तरह मौजूद हैं। पिछली सदियों और बीसवीं सदी के लगभग मध्य तक श्वसन संबंधी संक्रमण, डायरिया, डिप्रेशन, टीबी, खसरा, रक्ताल्पता आदि घातक रोगों ने हजारों वर्षों तक राज किया और लाखों-करोड़ों लोगों को अपना शिकार बनाया।

चिकित्सा विज्ञान के विकास और प्रगति के साथ अत्यधिक शक्तिशाली एंटीबायोटिक्स और जीवनरक्षक औषधियों द्वारा इन बीमारियों पर नियंत्रण प्राप्त किया जा चुका है। यह सब फार्मेसी का ही चमत्कार या यूँ कहिए कि वरदान है।

क्या पढ़ाया जाता है फार्मेसी के अंतर्गत?
ND
फार्मेसी के अंतर्गत ड्रग्स की केमिस्ट्री, उनकी उत्पत्ति, औषधि विकास की प्रक्रियाएँ, उनका निर्माण, वितरण, उनके प्रभाव तथा रोगों के उपचार तथा निवारण के लिए उनके उपयोग का अध्ययन किया जाता है। ड्रग उपचार के क्षेत्र में संगत पहल बनाए रखने के लिए फार्मासिस्ट के विशेष कौशल की आवश्यकता पर ध्यान आकर्षित करने के लिए फार्मेसी में ड्रग थैरेपी की जटिलता तथा औषधियों के खतरों से भी परिचित कराया जाता है ताकि इसके दुष्प्रभाव को रोका जा सके।

फार्मासिस्ट की व्यक्तिगत विशेषताएँ
फार्मासिस्ट बनने की पहली अनिवार्यता यही है कि इसके लिए मस्तिष्क का वैज्ञानिक पहलुओं की तरफ झुकाव होना चाहिए तथा फार्मासिस्ट के रूप में करियर बनाने वालों की औषधियों में दिलचस्पी का होना भी आवश्यक है। फार्मासिस्ट की शैक्षणिक योग्यता औसत से लेकर सर्वोत्तम तक हो सकती है। जो युवा फार्मेसी के क्षेत्र में अनुसंधान कर इस उद्योग की शान बनना चाहते हैं, उनका शैक्षणिक सामर्थ्य उत्कृष्ट होना जरूरी है।

इसके लिए अस्पतालों, स्टोर्स तथा शॉप फ्लोर में कार्य करने के लिए विधिनुरूप कार्य करने की क्षमता, सावधानी, परिशुद्धता की आवश्यकता होती है। उनका दृष्टिकोण सहानुभूतिपूर्ण होना चाहिए, उनको देखरेख की प्रणाली का ज्ञान होना चाहिए तथा रोगियों के साथ व्यवहार करते समय मित्रवत व्यवहार भी अपेक्षित है। जो फार्मासिस्ट मार्केटिंग और फार्मेसी उद्योग की उत्पादन इकाइयों से जुड़ना चाहते हैं, उनमें कम्युनिकेशन स्किल बेहतर होनी चाहिए।

मैनेजमेंट के रूप में कार्य करने वाले फार्मासिस्ट में प्रभावी प्रबंधन कौशल का होना वांछनीय है। रिटेल सेक्टर में भी फार्मासिस्ट की माँग बढ़ रही है, इसके लिए व्यापार व्यवसाय, विक्रय तथा वित्तीय प्रबंधन का अतिरिक्त कौशल आवश्यक है।
स्त्रोत : नईदुनिया अवसर

फार्मासिस्ट औषधियों के अनुसंधान, प्रोसेसिंग तथा निर्माण कार्य में संलग्न रहते हैं। इस क्षेत्र में बायोटेक्नोलॉजिकल रिसर्च ने अत्यधिक सहायता कर इस क्षेत्र को विशिष्ट से अतिविशिष्ट क्षेत्र बना दिया है। रिसर्च और विकास में होने वाले असीमित निवेश ने देश-विदेश में फार्मेसी की वाणिज्यिक गतिविधियों को विस्तारित किया है। इस विकास को आकाशीय ऊँचाई देने में बहुराष्ट्रीय संयुक्त उद्यमों की भागीदारी ने नया आयाम प्रदान किया है। इस समय इसका टर्नओवर 40,000 करोड़ रुपए से भी ज्यादा है, जो कि इसके बढ़ते कदमों की आहट देता है।

फार्मासिस्ट का कार्यक्षेत्
1. हॉस्पिटल फार्मासिस्ट- इनका कार्यक्षेत्र मेडिसिन, ड्रग्स तथा अन्य मेडिकल एसेसरीज की खरीददारी, स्टॉक, निर्माण तथा वितरण है। यह स्टॉक कंट्रोल, स्टोरेज, ऑर्डर देने, लेबल लगाने तथा डिस्पेंसरी के लिए बजट बनाने और एकाउंट रखने के दायित्व का निर्वाह करते हैं। इनसे यह अपेक्षित होता है कि वे रोगियों, चिकित्सकों तथा नर्सों से मिलकर दवाइयों की आपूर्ति के बारे में चर्चा करें तथा मरीजों को देने के लिए सही अनुपात में दवाइयाँ तैयार करें।

2. रिटेल फार्मासिस्ट- मेडिकल रिटेल स्टोर पर फार्मासिस्टों का कार्य प्रिसक्रिप्शन के आधार पर दवाइयाँ निकालकर देना होता है। वह प्रिसिक्रिप्शन तथा डोज के आधार पर ड्रग के सेल्स को मॉनिटर करता है तथा मरीजों को काउंटर पर यह सलाह देता है कि दवाइयों को कब-कब और कैसे-कैसे लेना चाहिए। रिटेल सेक्टर में फार्मासिस्ट दवाइयों की दुकान चलाते हैं। वे मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव का काम भी करते हैं।

वे दवाइयों के बारे में चिकित्सकों को जानकारी उपलब्ध कराते हैं तथा उसके उपयोग, असर तथा साइड इफेक्ट के बारे में भी अवगत कराते हैं। उनके कार्य में नियमित रूप से चिकित्सकों से भेंट करना तथा दवाखानों, क्लिनिक्स, नर्सिंग होम्स, हेल्थ सेंटरों पर विजिट करना शामिल है। आमतौर पर वे शहर से बाहर भी दौरा करते हैं।

3. इंडस्ट्रियल फार्मासिस्ट्स- जबकि अधिकांश फर्में फार्मास्युटिकल प्रिपरेशन के निर्माण में संलग्न होती हैं। ऐसी फर्मों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जो स्वशासी अनुसंधान कार्य के द्वारा नए फार्मूले ईजाद कर रही हैं। इंडस्ट्रियल फार्मासिस्ट उन संस्थानों में क्लिनिकल ट्रायल करते हैं, जहाँ सुरक्षा के लिए ड्रग्स का परीक्षण किया जाता है तथा रिसर्च और डेवलपमेंट के लिए प्रभावी कार्य किया जाता है ताकि नए फार्मुलेशन तैयार किए जा सकें। इंडस्ट्रियल फार्मासिस्ट उत्पादन प्रक्रिया, पैकेजिंग, स्टोरेज तथा डिलीवरी कार्य का प्रबंधन तथा पर्यवेक्षण करते हैं। साथ ही मार्केटिंग, सेल्स और क्वालिटी कंट्रोल का काम देखते हैं।

4. रिसर्च फार्मासिस्ट्स- रिसर्च फार्मासिस्ट फार्मास्युटिकल फर्म, रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन और प्रयोगशालाओं में कार्य करते हैं।

शिक्षण/प्रशिक्षण
बारहवीं (पीसीएम/बी) के पश्चात : बारहवीं के बाद फार्मेसी में दो वर्षीय डी. फार्मा कोर्स तथा चार वर्षीय बी. फार्मा कोर्स किया जा सकता है। इसके बाद करियर निर्माण के लिए निम्नलिखित कोर्स किए जा सकते हैं:
1. फार्मेसी में ग्रेजुएट डिग्री के बाद दो वर्षीय एम. फार्मा कोर्स किया जा सकता है।
2. फार्मेसी के ग्रेजुएट रिसर्च साइंटिस्ट बनने के लिए बायोटेक्नोलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएट स्टडी कर सकते हैं।
3. डिप्लोमाधारी टेक्नीशियन के रूप में कार्य कर सकते हैं।
4. ग्रेजुएट फार्मेसी रिटेल और हॉस्पिटल जॉब कर सकते हैं।
5. फार्मेसी में पोस्ट ग्रेजुएट और डॉक्टरेट उपाधि प्राप्त करने वाले रिसर्च, उत्पादन, क्वालिटी कंट्रोल तथा मैनेजमेंट में करियर बना सकते हैं

जिन लोगों ने बी. फार्मा या इससे अधिक शिक्षा ली है, वे फार्मास्युटिकल कंपनियों के प्रोडक्शन सेक्शन, प्रोडक्ट मार्केटिंग, क्वालिटी कंट्रोल, रिसर्च आदि में काम कर सकते हैं। वे बड़े अस्पतालों तथा रिसर्च सेंटर में काम कर सकते हैं। पश्चिमी देशों में भी फार्मासिस्टों की भारी माँग है।

स्त्रोत : नईदुनिया अवसर

अवसर तथा संभावनाएँ
जिन्होंने डी. फार्मा किया है, वे अस्पतालों, औषधि निर्माण कंपनियों, प्रयोगशालाओं में तकनीकी कर्मचारी के रूप में करियर बना सकते हैं। उन्हें फार्मेसियों और मेडिकल शॉप्स पर जॉब्स मिल जाते हैं। वे फार्मासिस्ट के रूप में सरकारी, अर्द्धसरकारी तथा निजी अस्पतालों में काम कर सकते हैं या अपना खुद का मेडिकल स्टोर खोल सकते हैं।

फार्मेसी में बैचलर डिग्री लेने वाले मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव या मेडिकल डिटेलिंगमैन के रूप में काम कर सकते हैं या मार्केटिंग मैनेजर और सेल्स मैनेजर का दायित्व निर्वाह कर सकते हैं। ड्रग इंस्पेक्टर, ड्रग कंट्रोलर, गे्रजुएट फार्मासिस्ट, चीफ फार्मासिस्ट के साथ-साथ फार्मेसी कॉलेज में लेक्चरर के रूप में अपना करियर बना सकते हैं। एम. फार्मा कर आप फार्मेसी कॉलेज में पढ़ा सकते हैं।

रिसर्च असिस्टेंट या रिसर्च एसोसिएट बन सकते हैं या आगे पीएच-डी भी कर सकते हैं। फार्मेसर के ऐसे शिक्षक जिन्होंने बी. फार्मा किया हो तथा एआईसीटीई द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान में न्यूनतम 5 साल का शिक्षण अनुभव हो, वे भी एम. फार्मा कर सकते हैं।

रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हेल्थ सेंटर, हॉस्पिटल्स, मेडिकल डिस्पेंसिंग स्टोर्स, फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री तथा डेवलपमेंट इंडस्ट्री , मैन्युफेक्चरिंग, एनालिटिकल तथा रिसर्च विभाग में अपना करियर बना सकते हैं। वे कस्टम तथा मंत्रालय के सप्लाइज एंड रिहेबिलिटेशन विभाग में असिस्टेंट डायरेक्टर ऑफ सप्लाई भी बन सकते हैं। हैक्स्ट, ईमर्क तथा स्मिथ क्ल्नि बेकेम जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ-साथ सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीटयूट लखनऊ, नेशनल केमिकल लैबोरेटरीज पुणे, सीएसआईआर तथा इंडियन इंस्टीटयूट ऑकेमिकल टेक्नोलॉजी हैदराबाद में भी उनके लिए अच्छे अवसर हैं।

ड्रग और फार्मास्युटिकल फर्मों में ग्रेजुएट्स, पोस्ट ग्रेजुएट्स तथा डॉक्टरेट फार्मासिस्टों को अपनी उत्पादन इकाइयों में मैनेजमेंट तथा ऑपरेशंस के साथ-साथ क्वालिटी कंट्रोल और क्वालिटी सर्टिफिकेशन के लिए रखा जाता है। इस समय भारत में 20 हजार से अधिक उद्योगों में ड्रग्स तथा फार्मास्युटिकल निर्माण का काम हो रहा है जिनमें लगभग 15 लाख से ज्यादा कर्मचारी कार्यरत हैं। जिस तरह से लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ी है तथा बीमारियों के लिए नए-नए प्रयोग हो रहे हैं, उस हिसाब से फार्मेसी का करियर फर्राटे भरता दिखाई दे रहा है।

मध्यप्रदेश स्थित फार्मेसी संस्थान
1. कॉलेज ऑफ फार्मेसी, 23, पार्क रोड, एसजीएसआईटीएस कैम्पस, इंदौर-452003
2. डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्युटिकल साइंस, सागर-470003
3. विक्रम यूनिवर्सिटी, बीआर नाहटा कॉलेज ऑफ फार्मेसी, संजीत मार्ग मंदसौर-458001
4. श्री जयदेव कॉलेज ऑफ फार्मेसी पोस्ट आफिस नाहरकांटा, खर्डा-752101
5. डिपार्टमेंट ऑफ फार्मेसर, बरकतुल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल
6. इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी, जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर
7. आरकेडीएफ इंस्टीटयूट ऑफ साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी, 129, सेक्टर ए, इंडस्ट्रियल इस्टेट मंडीदीप, रायसेन-462046
8. वीएनएस इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी, जेड-18, जोन-1, महाराणा प्रतापनगर, भोपाल-462011

स्त्रोत : नईदुनिया अवसर