संगीत एक सर्वाधिक सुरीली मानवीय क्रिया है। वह नाद स्वर ही था, जिससे इस संसार की रचना हुई थी। संगीत एक ऐसी विधा है, जिससे मानव भावना को सृजित किया जा सकता है तथा भावनाओं को अभिव्यक्त किया जा सकता है। यह संगीत है, जो मस्तिष्क को सुकून प्रदान करता है। दुनिया में शायद ही कोई ऐसा इंसान होगा, जो कभी न कभी संगीत से अभिभूत न हुआ होगा। जहाँ तक भारत का प्रश्न है सदियों से हमारा संगीत से नाता रहा है।
भारतीय संगीत की परम्परा को दुनिया की सबसे पुरानी और अटूट परम्परा माना जाता है, जो आज भी बरकरार है। हमारे यहाँ संगीत को एक धरोहर के रूप में संजोकर रखा गया है और तानसेन से लेकर लता मंगेशकर ने इस धरोहर को अपनी कला से और ज्यादा समृद्ध किया है। अनुसंधानों में कहा गया है कि भारतीय संगीत गायन, वादन तथा नृत्य का संगम है। भारतीय संगीत राग और ताल पर भी आधारित है, जो इसमें लय और माधुर्य का रंग भरते हैं। भारत को कई वाद्ययंत्रों के आविष्कार का श्रेय दिया जाता है।
संगीत में सफलता के सूत्र प्रतिभा, वास्तविक अभिरुचि, गंभीरता और परिश्रम करने की इच्छा से संगीत के क्षेत्र में बड़ी सफलता पाई जा सकती है। किसी-किसी में गायन प्रतिभा दैविक उपहार के रूप में मौजूद रहती है, लेकिन इस प्रतिभा से करियर बनाने के लिए नियमित समर्पित अभ्यास या रियाज बेहद आवश्यक है। किसी संगीत संस्थान में दाखिला लेना और प्रशिक्षण प्राप्त करना संगीत में करियर निर्माण करने की दिशा मे पहला कदम है, लेकिन संगीत के प्रति वास्तविक समर्पण और प्रतिबद्धता पर जोर दिया जाना चाहिए।
भारतीय संगीत की परम्परा को दुनिया की सबसे पुरानी और अटूट परम्परा माना जाता है, जो आज भी बरकरार है। हमारे यहाँ संगीत को एक धरोहर के रूप में संजोकर रखा गया है और तानसेन से लेकर लता मंगेशकर ने इस धरोहर को अपनी कला से और ज्यादा समृद्ध किया है।
जो व्यक्ति संगीत को अपना करियर बनाने के बारे में सोच रहा है, उसमें संगीत के प्रति सच्चा पे्रम, संगीत का बोध अर्थात समय और ताल की पहचान होना चाहिए। इसके साथ ही उसमें वैविध्यता, सृजनात्मक योग्यता तथा आत्मविश्वास का गुण भी होना चाहिए। इसके साथ-साथ सही लोगों के साथ पब्लिसिटी सम्पर्क, प्रशिक्षण तथा उसे व्यावसायिक रूप से लोकप्रिय बनाने के लिए डेमो सीडी बनाने के लिए पैसा होना भी आवश्यक है। जिस तरह से संगीत में शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत, जॉझ, पॉप, यूजन जैसी विविधताएँ होती हैं, उसी तरह इस क्षेत्र में करियर निर्माण के लिए कई तरह के अवसर उपलब्ध हैं।
गायक या वादक बनने के अलावा इस क्षेत्र में कम्पोजर, प्रशिक्षक, गीतकार, म्यूजिक पब्लिशर, म्यूजिक जर्नलिस्ट, डिस्क जौकी, म्यूजिक थेरेपिस्ट, आर्टिस्ट तथा संगीत कम्पनियों में पीआरओ या मैनेजर के रूप में करियर बनाया जा सकता है। इस समय जिस तरह से सैटेलाइट टेलिविजन का आगमन हुआ है, संगीत चैनलों की लोकप्रियता में इससे काफी इजाफा भी हुआ है। कार्पोरेट क्षेत्र भी इन दिनों संगीत के कार्यक्रमों को बड़े पैमाने पर प्रायोजित कर रहे हैं।
कुल मिलाकर संगीत एक बहुत बड़े व्यवसाय की शक्ल ले चुका है। फिल्मों के संगीत अधिकार करोड़ों रुपए में बेचे-खरीदे जा रहे हैं। हालाँकि इस क्षेत्र में सफलता का सारा दारोमदार भाग्य और अच्छे अवसर के मिलने पर निर्भर करता है, लेकिन एक बार जब कोई इस क्षेत्र में स्थापित हो जाता है तो इस क्षेत्र में पैसा बनाने के भरपूर अवसर मिलते हैं।
पात्रता तथा कोर्स शैक्षणिक : संगीत के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए वैसे तो किसी विशेष शैक्षणिक योग्यता का होना जरूरी नहीं है। फिर भी इस क्षेत्र में उपलब्ध कोर्स में प्रवेश के लिए बुनियादी आवश्यकता 10+2 है। संगीत के क्षेत्र में सर्टिफिकेट कोर्स, बैचलर कोर्स, डिप्लोमा कोर्स तथा पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स उपलब्ध है। जहाँ सर्टिफिकेट कोर्स की अवधि एक वर्ष है, वहीं बैचलर कोर्स की अवधि तीन तथा डिप्लोमा और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सों की अवधि दो वर्ष है।
संगीत के क्षेत्र में प्रशिक्षण कई स्कूलों और संस्थानों में दिया जाता है। इनमें चेन्नाई स्थित कलाक्षेत्र तथा भारतीय कला केन्द्र दिल्ली के नाम प्रमुख हैं। इनके कोर्स में सैद्धांतिक संगीत, संगीत की व्याख्याएँ, संगीत का इतिहास, संगीत कम्पोजिंग तथा वाइस इंस्ट्रक्शन प्रमुख है।
व्यक्तिगत गुण : संगीत के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए जिन व्यक्तिगत गुणों का होना आवश्यक है, उनमें सबसे पहला और अच्छा गुण है अच्छी आवाज का होना। अन्य गुणों में आंतरिक प्रतिभा। समर्पण, दृढ निर्णय तथा परिश्रम, सृजनशीलता तथा ग्राह्यता, टीम वर्क, आलोचनाओं को सही भावना में स्वीकार करने की क्षमता, आत्म विश्वास तथा महत्वाकांक्षा प्रमुख है।
करियर विकल्प जिस तरह से आज संगीत एक बड़ा व्यवसाय बन गया है, संगीत उद्योग में कई तरह के करियर विकल्प उपलब्ध हैं, जिन्हें चुनकर युवा वर्ग अपना करियर बना सकता है। जीटीवी और स्टार तथा सोनी चैनल पर आयोजित सारेगामा तथा इण्डियन आयडल जैसे कार्यक्रमों ने इश्मित (अब हमारे बीच नहीं), देवोजीत, राहुल और अभिजीत सावंत जैसे गायकों को रातों-रात सितारा बना दिया।
इस क्षेत्र में गायक और वादक बनने के अलावा संगीत शिक्षक को भी सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। इस क्षेत्र में कम्पोजर, गीत लेखक, म्यूजिक पब्लिशर, म्यूजिक जर्नलिस्ट, डिस्क जौकी, वीडियो जोकी, म्यूजिक थेरेपिस्ट, आर्टिस्ट मैनेजर/पीआर जैसे कई विकल्प उपलब्ध हैं।
म्यूजिक कम्पोजर/गीतकार जिनकी लेखन में दिलचस्पी है तथा संगीत के प्रति जन्मजात प्रतिभा है, वे म्यूजिक कम्पोजर के रूप में अपना करियर बना सकते हैं। कम्पोजर संगीत का सृजन करता है तथा नोट्स लिखता है। संगीत के नोटेशन लिखना अपने आप में एक विशिष्ट कला है। इस क्षेत्र में संगीतकार केवल संगीत की रचना करते हैं या गीतकार गीत लिखते हैं। या दोनों कला एकसाथ कर पूरे संगीतज्ञ बन जाते हैं।
कम्पोजर ध्वनि के बारे में अपने ज्ञान के आधार पर संगीत के नोटेशन लिखते हैं। इसके लिए उन्हें संगीत की विभिन्ना शैलियों का ज्ञान होना जरूरी है। इसके साथ ही सफल संगीतकार या कम्पोजर बनने के लिए श्रोताओं के टेस्ट का पता भी होना चाहिए। वन टू का फोर के जमाने में प्रीतम आन मिलो जैसा संगीत नहीं चल सकता है, इसलिए संगीतज्ञ को जमाने के साथ चलते आना चाहिए।
संगीत की धुनों के आधार पर थीम को समझकर गीतकार गीतों की रचना करता है। उसे भी गाने की थीम के साथ-साथ दर्शकों की पसंद का पता होना चाहिए। संगीत के क्षेत्र में जिंगल एक नया क्षेत्र है, जिसका प्रयोग आमतौर पर विज्ञापनों में किया जाता है। इसके लिए हाजिर जवाबी जैसा दिमाग होना चाहिए। जिंगल बनाने वाले टीवी/रेडियो विज्ञापन के माध्यम से लाखों रुपए कमा सकते हैं। हाल ही में एक जिंगल बनाने वाले ने राकेश रोशन की फिल्म के्रजी 4 में अपने जिंगल के इस्तेमाल करने पर 2 करोड़ रुपए वसूल किए थे। इससे पता चलता है कि ये कितने प्रभावी होते हैं।
कम्पोजर/गीतकार फिल्म/टीवी/रेडियो जिंगल, लोक गीतों तथा एलबम के लिए संगीत प्रतिभा का प्रयोग कर सकते हैं। जिन संगीतकारों की इस क्षेत्र में दिलचस्पी है, उन्हें कॉपीराइट, नेट वर्किंग, पब्लिशिंग ,कांट्रेक्ट तथा पराफार्मिंग राइट्स जैसे पहलुओं का ज्ञान होना चाहिए, ताकि कोई धोखाधड़ी न कर सके। म्यूजिक कम्पोजन अक्सर विज्ञापन फर्मों, प्रॉडक्शन हाउसेस, रेकार्डिंग कंपनियों, म्यूजिक पब्लिशिंग फर्मों, फिल्म, टीवी तथा रेडियो के लिए काम करते हैं।
गायक /परफार्मर परफार्मिंग आर्टिस्ट या तो अकेले काम करते हैं या फिर किसी म्यूजिक ग्रुप से जुड़े होते हैं। वे शास्त्रीय संगीत के गायक हो सकते हैं या पॉप आर्टिस्ट हो सकते हैं या वाद्य यंत्र बजाने वाले हो सकते हैं। परफार्मेंस का करियर बहुत ही अलग, लेकिन व्यापक होता है। यह आमतौर पर बजाने वाले वाद्ययंत्रों या परफार्मेंस मीडियम पर निर्भर करता है।
सभी क्षेत्रों में परफार्म करने के लिए उच्च स्तरीय संगीत तथा तकनीकी कौशल का होना आवश्यक माना जाता है। वे कांसर्ट हॉल, छोटे या बड़े कार्यक्रमों में चुनौतीपूर्ण परफार्मेंस दिखा सकते हैं। स्टूडियो में रिकार्डिंग आर्टिस्ट की भूमिका निभा सकते है या लाउंज सेटिंग्स, पब्स और नाइट क्लबों में लाइव शो कर सकते हैं। वे फिल्मों में पार्श्व गायन भी कर सकते हैं।
प्रोड्यूसर्स प्रोड्यूसर्स रिकार्डिंग के विभिन्न तत्वों को साथ में एकत्र करते हैं तथा उन्हें इसे एक आर्टिस्टिक रूप में प्रस्तुत करते हैं। वे स्टूडियो बुक करते हैं। संगीतकारों तथा इंजीनियरों को अनुबंधित करते हैं तथा रिकॉर्ड किए गए संगीत का निर्माण तथा रिकार्डिंग के बजट पर नियंत्रण रखते हैं। सफल प्रोड्यूसर बनने के लिए तकनीकी ज्ञान तथा चतुराई का होना निहायत जरूरी है। कभी-कभी पुराने आर्टिस्ट या साउण्ड इंजीनियर भी इस क्षेत्र में प्रवेश कर लेते हैं।
आर्टिस्ट/म्यूजिक मैनेजमेंट संगीत के क्षेत्र में यह एक उभरता हुआ क्षेत्र माना गया है। आर्टिस्ट मैनेजमेंट किसी आर्टिस्ट करियर का प्लानिंग, ऑर्गनाइजिंग तथा निगोशिएटिंग से मिलकर बनता है। ये संगीत के व्यवसाय से जुड़े होते हैं तथा सख्त, अप्रिय लोगों से निपटते हैं। इनके काम में रेडियो तथा टीवी निर्माताओं के साथ मीटिंग करना तथा उनके आर्टिस्टों के लिए एयर टाइम प्राप्त करना, रिकार्डिंग कंपनियों से चर्चा करना और प्रोग्राम स्पांसर्स से बातचीत करना शामिल है।
इसके लिए संगीत और मीडिया उद्योग का ज्ञान तथा उनकी मौजूदा स्थिति का आकलन करने की क्षमता का होना आवश्यक है। संगीत में प्रशिक्षण तथा अनुभव के साथ-साथ व्यवसाय की पृष्ठभूमि से इस क्षेत्र में सफलता हासिल की जा सकती है। वे किसी आर्टिस्ट विशेष या बैण्ड या म्यूजिक ग्रुप के लिए काम कर सकते हैं। साथ ही आर्टिस्ट मैनेजमेंट फर्मों, परफार्मिंग ऑर्गनाइजेशन, टूरिंग म्यूजिक एजुकेटर/ शिक्षक संगीत की शिक्षा देने वालों के लिए इस कला में निष्णात होना बेहद जरूरी है, क्योंकि जब तक आप इस क्षेत्र के उस्ताद नही होंगे दूसरों को किस तरह प्रशिक्षित कर पाएँगे।
शिक्षक चाहें तो संगीत विद्यालय खोलकर संगीत की शिक्षा प्रदान कर सकते हैं। स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों तथा संस्थागत सेटअप्स में संगीत शिक्षकों की अच्छी माँग है। इनका मुख्य कार्य संगीत के प्रति रुचि जगाना तथा छात्रों को इस कला में माहिर बनाना है।
म्यूजिक थैरेपिस्ट संगीत उपचारक एक विशिष्ट तथा अद्भुत कार्य करते हैं। इनका कार्य संगीत से लोगों का उपचार करना होता है जिसके लिए ये विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं तथा लय और माधुर्य का प्रयोग कर मानसिक तथा भावनात्मक रोगों का उपचार करते हैं। सक्षम म्यूजिक थैरेपिस्ट के लिए भावनात्मक स्थिरता तथा बोध अनिवार्य गुण माना जाता है। उनमें ध्वनियों को खोजने, उनकी व्याख्या करने तथा सृजनात्मक उपयोग विकसित करने की क्षमता होती है।
म्यूजिक थैरेपिस्ट सभी आयु वर्ग के लोगों की मानसिक विकृतियों, मानसिक अवसादों तथा विकासात्मक अपंगता, गूँगा तथा बहरापन, शारीरिक विकलांगता तथा न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का संगीत से निदान करते हैं। यह एक चुनौतीपूर्ण करियर विकल्प है जिसमें मानवीय संवेदनाएँ तथा भावनाएँ जुड़ी हुई हैं। आमतौर पर म्यूजिक थैरेपिस्ट मानसिक चिकित्सालयों, सामुदायिक मानसिक स्वास्थ्य संस्थाओं, पुनर्वास केंद्रों, नर्सिंग होमों पर कार्य करते हैं या अपना खुद का केंद्र भी संचालित कर सकते हैं।
म्यूजिकोलॉजिस्ट जिन्हें संगीत का अच्छा ज्ञान हो तथा रिसर्च में दिलचस्पी हो तथा बेहतरीन सम्प्रेषण कौशल हो वे अनुसंधान संस्थानों में म्यूजिकोलॉजिस्ट के रूप में काम कर सकते हैं।
वीडियो जॉकी (वीजे) तथा डिस्क जॉकी (डीजे) विभिन्न म्यूजिक चैनलों के आगमन के साथ ही वीजे एक रोमांचक करियर विकल्प बनकर उभरा है। इनके काम में म्यूजिक वीडियो को इंट्रोड्यूस करना, आर्टिस्टों और संगीत की हस्तियों से इंटरव्यू लेना शामिल है। वीजे या डीजे बनने के लिए किसी खास शैक्षणिक पृष्ठभूमि की आवश्यकता नहीं है। फिर भी जनसंचार, विजुअल कम्युनिकेशंस या परफार्मिंग आर्ट्स की पृष्ठभूमि इसमें मददगार साबित होती है।
इस विजुअल मीडियम का खास गुण है बेहतरीन प्रस्तुतीकरण कौशल, साफ आवाज, हाजिरजवाबी तथा संगीत की विभिन्न शैलियों का गहन ज्ञान। इसके अलावा उनकी बॉडी लैंग्वेज तथा ड्रेस सेंस भी अच्छा होना चाहिए।
म्यूजिक लाइबे्ररियन कॉलेजों तथा पब्लिक लाइब्रेरियों द्वारा प्रशिक्षित म्यूजिक स्पेशलिस्टों को जिनके पास लाइब्रेरी का ज्ञान तथा रिसर्च तकनीक हो म्यूजिक लाइब्रेरियन के रूप में करियर निर्माण के अवसर प्रदान किए जाते हैं। रेडियो, टेलीविजन तथा मोशन पिक्चर्स के क्षेत्र में भी म्यूजिक लाइब्रेरियन के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं। इसके लिए उनके पास संगीत की किसी योग्यता के अतिरिक्त लाइबे्ररी साइंस में डिग्री होना चाहिए।
म्यूजिक जर्नलिस्ट इनका काम परफॉर्मेंस और रिकॉर्डिंग्स की समीक्षा करना, आर्टिस्टों से साक्षात्कार करना तथा संगीत समीक्षा लिखना होता है। वे न्यूज रिलीज और परफॉर्मर्स और न्यूज तथा अपडेट्स देते हैं। कुछ संगीत समालोचक के रूप में भी काम करते हैं। संगीत के क्षेत्र में यह एक फ्रीलांसिंग क्षेत्र है।
वे समाचार पत्रों-पत्रिकाओं तथा वेबसाइटों के लिए भी काम कर सकते हैं। इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए व्यक्ति को संगीत का अच्छा ज्ञान तथा उसमें दिलचस्पी होनी चाहिए। साथ ही उनमें लेखन प्रतिभा और भाषा पर अच्छी पकड़ भी होनी चाहिए।
गीत के पाठ्यक्रम -बीए ऑनर्स म्यूजिक -बीए विजुअल आर्ट/ म्यूजिक/ डांस एंड ड्रामा -बीए म्यूजिक -बीए-तबला -बीएफए-तबला -म्यूजिक में सर्टिफिकेट कोर्स -म्यूजिक में डिग्री -म्यूजिक में डिप्लोमा -सितार में डिप्लोमा -तबला में डिप्लोमा -संगीत में डिप्लोमा प्रोफिसिएंशी कोर्स -एमएस इन म्यूजिक -म्यूजिक में एमफिल -म्यूजिक में पीएचडी -म्यूजिक में अंडरग्रेजुएट डिप्लोमा
मप्र के संगीत संस्थान -सिलाम्बम, पद्मा एस. राघवन बी 2, 49, एमआईजी कॉलोनी, संजय उपवन, इंदौर -कला पद्मा भरतनाट्यम डांस अकेडमी, शंकर होमबाल, 185, कल्पना नगर, रायसेन रोड, भोपाल -नृत्यायन लता सिंह, एमआईजी, 69, कोटरा सुल्तानाबाद, भोपाल -इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ -अवधेश प्रतापसिंह विश्वविद्यालय, रीवा -बरकतुल्ला विश्वविद्यालय, होशंगाबाद रोड, भोपाल -देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, नालंदा परिसर, 169, रवीन्द्रनाथ टैगोर मार्ग, इंदौर -डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर -महात्मा गाँधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय, सतना -रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर -आदर्श कला मंदिर, ग्वालियर -आदर्श संगीत कॉलेज, सागर -आनंद म्यूजिक कॉलेज, राजबाड़ा, धार -भारतीय संगीत महाविद्यालय, ग्वालियर -गवर्नमेंट म्यूजिक कॉलेज, मैहर -गवर्नमेंट माधव म्यूजिक कॉलेज, उज्जैन