सिंधुश्री खुल्लर : विवादों से लेकर पहली महिला ऑडिटर तक

चारों तरफ से खबर आ रही है कि प्लानिंग कमिशन में सेक्रेटरी सिंधुश्री खुल्लर देश की अगली नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी यानी कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया) हो सकती हैं। वह वर्तमान में पदस्थ सीएजी विनोद राय की जगह लेगीं। अगर सिंधुश्री की नियुक्ति इस पद पर पर होती है, तो वह दो प्रथम होने का रिकॉर्ड एक साथ बनाएंगी।

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इस नियुक्ति से भारत को पहली महिला ऑडिटर मिलेगी साथ ही पहली बार कोई पति-पत्नी एक साथ रेगुलेटर की भूमिका में होंगे। उनके पति राहुल खुल्लर फिलहाल टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी (ट्राई) के चेयरमैन हैं।

सूत्र बताते हैं कि सिंधुश्री इस पद की दौड़ में सबसे आगे चल रही हैं। उनके अलावा जो लोग इस पद की दौड़ में शामिल हैं उनमें रेवेन्यू सेक्रेटरी सुमित बोस, फाइनेंस सेक्रेटरी आरएस गुजराल, पूर्व पेट्रोलियम सेक्रेटरी जीसी चतुर्वेदी और पूर्व टेलीकॉम सेक्रेटरी आर.चंद्रशेखर शामिल हैं।

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सिंधुश्री 1975 बैच की आईएएस ऑफिसर हैं। दिल्ली की लेडी श्रीराम कॉलेज से ग्रेजुएट हैं। उन्होंने हार्वर्ड और बोस्टन जैसे दुनिया के नामी-गिरामी इंस्टीट्यूट से मास्टर्स की डिग्री हासिल की है।

लेडी श्रीराम कॉलेज, दिल्ली से 1972 में उन्होंने अंगरेजी साहित्य में बीए किया। इसके बाद समाज शास्त्र में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से एमए किया। 1985 में डेवलपमेंटल इकॉनोमिक्स में एमए किया। 1991 में पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में हॉरवर्ड विश्वविद्यालय से एमए किया।

रिटायर होने के बाद उन्हें दो साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर प्लानिंग कमिशन के सदस्य के तौर पर पदस्थ किया गया है। उनके पास डायरेक्ट ट्रांसफर स्कीम की मिशन डायरेक्टर का भी प्रभार है।

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क्या दायित्व निभा रही हैं


1975 बैच में भारतीय प्रशासनिक सेवा के यूटी कैडर की अधिकारी

सचिव, योजना आयोग में (दो साल के कॉन्ट्रैक्ट पर)

लोकसभा चुनाव 2014 के लिए तैयार सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर (डीबीटी) की मॉनिटरिंग भी उन्हीं का दायित्व है।

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विवादों से दूर नहीं हैं सिंधुश्री


* राष्ट्रमंडल खेल 2010 के दौरान विवादित कांग्रेसी नेता सुरेश कलमाड़ी की सहयोगी रहीं। उसी दौरान हुए घोटालों में शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट में उनका नाम आया था। देश में राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी के दौरान वह खेल मंत्रालय में सचिव थीं और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप उन पर भी लगाए गए थे।

* पिछले दिनों के सबसे अधिक विवादित 2जी घोटाले की जांच कर रही संयुक्त संसदीय समिति ने भी सिंधुश्री से पूछताछ की थी। 2जी के स्पेक्ट्रम के आवंटन के समय खुल्लर वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव (अप्रैल 2007 से नवंबर 2008) थीं।

यह भी चर्चा में रहा कि जेपीसी की एक बैठक से भाकपा के नेता गुरदास दासगुप्ता ने जेपीसी से वाकआउट कर दिया था। उसकी वजह यह थी कि खुल्लर से जब तलब किया जा रहा था तब कांग्रेस की तरफ से शशि थरूर उनका बचाव कर रहे थे। बाद में दासगुप्ता ने बजट सत्र के पहले चरण के दौरान कैग की नियुक्ति को लेकर एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव दिया लेकिन उस पर चर्चा नहीं हो सकी।

* उच्च न्यायालय में सुब्रमण्यम स्वामी ने चिदंबरम मामले में खुल्लर को गवाह बनाने की अपील की थी।

स्वामी के अनुसार मामले की सच्चाई का पता लगाने के लिए जेपीसी के अध्यक्ष पीसी चाको को आर्थिक मामले विभाग की तत्कालीन अतिरिक्त सचिव सिंधुश्री खुल्लर को बुलाना चाहिए। हालांकि उनका आवेदन खारिज कर दिया गया था।

* यह भी विशेष हैं कि सीएजी और शुंगलु समिति ने खुल्लर के कामकाज पर तीखी टिप्पणियां की थीं।

* दिल्ली के राजनयिक इलाके चाणक्यपुरी स्थित 'संस्कृति स्कूल' को वरिष्ठ अफसरशाह और उनकी पत्नियां अपने स्वयंसेवी संगठन सिविल सर्विसेज सोसाइटी के जरिए चलाती हैं। स्कूल में 12-15 फीसदी सीटें ऐसे छात्रों के लिए हैं जो गैर-सरकारी सेवाओं की पृष्ठभूमि से आते हैं। हालांकि इनमें से अधिकतर सीटें नेताओं के बच्चों के खाते में चली जाती हैं, जिससे आम परिवार के बच्चों के लिए यहां दाखिला लगभग असंभव है।

वित्त वर्ष 2011-12 की बैलेंस शीट से पता चलता है कि विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों, भारतीय रिजर्व बैंक और सत्ता के गलियारों में ताकतवर संस्थाओं से बिल्डिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड के तौर पर इसे 25 करोड़ रु. मिले हैं। गौरतलब है कि सिंधुश्री खुल्लर इसकी प्रबंध समिति में हैं।

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क्यों हैं खुल्लर सरकार की खास


यूपीए सरकार के पसंदीदा नौकरशाहों में सिंधुश्री खुल्लर का नाम सबसे ऊपर आता है। सरकार ने उन्हें रिटायरमेंट के बाद दो साल का कार्य-विस्तार दिया। अपनी महत्वाकांक्षी योजनाओं में जिम्मेदारी के बड़े पद दिए। बड़े सरकारी घोटालों में उनका नाम आया मगर केबिनेट में बैठे मंत्री उनका बचाव करते नजर आए। सरकार की 'विशेष मददगार' होने की वजह से ही सिंधुश्री उनकी खास हैं। पहली महिला ऑडिटर बनने तक का उनका सफर इसी कृपा की देन है।

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