कैसा है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जहां 14 दिन रहेंगे शुभांशु, जानिए ISS के बारे में ये 10 रोचक जानकारी

WD Feature Desk

गुरुवार, 26 जून 2025 (13:55 IST)
information about international space station: भारत के शुभांशु शुक्ला तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ इंटरेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) के लिए रवाना हो गए हैं। एक्सियम-4 मिशन के तहत ये चारों अंतरिक्ष यात्री 14 दिनों तक आईएसएस में रहेंगे। आईएसएस हमेशा से लोगों के मन में उत्सुकता जगाता रहा है क्योंकि वहां जीवन पृथ्वी से बिल्कुल अलग होता है। ISS एक छोटा-सा अंतरिक्ष शहर है, जहां वैज्ञानिक गुरुत्वाकर्षण से मुक्त होकर नए आविष्कार कर रहे हैं। यह सिर्फ एक प्रयोगशाला नहीं, बल्कि मानवता की वैज्ञानिक उन्नति और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का एक जीता-जागता प्रमाण है। आइये आज इस आलेख में ISS से जुड़ी प्रमुख रोचक बातें आपको बताते हैं:

1. ISS क्या है और इसे कब बनाया गया?
ISS, यानी इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन, एक मॉड्यूलर स्पेस स्टेशन (रहने योग्य कृत्रिम उपग्रह) है जिसे पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया गया है। यह 15 देशों के अंतरिक्ष एजेंसियों का एक सहयोगात्मक प्रोजेक्ट है, जिसमें नासा (अमेरिका), रॉसकॉसमॉस (रूस), जाक्सा (जापान), ईएसए (यूरोप) और सीएसए (कनाडा) प्रमुख भागीदार हैं। इसके पहले मॉड्यूल को 20 नवंबर 1998 को लॉन्च किया गया था, और तब से इसे लगातार विस्तार दिया जा रहा है।

2. पृथ्वी से दूरी
ISS पृथ्वी से लगभग 400 किलोमीटर (250 मील) की औसत ऊंचाई पर परिक्रमा करता है। यह इतनी ऊंचाई पर है कि इसे अक्सर रात में नंगी आंखों से भी देखा जा सकता है, जो आसमान में एक चमकदार तारे जैसा दिखता है।

3. कितना बड़ा है ISS
यह सुनकर आपको आश्चर्य होगा कि ISS एक फुटबॉल मैदान जितना बड़ा है! इसके पंखों (सौर पैनलों) सहित इसकी कुल चौड़ाई लगभग 109 मीटर (357 फीट) है। इसका कुल रहने योग्य आयतन लगभग 388 क्यूबिक मीटर (13,696 क्यूबिक फीट) है, जो एक पांच बेडरूम वाले घर या बोइंग 747 जम्बो जेट के बराबर है।
ISS में रहने, काम करने और प्रयोग करने के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं मौजूद हैं। इसमें कई प्रयोगशालाएं, सोने के लिए केबिन, व्यायामशाला, शौचालय और एक रसोईघर शामिल हैं। संचार के लिए उच्च गति का इंटरनेट और पृथ्वी पर नियंत्रण केंद्र से संपर्क साधने के लिए विभिन्न सिस्टम भी हैं।

4. 24 घंटे नहीं 90 मिनट का होता है दिन
ISS 28,163 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी का चक्कर लगाता है। इस गति के कारण, यह 90 मिनट में पृथ्वी के चारों ओर एक चक्कर पूरा कर लेता है। इसलिए, ISS पर एक दिन 90 मिनट का होता है। ISS 24 घंटे में 16 बार पृथ्वी का चक्कर लगाता है, जिससे 16 सूर्योदय और 16 सूर्यास्त होते हैं। इसका मतलब है कि ISS पर मौजूद अंतरिक्ष यात्री 24 घंटे में 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त देखते हैं।



5. ISS पर अंतरिक्ष यात्री कैसे रहते हैं?
अंतरिक्ष यात्री माइक्रोग्रैविटी (सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण) में रहते हैं, जिसका अर्थ है कि वे लगातार तैरते रहते हैं। उन्हें अपने आप को दीवारों या फर्श से बांधकर रखना पड़ता है ताकि वे इधर-उधर न तैरें। उनका दैनिक कार्यक्रम सख्त होता है जिसमें वैज्ञानिक प्रयोग, स्टेशन का रखरखाव और शारीरिक व्यायाम शामिल हैं।

6. ISS पर कैसे खाते-पीते और सोते हैं?
भोजन विशेष रूप से पैक किया जाता है और इसमें डीहाइड्रेटेड (निर्जलित) खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं जिन्हें पानी मिलाकर खाया जा सकता है। पेय पदार्थ भी विशेष थैलियों में आते हैं। सोने के लिए, अंतरिक्ष यात्रियों के पास छोटे स्लीपिंग बैग होते हैं जिन्हें वे दीवार से बांधकर सोते हैं ताकि वे तैरते न रहें।

7. क्या ISS पर नहा भी सकते हैं?
नहीं, अंतरिक्ष यात्री ISS में पारंपरिक तरीके से नहीं नहा सकते हैं। पानी एक बहुत ही मूल्यवान संसाधन है और माइक्रोग्रैविटी में पानी हवा में फैल जाएगा। इसके बजाय, वे स्पंज स्नान का उपयोग करते हैं और विशेष "नो-रिंस" शैंपू और साबुन का उपयोग करते हैं।

8. ISS पर पसीने और मूत्र को रिसाइकल करके क्यों पीते हैं?
ISS में पानी की आपूर्ति बहुत सीमित होती है। पृथ्वी से पानी ले जाना बहुत महंगा और अव्यावहारिक है। इसलिए, अंतरिक्ष यात्री अपने पसीने, मूत्र और यहां तक कि हवा में मौजूद नमी को भी एक उन्नत जल पुनर्प्राप्ति प्रणाली का उपयोग करके रिसाइकल करते हैं। यह पानी पीने के लिए सुरक्षित होता है और संसाधनों का सदुपयोग करता है।

9. ISS पर कौन से वैज्ञानिक प्रयोग किए जाते हैं?
ISS एक अनूठी प्रयोगशाला है जहां माइक्रोग्रैविटी के प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। यहां जीव विज्ञान, भौतिकी, खगोल विज्ञान, मौसम विज्ञान और चिकित्सा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में हजारों प्रयोग किए गए हैं। इन प्रयोगों से पृथ्वी पर जीवन को बेहतर बनाने और भविष्य के अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है।

10. ISS का भविष्य क्या है?
ISS को 2030 तक संचालित करने की योजना है, जिसके बाद इसे नियंत्रित तरीके से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कराकर प्रशांत महासागर में गिरा दिया जाएगा। हालांकि, इसके बाद भी निजी और वाणिज्यिक अंतरिक्ष स्टेशनों की योजनाएं विचाराधीन हैं, जो अंतरिक्ष में मानव की उपस्थिति को जारी रखेंगी।

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन एक अद्भुत उपलब्धि है जो दिखाती है कि जब देश मिलकर काम करते हैं तो क्या हासिल किया जा सकता है। यह सिर्फ वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष यात्रियों का घर नहीं है, बल्कि यह हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो ब्रह्मांड के रहस्यों को जानना चाहता है।

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी