बाजार में रौनक बने जूजी से आए सुंदर बैग

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आप बाजार जाएँ तो किसी दुकान में सजे मनमोहक बैग आपको आकर्षित कर सकते हैं। आपको जरूरत नहीं भी तो भी आपका मन इन्हें खरीदने के लिए कर सकता है। एक ही प्रकार के बैग आपको किसी साधारण दुकान पर दिखाई दे सकते हैं और ब्रांडेड शो-रूम में भी। जान लें कि ये बैग "चाइना टू चाँदनी चौक" के रास्ते यहाँ तक पहुँचे हैं।

बच्चे-बड़े, महिलाएँ या पुरुष सभी को जरूरत होती है एक अदद बैग की। बैग ऐसा जो खुद तो अच्छा हो ही साथ ही जिसके हाथ में आए उसके व्यक्तित्व को भी निखार दे। दिल्ली-एनसीआर के बाजारों में इस तरह के बैग खूब सज रहे हैं। खासियत यह कि कपड़ों की तरह अब बैग के मामले में भी लोग कॉटन (सूती) को ही प्राथमिकता देने लगे हैं।

  जूजी शहर से आने वाले ये बैग एनसीआर क्षेत्र की सभी प्रमुख दुकानों में सज रहे हैं। जूट, कॉटन और सिल्क से बने यह बैग आपके व्यक्तित्व के साथ तालमेल बना सकें इसके लिए चीन के निर्माताओं ने भारतीय बाजारों में काफी शोध किया है।      
बहुत कम लोगों को मालूम है कि यह रंग-रंगीले बैग चीन के "जूजी" शहर से बनकर आ रहे हैं। खासियत यह कि भारतीय परंपरा और रंगों का समावेश इतना आकर्षक होता है कि मालूम ही नहीं पड़ता कि यह बैग किसी दूसरे देश से बनकर आ रहे हैं। यहाँ बनने वाले बैग्स में सूती धागों के अतिरिक्त सिल्क के कपड़े से बने बैग भी काफी मशहूर हैं।

जूजी शहर से आने वाले ये बैग एनसीआर क्षेत्र की सभी प्रमुख दुकानों में सज रहे हैं। जूट, कॉटन और सिल्क से बने यह बैग आपके व्यक्तित्व के साथ तालमेल बना सकें इसके लिए चीन के निर्माताओं ने भारतीय बाजारों में काफी शोध किया है। इन बैग्स को बनाने में भारतीय परंपरा और प्रचलन का विशेष ध्यान रखा जाता है।

चाइनीज गुड्स इंपोर्टर्स एसोसिएशन के अनुसार चीन से आने वाले ये रंग-बिरंगे और आकर्षक बैग अब ब्रांड-नेम के साथ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के शोरूम में सजने लगे हैं। बड़ी-बड़ी कंपनियाँ भी अब चीन से बैग आयात करने के बाद इनके ऊपर अपना ठप्पा लगाकर बेचने लगी हैं। ब्रांड का ठप्पा लगने के बाद इन्हीं बैग्स की कीमत कई गुना बढ़ जाती है या फिर यही बैग किसी विशेष ऑफर का हिस्सा बन जाते हैं।

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